PATNA: बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी द्वारा ब्राह्माणों पर दिए गये बयान को लेकर सियासत तेज हो गयी है। उनके इस बयान को लेकर रविवार को बिहार में खूब सियासी बयानबाजी हुई। सरकार से लेकर विपक्ष तक के नेताओं ने मांझी को नसीहत से लेकर चेतावनी तक दे दी। शाम होते होते जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी नसीहत दे दी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने जीतनराम मांझी को अपनी भाषा पर नियंत्रण रखने की बात कही। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल उन्होंने किया है वह नहीं होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति किस तरह की विचारधारा के साथ है इसे लेकर स्वतंत्रता है। इसका मतलब यह नहीं कि हम किसी जाति के खिलाफ बयान दें।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हमलोगों ने आज तक कभी ब्राह्मïण समाज के खिलाफ कुछ नहीं कहा है। हां ब्राह्मïणवादी व्यवस्था के खिलाफ जरूर बोलते रहे हैं। वही जीतन राम मांझी के इस बयान को लेकर बीजेपी ने भी नसीहत दे दी। बीजेपी नेता सुशील मोदी ने मांझी को नसीहत देते हुए कहा कि किसी भी समूदाय विशेष का हितैसी होने का मतलब ये नहीं है कि दूसरे की भावना को आहत किया जाए। मोदी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का जिक्र करते हुए आगे लिखा की बिहार के दलित नेता रामविलास पासवान अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी तक के कैबिनेट में मंत्री रहे लेकिन कभी ऊंची जातियों के विरूद्ध उन्होने कभी कोई अपशब्द नहीं कहा।
सुशील मोदी ने कहा कि ब्राह्मण समाज के लिए कथित बयान अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। संवैधानिक पदों पर रह चुके लोगों को शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए और ऐसा कुछ नहीं बोलना चाहिए जिससे समाज में सद्भाव बिगड़े। शनिवार को जीतन राम मांझी ने भूईया समाज के लोगों को संबोधित करते हुए ब्राह्मण के लिए अपशब्द का इस्तेमाल किया उसके बाद रविवार को जब उनके बयान पर बवाल होने लगा तो उन्होने अपने बयान पर पहले की ही तरह पलटी मारते हुए कहा कि उन्होने ब्राह्मण के लिए नहीं अपने समाज के लिए उस अपशब्द का इस्तेमाल किया था। शराबबंदी से लेकर धर्म-जाति पर अपने बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले मांझी की हर मुद्दे पर फजीहत हो रही है। दो दिन पहले भी उन्होंने कहा था कि मेरे बयान से मेरी भद्द पीट जाती है।
मांझी ने क्या कहा था?
शनिवार को जीतन राम मांझी ने भूईया समाज के लोगों को संबोधित करते हुए ब्राह्मण के लिए अपशब्द का इस्तेमाल किया। जीतनराम मांझी ने यह कहा था कि पहले अनुसूचित जाति के लोग पूजा-पाठ में विश्वास नहीं करते थे। वे अपने देवता की ही पूजा करते थे। तुलसी जी हो या मां शबरी हों, मगर अब हर जगह हमलोग के टोला में भी सत्यनारायण भगवान की पूजा की जा रही है। इस पर भी शर्म नहीं लगती है कि पंडित .... आते हैं और कहते हैं हम नहीं खाएंगे बाबू, नगद ही दे दीजिए।
इतना कहने के बाद भी मांझी नहीं रुके। उन्होंने कहा कि बाबा आंबेडकर मरने से पहले हिंदू धर्म में नहीं रहे, उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। हिंदू धर्म इतना खराब धर्म है। राम भगवान नहीं थे। रामायण में कुछ अच्छी बातें हैं, उसको पढ़ना चाहिए। मांझी ने कहा कि मैं राम को भगवान नहीं मानता। हम बोलते हैं, तो लोग पागल बोलते हैं।
मांझी ने अपने बयान पर भी सफाई दे दी। उन्होंने कहा, मैं पूजा-पाठ कभी नहीं करता। हम जय भीम का नारा लगाते हैं तो आंबेडकर के सिद्धांत को मानना चाहिए। आज आस्था के नाम पर करोड़ों-करोड़ रुपये लुटाया जा रहा है लेकिन गरीब की जो भलाई होनी चाहिए, उतनी भलाई नहीं हो रही है। जीतन राम मांझी के इसी बयान को लेकर आज दिनभर सियासत गर्म रही। पक्ष हो या विपक्ष आज सभी मांझी के इस बयान पर हमलावर दिखे।