बांकीपुर से रद्द हो गया बीजेपी की बागी सुषमा साहू का नामांकन, उम्मीदवारी रद्द हुई तो फूट-फूट कर रोयीं नेत्री

बांकीपुर से रद्द हो गया बीजेपी की बागी सुषमा साहू का नामांकन, उम्मीदवारी रद्द हुई तो फूट-फूट कर रोयीं नेत्री

PATNA : बीजेपी से बगावत कर पटना के बांकीपुर विधानसभा सीट से नामांकन करने वाली महिला नेत्री सुषमा साहू का नामांकन रद्द कर दिया गया है. सही तरीके से नामांकन पत्र नहीं भरने के कारण उनकी दावेदारी रद्द की गयी है. नामांकन रद्द होने के बाद सुषमा साहू प्रेस कांफ्रेंस कर फूट फूट कर रोयीं और कहा कि छोटे समाज से आने के कारण उन्हें ये सजा दी गयी.


राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य और बीजेपी महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुषमा साहू ने पार्टी से बगावत कर बांकीपुर से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया था. उनकी दावेदारी से बीजेपी परेशान थी. सुषमा साहू की बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पैठ है. लिहाजा बीजेपी को ये डर सता रहा था कि वे पार्टी के उम्मीदवार नितिन नवीन को परेशानी में डाल सकती हैं.


प्रेस कांफ्रेंस कर फूट फूट कर रोयीं
पटना जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली सूचना के मुताबिक सुषमा साहू नामांकन पत्र के साथ शपथ पत्र लगाना भूल गयी थीं. कागजात अपूर्ण रहने के कारण उनके नामांकन को खारिज कर दिया. उधर नामांकन रद्द होने के बाद सुषमा साहू फूट फूट कर रोने लगीं.


सुषमा साहू ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि उन्हें सत्ताधारी दल के खिलाफ लड़ने की सजा दी गयी. महिला नेत्री ने कहा कि वे बीजेपी से इस्तीफा देकर चुनाव मैदान में उतरी थीं. वे एक ऐसे विधायक के खिलाफ आवाज उठा रही थी जिसे लेकर जनता में भारी नाराजगी है. बांकीपुर के लोग विधायक से मिलने के लिए तरसते रहे.


छोटे समाज से आने की मिली सजा
सुषमा साहू ने कहा कि उनका नामांकन एक छोटी सी गलती के कारण रद्द कर दिया गया. इसे सुधारा जा सकता था. चुनाव पदाधिकारी को इसका अधिकार है. लेकिन सत्ता में बैठे लोगों को एक ऐसी महिला से दुश्मनी हो गई जिसके सर पर कोई नहीं है, पति भी नहीं. सुषमा साहू ने कहा कि उनके साथ इसलिए ऐसा किया गया क्योंकि वे छोटे समाज, छोटे घर से आती हैं. लेकिन बीजेपी को पता है कि उन्हें कितने लोगों का समर्थन हासिल है.