PATNA : बाहुबली विधायक अनंत सिंह के लिए गुरूवार का दिन बड़ा अहम होने वाला है. कल 'छोटे सरकार' के बेल पर पटना हाई कोर्ट में सुनवाई होने वाली है. बाहुबली अनंत सिंह के समर्थकों को अपने नेता के जेल से निकलने की पूरी उम्मीद है. दरअसल बुधवार को ही निर्दलीय विधायक की जमानत याचिका पर सुनवाई होने वाली थी, जो टल गई. कल इस मामले में सुनवाई होगी.
बाढ़ और मोकामा में 'छोटे सरकार' के नाम से मशहूर बाहुबली विधायक अनंत सिंह पर यूएपीए एक्ट के तहत संभवत देश में पहला मामला दर्ज किया गया था. पंडारक थाना कांड संख्या 75/2019 और बाढ़ थाना कांड संख्या 389/2019 मामले में पटना उच्च न्यायालय में गुरूवार हो सुनवाई होनी है. न्यायमूर्ति प्रभात कुमार झा के बेंच में दोनों जमानत याचिका लंबित है. इन दोनों ज़मानत याचिका में केस डायरी की मांग की गई है.
पंडारक वाले केस में विधायक को छोड़कर अन्य अभियुक्तों गोलू कुमार , लल्लू मुखिया , रणवीर यादव और पुरूषोतम कुमार उर्फ़ चंदन सिंह को पहले ही पटना उच्च न्यायालय से ज़मानत मिल चुकी है. आपको बता दें कि यह वही मामला है जिसमें पंडारक में हथियार के साथ दो लोग गिरफ़्तार हुए थे और गिरफ़्तार लोगों ने बताया था कि वे लल्लू मुखिया के कहने पर भोला सिंह के भाई मुकेश सिंह की हत्या के लिए आए थे. इन दोनों के मोबाइल में बातचीत का एक ऑडियो वायरल हुआ था. जिसमें कथित रूप से विधायक की आवाज बताई गई.
पिछले साल 2019 के जुलाई में अनंत सिंह के बाढ़ के लदमा गांव स्थित पैतृक आवास पर पुलिस ने छापेमारी की थी. सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक विधायक के घर में सर्च ऑपरेशन चला था. जहां से AK-47 पुलिस ने बरामद किया था. एके 47 की बरामदगी मामले में बाढ़ थाना में दर्ज केस को लेकर भी कल ही सुनवाई होनी है. पटना उच्च न्यायालय में जमानत याचिका पर सुनवाई होगी. इसी मामले में विधायक के ऊपर आतंकवाद विरोधी कानून- 'गैरकानूनी गतिविधियां (निरोधक) अधिनियम' यानी कि यूएपीए एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया था. मामला दर्ज होने के बाद पिछले साल विधायक अनंत सिंह ने दिल्ली के कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था. अनंत सिंह को एक दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेजा गया था.
मोकामा से निर्दलीय विधायक अनंत सिंह की गिनती बिहार के बाहुबली नेताओं में होती है. अनंत कभी बिहार के सीएम नीतीश के करीबी थे. वह 2005 में पहली बार जदयू के टिकट से चुनाव जीते थे. 2010 में भी वह जदयू के विधायक बने. 2015 के चुनाव से पहले हत्या के एक मामले में जेल जाना पड़ा था. इस दौरान जदयू ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था. इसके बाद विधायक ने जेल में ही रहकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैला किया. जेल से ही अनंत सिंह ने चुनाव लड़ा और निर्दलीय विधायक चुने गए.