अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र औरंगाबाद में 115 दलित- महादलितों की हुई घर वापसी, श्रीराम के साथ लगे माता शबरी की जयकारें

अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र औरंगाबाद में 115 दलित- महादलितों की हुई घर वापसी, श्रीराम के साथ लगे माता शबरी की जयकारें

AURANGABAD: देश में धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून बनाने की अरसे से हो रही मांग के बीच बिहार के औरंगाबाद के विश्व प्रसिद्ध सौर तीर्थ स्थल देव में 115 दलित-महादलितों की सनात्तन धर्म में पहली बार वापसी हुई है। यह घर वापसी देव की दलित बस्ती अजब बिगहा (भुईयां बिगहा) में कराई गई है। 


करीब दो साल पहले इन दलितों ने इसाई मिशनरी के प्रभाव में बेहतर लाइफ स्टाइल,  बच्चों की शिक्षा और जॉब के प्रलोभन में आकर कर लिया था। हिंदु संगठन धर्म जागरण मंच द्वारा इनकी घर वापसी के लिए दलित बस्ती में गुरूवार को बाजाप्ता एक समारोह आयोजित किया गया, जहां ससम्मान इनकी घर वापसी हुई। कार्यक्रम में सरस्वती शिशु मंदिर, देव के प्रधानाचार्य ज्ञानेश कुमार पांडेय एवं त्रेतायुगीन विश्व प्रसिद्ध  देव सूर्य मंदिर के पुजारी राजेश कुमार पाठक ने द्वारा वैदिक रीति से भगवान राम और माता शबरी की विधिवत पूजा कर घर सबकी सनात्तन धर्म में वापसी कराई। 


इस दौरान वर्णवादी व्यवस्था की अगड़ी जाति में श्रेष्ठ कहे जानेवाले क्षत्रिय समाज से आनेवाले भाजपा के जिला मंत्री आलोक कुमार सिंह ने दलितों के पैर धोएं (पद प्रच्छालन) और ससम्मान सनातन धर्म में स्वागत किया। इस मौके पर भाजपा के जिला मंत्री ने उपस्थित सभी लोगो से अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आने का आग्रह किया। कहा कि हमारी सनातन संस्कृति की विशालता है कि हम लोग सभी वर्गों के रूप में पहचान बनाये रखने के बावजूद अपनी श्रेष्ठता साबित कर रखी है। किसी अमीर का घर हो या गरीब का घर उनके घर किसी प्रकार के मांगलिक कार्यो में रविदास समाज के लोग ही ढ़ोल बजा कर कुलदेवता को जगाते है।


पुरातन काल में प्रसव क्रिया के दौरान रविदास समाज की माताएं ही नवजात शिशु का नार काटने से लेकर उसे मां के स्तन का पान कराने का काम परिशुद्धता से करती रही है। स्वयं भगवान राम ने भी माता शबरी के जूठे बैर खाएं। उनकी कुटिया तक खाली पांव गए। केवट समाज को गले लगाया। वनों में रहने वाले वनवासी बाली, सुग्रीव, जामवंत और हनुमान को अपना सहचर बनाया। हमारी महिलाएं जिनका आंचल सबसे  पवित्र माना गया है। सभी वर्ग की महिलाएं घर के मांगलिक अवसर पर रविदास समाज के व्यक्ति जो ढोल बजाने आते है, उनके ढ़ोल का पूजन आंचल से ही करती है। हमे गर्व है कि हमारी संस्कृति महान है और हम सब इस संस्कृति में जन्मे है। जिस प्रकार देश की रक्षा के लिए लोगो ने अपना बलिदान दिया, उसी प्रकार हम सब को अपनी संस्कृति की रक्षा प्राणपण से करना है। इस दौरान मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के साथ माता शबरी की जय के भी नारे लगे और कुछ देर के लिए पूरा इलाका जयकारें से गुंज उठा। 


115 दलितों की हुई घर वापसी

इस दौरान कुल 115 दलितों की घर वापसी हुई। इनमें  सुरेंद्र चौधरी, रमेश राम, बुधन रिकियासन, नरेश रिकियासन, राजाराम रिकियासन, यदुनंदन, प्रवेश, भुनेश्वर, शौखिन, रामचंद्र, मिश्री, धनकेश्वरी देवी, सुगिया देवी, राजो देवी, लक्ष्मनिया देवी, मुनवा देवी, माधुरी देवी, सोनिया देवी, मानती देवी,  राजन्ति, तेतरी, खदेरनी, जितनी, राजरनिया, विकास, कैलाश, मनोरमा, नगीना, रौशन, चिंटू , अशोक, संजय, मनोज, लखन एवं अन्य शामिल है। ये श्रेष्ठजन रहे मौजूद-कार्यक्रम में धर्म जागरण मंच के प्रांत संयोजक अरुण कुमार,  भाजपा के जिला मंत्री आलोक कुमार सिंह, धर्म जागरण मंच के जिला संयोजक अजीत कुमार सिंह, परियोजना प्रभारी संतोष पांडेय एवं स्थानीय समाजसेवी बिजेंद्र कुमार सिंह की गिरमामयी उपस्थिति रही। 


इन लोगों ने अपने संबोधन में कहा कि ये लोग गलती से भटक कर सनातन धर्म से विमुख हो गए थे। अब सनातन धर्म में आपका हृदय से स्वागत है। घर वापसी के दौरान सामूहिक हवन पूजन के बाद प्रसाद भी बांटे गये। देव के इलाके से मिशनरियों के उखड़े पांव-देव का यह इलाका अत्यंत नक्सल प्रभावित रहा है। एक समय इस पूरे इलाके में नक्सलियों की तुती बोलती थी लेकिन विकास की किरणों के इलाके में गांव-गांव तक पहुंचने और केंद्रीय सुरक्षा बलो के ऑपरेशन से इलाके में यह प्रभाव क्षीण हो गया है। नक्सल प्रभाव के क्षीण हाेने के बाद यह इलाका मिशनरियों को अपने लिए मुफीद लगा। उन्हे अपने प्रयास में सफलता भी मिली। बाद में जानकारी मिलने पर जब हिंदु संगठनों ने काम शुरू किया तो मिशनरियों के पांव उखड़ गये और अब घर वापसी शुरू हो गई। यह सिलसिला आगे भी चलने की उम्मीद जतायी जा रही है।