अमित शाह के पटना पहुंचने से पहले मांझी और कुशवाहा से मिलने पहुंचे मोदी के दूत, कहा -जहां से जिसकी पकड़ बेहतर उसे मिलेगी सीट

अमित शाह के पटना पहुंचने से पहले मांझी और कुशवाहा से मिलने पहुंचे मोदी के दूत, कहा -जहां से जिसकी पकड़ बेहतर उसे मिलेगी सीट

PATNA : अब से कुछ ही देर बाद केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के दूसरे नंबर के नेता अमित शाह पटना आने वाले हैं और पटना में ओबीसी समाज को लेकर वह एक बड़ी जनसभा को संबोधित करने वाले हैं। लेकिन इस जनसभा से पहले भाजपा एनडीए में शामिल अतिपिछड़ा, पिछड़ा और दलित समाज की नाराजगी दूर करने के लिए बड़ी पहल करती हुई नजर आ रही है। वही वजह है कि मोदी अपने धूत के रूप में दो सांसदों को बिहार एनडीए में शामिल नेताओं के पास भेज रहे हैं और इन्हें मानाने की कोशिश भी कर रहे हैं। ऐस में अब आज जीतन राम मांझी के बेटे से मिलने मोदी कैबिनेट के मंत्री नित्यानंद पहुंचे। इस मुलाकात के बाद उन्होंने बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा है कि - जिसकी पकड़ जहां से होगी वहीं से चुनाव लड़ेगी। 


ऐसे में अब इस मुलाकात के बाद नित्यानंद राय और संतोष सुमन से अपनी प्रतिक्रिया भी जाहिर की है। इससे पहले बीते कल कुशवाहा ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी थी। आज संतोष सुमन ने कहा कि - आपसी सामंजस के साथ है गठबंधन हुआ है हम लोगों में कहीं कोई नाराज नहीं है। हम लोग साथ मिलकर पर काम कर रहे हैं कहीं पर कोई पेंच नहीं है। लोकसभा चुनाव में जो जहां पर लड़ना चाहेगा जहां उसकी अच्छी पकड़ होगी वहां से वह चुनाव लड़ेगा। बाकी इसके अलावा हम कुछ भी नहीं कहना चाहते हैं इस मामले में सब कुछ सही है और सब कुछ साथ है।


इसके साथ ही नित्यानंद राय ने कहा कि - सब कुछ ठीक है और संतोष मांझी भी हम लोगों से कहीं कोई नाराज नहीं है बल्कि सब लोग साथ हैं सब लोग साथ मिलकर काम करेंगे और सब लोग अपनी मजबूती से चुनाव लड़ेंगे। हम लोग सब लोग साथ मिलकर सब कुछ तय करते हैं और फिर उस पर आगे का काम करते हैं। 


दरअसल, अमित शाह के एनडीए में शामिल दलित समाज के नेता जीतन मांझी के बेटे संतोष सुमन से मुलाकात करने मोदी कैबिनेट के मंत्री नित्यानंद राय पहुंचे हमारी दूसरी तरफ ओबीसी समाज के नेता को मनाने के लिए भाजपा के सांसद और पूर्व बिहार प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल उनके आवास पर पहुंचे। इससे ठीक पहले बिहार एनडीए के एक और दलित समाज के नेता दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात करने पहुंचे। ऐसे में यह तमाम तस्वीरें दो कहानी बयां कर रही है। पहली तो यह तस्वीर सीट बंटवारे की कहानी कह रही है तो दूसरी लोकसभा चुनाव से पहले पिछड़े, अतिपिछड़े और दलित समाज को साथ ला कर इनकी नजारगी दूर करना भी बताया जा रहा है। 


आपको बताते चलें कि, बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. पिछले चुनाव में 17-17 सीटों पर भाजपा और जदयू, जबकि बाकी छह सीटें लोजपा को दी गयी थीं. इनमें 17 सीटों पर भाजपा, 16 सीटों पर जदयू और छह सीटों पर लोजपा को जीत मिली थी।