PATNA: 16 साल पहले 2005 में बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू-बीजेपी की साझा सरकार बनी थी. तब से हर साल सरकार की सालगिरह पर एनडीए गर्वमेंट की उपलब्धियां गिनायी जाती थीं. सरकार बकायदा समारोह कर रिपोर्ट कार्ड जारी करती थी, जिसमें किसी खास व्यक्ति या पार्टी नहीं बल्कि सरकार की उपलब्धियों का ब्योरा पेश किया जाता था. लेकिन वो दिन बीत गये. 2005 में एनडीए सरकार के गठन के 16वें सालगिरह पर आज पूरे राज्य में नीतीश का महिमामंडन होगा. ये कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं होगा बल्कि पूरे राज्य में जेडीयू के नेता समारोह कर नीतीश के 15 साल के बेमिसाल होने का प्रचार करेंगे.
अब नीतीश का रिपोर्ट कार्ड पेश होगा
हालांकि 2021 में नीतीश को सीएम बने 16 साल पूरे हो रहे हैं. लेकिन बीच में कुछ महीनों के लिए जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने थे. लिहाजा जेडीयू मान रही है कि नीतीश के मुख्यमंत्री बने 15 साल ही पूरे हुए हैं. आज पूरे बिहार में जेडीयू के नेता समारोह करेंगे औऱ जनता के सामने नीतीश कुमार का रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे. JDU के नेता बेमिसाल 15 साल के नारे के साथ नीतीश कुमार की उपलब्धियों का बखान करेंगे. पटना सहित बिहार के 40 स्थानों पर जेडीयू के वरिष्ठ नेता नीतीश का महिमामंडन करेंगे.
पटना में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और प्रदेश अध्य़क्ष उमेश कुशवाहा मौजूद रहेंगे. जेडीयू के जिन मंत्रियों को जिन जिलों का प्रभार मिला है उन्हें वहीं कार्यक्रम करने को कहा गया है. बाकी जिलों में पार्टी के दूसरे प्रमुख नेताओं को समारोह आय़ोजित करने के लिए भेज दिया गया है.
विधानसभा चुनाव के बाद जदयू की ओर से पहली दफे इतने बड़े स्तर पर किसी कार्यक्रम का आय़ोजिन किया जा रहा है. पार्टी लोगों को बताना चाह रही है कि बिहार में पिछले 15 साल में जो कुछ अच्छा काम हुआ है उसके लिए सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार जिम्मेवार हैं. इस कार्यक्रम के बाद जेडीयू अभी से ही 2024 के लोकसभा चुनाव औऱ 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर देगी.
बीजेपी को कोई भाव नहीं
जेडीयू का ये खेल दिलचस्प है. नीतीश के जिन 15 सालों का जिक्र किया जा रहा है उनमें 13 साल वे बीजेपी की मदद से ही मुख्यमंत्री बने रहे हैं. अभी की हालत तो ये है कि नीतीश कुमार तीसरे नंबर की पार्टी के नेता होने के बावजूद बीजेपी के कारण मुख्यमंत्री बने हुए हैं. लेकिन जेडीयू बीजेपी को किसी काम का कोई क्रेडिट देने को तैयार नहीं है. 2005 से 2013 तक जब एनडीए-1 की सरकार का दौर था तो हर साल सरकार की सालगिरह पर सरकारी कार्यक्रम होता था. उसमें सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी होता था. लेकिन अब नीतीश सिर्फ अपना गुणगान करा रहे हैं.
दिलचस्प बात ये भी है कि जेडीयू के इस खेल को समझ कर भी बीजेपी न कुछ बोल पा रही है औऱ ना ही कुछ कर पा रही है. बीजेपी ये भी बोलने की स्थिति में नहीं है कि नीतीश उसकी उदारता के कारण ही मुख्य़मंत्री पद संभाल रहे हैं. वर्ना जनता ने तो नीतीश औऱ उनकी पार्टी जेडीयू को रिजेक्ट कर दिया था. अब स्थिति ये है कि सरकार के गलत फैसलों का खामियाजा तो बीजेपी को भुगतना पड़ रहा है लेकिन सारी उपलब्धियां नीतीश अपने खाते में ले रहे हैं.