अब जेडीयू महासचिव ने जातीय गणना पर उठाये गंभीर सवाल: नीतीश कुमार को लिखा पत्र, धानुक जाति की संख्या कम कैसे हो गयी?

अब जेडीयू महासचिव ने जातीय गणना पर उठाये गंभीर सवाल: नीतीश कुमार को लिखा पत्र, धानुक जाति की संख्या कम कैसे हो गयी?

PATNA: नीतीश सरकार की जातीय जनगणना के आंकड़ों पर विपक्षी पार्टियों के नेता पहले से सवाल उठा रहे थे. अब सत्तारूढ़ पार्टियों के नेताओं ने भी जातीय जनगणना को गलत बताना शुरू कर दिया है. जेडीयू के प्रदेश महासचिव प्रगति मेहता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा है कि जातीय जनगणना में धानुक जाति के साथ गलत किया गया है. इसकी जांच करा कर फिर से रिपोर्ट प्रकाशित करायें.


धानुक की संख्या कुर्मी से भी कम

जेडीयू के प्रदेश महासचिव प्रगति मेहता ने नीतीश कुमार को पत्र लिखा है. प्रगति मेहता ने अपने पत्र में कहा है कि जातीय गणना की रिपोर्ट में धानुक जाति की आबादी मात्र 2.1393% (2796605) बताई गई है, जो सही प्रतीत नहीं होता है. बिहार के विभिन्न जिलों में धानुक जाति की बहुलता है. मुंगेर, बेगुसराय, झंझारपुर, अररिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, जमुई, बांका, पटना, भागलपुर, शेखपुरा, लखीसराय, नालंदा सहित कई अन्य जिलों में इस जाति की बहुलता है.


प्रगति मेहता ने कहा है कि सिर्फ मोकामा टाल और बड़हिया टाल में 108 गांव  धानुक जाति की बहुलता वाले हैं. ऐसी ही स्थिति बिहार के कई और जिलों में भी है. धानुक जाति की संख्या कम बताने पर इस समाज के लोगों में नाराजगी है. जेडीयू महासचिव ने अपने पत्र में लिखा है कि बिहार भर से धानुक जाति के लोग सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं. हमलोगों को भी कई फोन कॉल्स आ रहे हैं.


जेडीयू के प्रदेश महासचिव ने मुख्यमंत्री से कहा है कि धानुक जाति के लोगों की इन आपत्तियों पर ध्यान देते हुए सम्बंधित विभाग और अधिकारियों को यह निर्देशित किया जाए की वह एक बार फिर से इन आंकड़ों पर गौर करें. धानुक जाति की आबादी का सही से आकलन कर नये सिरे से रिपोर्ट प्रकाशित की जाये.