बिहार विधानसभा में आरक्षण का मुद्दा उठा। पहले सेशन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर मोर्चा संभाला। आरक्षम को लेकर तीखी बहस की गई। उसके बाद दुसरे सेशन की शुरआत के साथ ही इस मुद्दे को लेकर विपक्ष के सीएम नीतीश कुमार के सामने ही हंगामा करने लगे। उसके बाद विस के स्पीकर ने इनलोगों को समझाया भी लेकिन इसका असर नहीं हुआ। विपक्ष के विधायक बेल में आकर हंगामा करना शुरू कर दिया। इसके साथ ही विपक्ष के विधायक पोस्टर लेकर हंगामा करने लगे।
वहीं, विपक्षी विधायक के तरफ से पोस्टर लेकर सदन में हंगामा किए जाने को लेकर स्पीकर ने मार्शल को आदेश दिया की वह विधायकों के पास मौजूद पोस्टर ले लें। उसके बाद भी विपक्ष के विधायक हंगामा करने लगे और आखिरी में वह वॉक आउट कर गए। इससे पहले स्पीकर ने उन्हें यह भी समझाया को कहा कि जो बात आप कर रहे हैं इसको लेकर सर्वसमति से फैसला हुआ है। उसके बाद यह मामला कोर्ट में पंहुचा और पहले सेशन में सरकार का जवाब भी आ गया है।
दरअसल, पहले सेशन में आरक्षण को लेकर बहस इतनी तीखी हो गई कि विपक्ष के नेता इस मुद्दे पर सदन से वॉकआउट कर गए। बाहर पत्रकारों से बातचीत में तेजस्वी यादव ने कहा कि सब संगत का असर है। हम लोग उन्हें ठीक करते हों तो वापस वैसे ही हो जाते हैं। इस मुद्दे पर विधानसभा में तेजस्वी यादव ने कहा कि जब हम साथ में सरकार में थे तब हमने जातीय आधारित गणना कराई थी। यह जातीय आधारित गणना इसलिए कराई गई थी क्योंकि राज्य सरकार जनगणना नहीं करा सकती है। इसलिए हमने सर्वे कराया था। उस सर्वे के आधार पर हम लोगों ने आरक्षण की सीमा 65 फीसदी करने का काम किया था। इसमें पिछड़े, अति पिछड़े और दलित और आदिवासी समाज के लोग शामिल थे। इसके अलावा EWS 10 प्रतिशत को उसी तरह रखा गया।
तेजस्वी यादव नेविधानसभा में कहा कि आज संविधान दिवस के मौके पर सरकार से अपेक्षा है कि सरकार यह बताए कि सरकार इसे फिर से लाने के लिए क्या कर रही है? नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि 9-11-2023 में मेरे जन्मदिन के अवसर पर यह पारित हुआ था। 20-06-2024 को इसको हाईकोर्ट ने मना कर दिया था और कहा था कि इसका पूरी स्टडी नहीं की गई थी और इसे निरस्त कर दिया गया। तेजस्वी ने आगे कहा कि संदेह सीएम को या हमको पहले से था कि भाजपा के लोग किसी ना किसी तरह से कोर्ट जाकर इसको निरस्त कराएंगे।