MUZAFFARPUR : बीते साल बिहार के मुजफ्फरपुर के छात्रा के अपहरण मामले में पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के एसएसपी को 24 नवंबर को तलब किया है। साथ ही कोर्ट ने पूछा कि क्या वो इस केस को सुलझा सकते हैं या नहीं। यह अपहरण का मामला 11 महीने पुराना है। अब इस मामले में शुक्रवार को न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने सुनवाई की।
दरअसल, मुजफ्फरपुर के सदर थाना क्षेत्र के एक मोहल्ले से गायब एमबीए छात्रा के अपहरण और गिरफ्तार संदिग्धों का बयान कोर्ट में दर्ज नहीं कराने के मामले में हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर एसएसपी को तलब किया है। उन्हें 24 नवंबर को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। राज्य सरकार की ओर से इस केस में एक जवाब दाखिल कर कोर्ट को बताया गया कि जांच अधिकारी को कई अहम निर्देश दिए गए हैं।
बताया जा रहा है कि सदर थाना क्षेत्र से11 महीने पहले अगवा 22 वर्षीय छात्रा के मामले में कोर्ट ने एसएसपी से जानना चाहा कि वे इस केस को सुलझा सकते हैं या नहीं? नहीं तो हाईकोर्ट यह तय करेगा की राज्य की पुलिस फेल हो गई है। कोर्ट ने आर्थिक अपराध इकाई को आदेश दिया कि अगली सुनवाई के पूर्व पीड़िता के सोशल मीडिया और अन्य सोशल एकाउंट की तहकीकात के साथ इस मामले में संदिग्धों के कॉल डिटेल्स से संबंधित पड़ताल की रिपोर्ट पेश करें।
वहीं, बच्ची के नाना की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार और अरविंद कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि- पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसएसपी को निर्देश दिया था, लेकिन पालन नहीं किया गया। इसका पूरा फायदा अभियुक्तों को मिलेगा। उन्होंने अखबार में छपी खबर का हवाला देते हुए कहा कि राज्य से करीब तीन हजार लड़कियां गायब हैं। आखिर बच्चियां कहां चली गईं, इस पर क्यों नहीं जांच की जाती?
मालूम हो कि, 11 महीने पहले एमबीए छात्रा का अपहरण भगवानपुर चौक से बीते साल 12 दिसंबर को कर लिया गया था। मामले में छात्रा के नाना ने सदर थाने में एफआईआर कराई थी। पुलिस को जांच में पता चला कि सोनू कुमार नाम के एक शख्स ने दो महिलाओं के साथ भगवानपुर से नशे का इंजेक्शन देकर छात्रा का अपहरण कर लिया है। इसके बाद उसे चतुर्भुज स्थान में बेच दिया है। यह पता चलने के बाद भी पुलिस ने सोनू को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया। बाद में गिरफ्तार दो महिलाओं ने पुलिस को कई तथ्यों की जानकारी दी। इसी बीच अपहृत लड़की के परिजनों ने डीजीपी, मानवाधिकार आयोग, साइबर क्राइम ब्रांच से गुहार लगाई, लेकिन कहीं से कुछ नहीं हुआ।
उधर, सोशल मीडिया पर छात्रा को बरामद करने को लेकर अभियान चलाया गया था। समाहरणालय परिसर में धरना तक दिया जा चुका है। तत्कालीन थानेदार सत्येंद्र कुमार मिश्र ने छात्रा की बरामदगी को लेकर चतुर्भुज स्थान इलाके में छापेमारी की थी। हालांकि इसमें पुलिस को सफलता नहीं मिली थी। वरीय पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर विशेष टीम का गठन किया गया था।