DESK : कुछ दिनों से लगातार बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों का असर जल्द ही बाज़ार पर दिखने लगेगा. छोटे ट्रांसपोर्टरों के समक्ष लॉक डाउन की वजह से पहले से ही रोजी रोटी का संकट था, जो बढ़ते पेट्रोल और डीजल की वजह से और गहरा गया है. बढ़ते की मतों का सीधा असर माल ढुलाई की दरों पर पड़ने वाला है जिस वजह से आने वाले वक़्त में फल-सब्जी, दूध, अंडा सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर पड़ने वाला है.
ट्रांसपोर्ट क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि पहले जब लॉकडाउन था तो काम पूरी तरह ठप था, अब जब देश अनलॉक हुआ है तो कम मांग और वापसी में बुकिंग नहीं मिलने से 60 फीसदी ट्रक पहले ही खड़े हैं. ऐसे में बढ़ते कीमतों का बड़ा असर पड़ने वाला है.
देश की सबसे बड़े ट्रांसपोर्टर यूनियन आल इंडिया मोटर कांग्रेस के अध्यक्ष कुलतार अटवाल ने बताया कि पिछले 17 दिन में डीजल के दाम 10.25 पैसे बढ चुके हैं. इससे ट्रक ऑपरेशन की कीमत 20 फीसदी तक बढ़ी है. उदाहरण के लिए लॉकडाउन के पहले दिल्ली-कोलकता के बीच ट्रक (10 टायर) का किराया 55,000 रुपये व कोलकाता-दिल्ली 48,000 रुपये किराया था. कुल खर्च 82,000 होता था और 21 हजार रुपये की बचत होती थी. उस समय महीने में ढाई ट्रिप लगते थे.
अनलॉक 1 में डीजल के दाम में बढ़ोत्तरी के बाद दिल्ली-कोलकाता किराया 58,000 व कोलकाता-दिल्ली किराया 42,000 है। कुल खर्च 92,000 है और बचत महज 1000 रुपये रह गई है. उनके अनुसार महीने में अब सिर्फ दो चक्कर लग पा रहे हैं. उपरोक्त खर्चों में ड्राइवर का वेतन और अन्य खर्च शामिल नहीं है. इसलिए भाड़े में बढ़ोतरी होने पर जनता को मंहगाई की मार सहने के लिए तैयार रहना होगा.
बता दें कि, पेट्रोल और डीजल के दाम में इजाफे का यह सिलसिला 82 दिनों तक दाम स्थिर रहने के बाद सात जून से शुरू हुआ था. पिछले 19 दिनों में पेट्रोल-डीजल में आया उछाल वर्ष 2002 के बाद सबसे बड़ा है. पिछले 18 साल में हर 15 दिन में अधिकतम 4-5 रुपये की बढ़ोतरी ही हुई. रोज कीमत तय करने की व्यवस्था मई 2017 से लागू हुई.
रोजाना 6 बजे तय होते हैं पेट्रोल-डीजल के रेट
ऑयल मार्केटिंग कंपनियां कीमतों की समीक्षा के बाद रोज़ाना पेट्रोल और डीजल के रेट तय करती हैं. इंडियन ऑयल , भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम रोज़ाना सुबह 6 बजे पेट्रोल और डीजल की दरों में संशोधन कर जारी करती हैं.