PATNA : नीतीश कुमार ने 28 दिनों के बाद अपनी कैबिनेट की बैठक बुलायी है. कल शाम साढ़े चार बजे नीतीश कैबिनेट की बैठक बुलायी गयी है. सत्ता के गलियारे में सरकार के भीतर खींच-तान की चर्चा आम है.
गौरतलब है कि 16 नवंबर को नये मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के बाद अगले दिन यानि 17 नवंबर को राज्य कैबिनेट की बैठक बुलायी गयी थी. उस वक्त कैबिनेट की बैठक बुलाना संवैधानिक बाध्यता थी क्योंकि कैबिनेट की बैठक करके ही विधानमंडल का सत्र बुलाने का फैसला लिया जा सकता था. नयी सरकार बनने के बाद विधान मंडल का सत्र बुलाना संवैधानिक बाध्यता है. 17 नवंबर को हुई औपचारिक बैठक के बाद नीतीश कैबिनेट की कोई बैठक ही नहीं हुई.
बीजेपी-जेडीयू में खींचतान की चर्चा आम थी
दरअसल राज्य कैबिनेट की बैठक में ही अहम सरकारी फैसले लिये जाते हैं. पिछले 28 दिनों से कैबिनेट की बैठक नहीं होने से सरकार कोई बडा फैसला नहीं ले पायी थी. बिहार में हर सप्ताह कैबिनेट की बैठक करने की परंपरा रही है. कोरोना काल और चुनाव के दौरान आचार संहिता वाले समय को छोड़ दें तो नीतीश कुमार हर सप्ताह कैबिनेट की बैठक करते रहे हैं. कई दफे तो एक सप्ताह में दो दफे कैबिनेट की बैठक होती रही है.
कैबिनेट की बैठक नहीं होने से सरकार के भीतर खींचतान की चर्चा आम थी. सत्ता के गलियारे में चर्चा हो रही थी कि जेडीयू और बीजेपी के बीच घमासान शुरू हो गया है और सरकार पर इसका असर दिखने लगा है. नीतीश कुमार बीजेपी के नये मंत्रियों के साथ खुद को सहज महसूस नहीं कर रहे थे. लिहाजा कैबिनेट की बैठक टाली जी रही थी.
मंत्रिमंडल विस्तार का भी अता-पता नहीं
16 नवंबर को नयी सरकार के गठन के वक्त ही बीजेपी-जेडीयू में ये तय हुआ था कि जल्द ही कैबिनेट का विस्तार कर नये मंत्रियों को शामिल कर लिया जायेगा. लिहाजा नीतीश कुमार ने विधानमंडल सत्र के बाद 29 नवंबर को कैबिनेट के विस्तार की योजना बनायी थी. लेकिन सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने अपने कोटे के मंत्रियों की सूची ही नहीं दी. लिहाजा कैबिनेट का विस्तार नहीं हो पाया.
जेडीयू के हिस्से का विभाग चाहती है बीजेपी
बीजेपी के एक नेता ने बताया कि चुनाव में बीजेपी को जेडीयू की तुलना में काफी ज्यादा सीटें मिली हैं. बीजेपी ने मुख्यमंत्री का पद जेडीयू को दे दिया लेकिन उसे अपने विधायकों की संख्या के अनुपात में मंत्री पद और विभाग चाहिये. नीतीश कुमार ने विभागों के बंटवारे के वक्त पिछली सरकार में अपने कोटे के लगभग सारे विभागों को अपने ही पास रख लिया है. जेडीयू कोटे के सिर्फ तीन महत्वहीन विभाग बीजेपी को दिये गये. बीजेपी इससे संतुष्ट नहीं है.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पार्टी नेतृत्व चाहता है कि शिक्षा, जल संसाधन विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग में से दो विभाग बीजेपी के हिस्से में आये. जेडीयू गृह और सामान्य प्रशासन विभाग अपने पास रख चुका है. लेकिन अब दूसरे अहम विभागों पर बीजेपी समझौते के मूड में नहीं है.