2005 वाली इमेज वापस पाना चाहते हैं नीतीश, साख बचाने के लिए पुराने एजेंडे पर लौटने की कोशिश

2005 वाली इमेज वापस पाना चाहते हैं नीतीश, साख बचाने के लिए पुराने एजेंडे पर लौटने की कोशिश

PATNA : समाज सुधार अभियान पर निकले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पुरानी इमेज को दोबारा जनता के बीच स्थापित करना चाहते हैं। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड को जिस तरह तीसरे नंबर की पार्टी बनना पड़ा उसके बाद नीतीश कुमार अपनी साख बचाने के लिए लगातार उस अंदाज में काम कर रहे हैं जो 2005 में सत्ता संभालते वक्त नजर आया था। नीतीश कुमार 2005 से 2010 और उसके बाद एनडीए गठबंधन टूटने तक के दौर वाली इमेज वापस पाना चाहते हैं।


बिहार में लालू राबड़ी शासनकाल खत्म होने के बाद नीतीश जब सत्ता में आए थे तो उन्होंने कानून व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए सबसे बड़े फैसले किए थे लॉयन ऑर्डर ठीक होने की वजह से ही नीतीश की इमेज बेहतरीन बनी और हर तरफ उनकी तारीफ होने लगी। लेकिन हाल के दिनों में बिहार के अंदर कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है जानकार मानते हैं कि शराबबंदी अभियान पर खास फोकस की वजह से भी पुलिस अपराधियों पर ज्यादा एक्शन नहीं ले पा रही है। पुलिस के दिलचस्पी मुख्यमंत्री के निर्देश के मुताबिक के शराबबंदी अभियान को सफल बनाने में रहती है। इसका फायदा अपराधियों को मिल रहा है लेकिन अब नीतीश अपने पुराने एजेंडे पर वापस लौट सकते हैं।


दरअसल बिहार में शराबबंदी कानून को सफल बनाने के साथ-साथ अब सरकार अन्य तरह के गंभीर अपराध में शामिल अपराधियों के खिलाफ स्पीडी ट्रायल अभियान को रफ्तार देने की तैयारी में है। इस मामले में सरकार की तरफ से अपर मुख्य सचिव ने सभी जिलों के डीएम और एसएसपी-एसपी को निर्देश जारी किया है। सरकार के इस फरमान में कहा गया है कि बड़े अपराधों जैसे हत्या, सामूहिक हत्या, फिरौती के लिए किडनैपिंग, अन्य तरह के संगठित अपराध जैसे बैंक डकैती, गाड़ी की चोरी, लूट, एटीएम चोरी, आर्म्स एक्ट के साथ साथ रेप, गैंगरेप और महिलाओं के साथ किए गए यौन संबंधित अपराध के मामले में आरोपियों की सूची जल्द बनाई जाए। 


इन मामलों में जो लोग आरोपी बनाए गए हैं उनके खिलाफ कैसे तेजी के साथ स्पीडी ट्रायल कराते हुए सजा दिलाई जाए इसे सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है। अपर मुख्य सचिव की तरफ से जिलों को भेजे गए फरमान में कहा गया है कि स्पीडी ट्रायल के लिए जिलाधिकारी तुरंत अपनी मंजूरी दें। सरकार के इस फरमान का असर भी दिखने लगा है अब सभी थानेदार अपने-अपने थाने के अंदर ऐसे मामलों में शामिल अपराधियों की लिस्ट बनाने में जुट गए हैं। जिलास्तर पर लिस्ट की समीक्षा की जाएगी और इससे पुलिस मुख्यालय भेजा जाएगा। पुलिस मुख्यालय को जब सूची उपलब्ध हो जाएगी तो ऐसे मामलों में स्पीडी ट्रायल की कार्रवाई तेज की जाएगी।


अपराध के मामलों में कमी लाने और कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए नीतीश कुमार अपने उसी एजेंडे पर वापस लौटने की तैयारी में नजर आ रहे हैं जो उन्होंने अपने शुरुआती दौर में अपनाया था। अपने शासन के शुरुआती 5 से 7 सालों में नीतीश कुमार ने बिहार में स्पीडी ट्रायल पर खास फोकस कर आया था और अपराध से जुड़े मामलों में अभियुक्तों को खूब सजा भी दिलाई गई थी। अब एक बार फिर स्पीडी ट्रायल को रफ्तार देने की तैयारी है। वैसे मामले में आरोप पत्र दायर किया जा चुका है और आरोपियों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया सुस्त पड़ी हुई है उसे तेजी देने की तैयारी है। अगर ऐसा होता है तो नीतीश कुमार को इसका वापस से फायदा मिल सकता है क्योंकि यह बात सभी जानते हैं कि नीतीश की यूएसपी सुशासन ही रही है।