PATNA : बीजेपी विधायक अनिल कुमार को कोटा जाकर अपनी बेटी को लाने के लिए पास जारी करने वाले नवादा के पूर्व एसडीएम अनु कुमार का निलंबन आखिरकार वापस हो गया है. नीतीश सरकार ने एक्शन के 15 दिनों के अंदर ही उन्हें निलंबन मुक्त कर दिया है. फर्स्ट बिहार ने पहले ही इस बात की जानकारी दे दी थी कि सरकार अपने फैसले को वापस लेने वाली है. आखिरकार शुक्रवार को सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी.
सरकार को हुआ गलती का अहसास
गौरतलब है कि 21 अप्रैल को राज्य सरकार ने नवादा सदर एसडीओ अनु कुमार को सस्पेंड कर दिया था. राज्य सरकार ने कहा था कि अनु कुमार ने विधायक अनिल कुमार को कोटा जाकर अपनी बेटी को लाने का पास जारी करनेमें लापरवाही बरती. इस मामले में डीएम की रिपोर्ट के आधार पर एसडीओ अनु कुमार को सस्पेंड कर दिया गया था.
दरअसल इस मामले में नीतीश सरकार की भारी फजीहत हो गयी थी. इस वाकये से पहले नीतीश कुमार बिहार से बाहर फंसे बिहारियों को वापस लाने से इंकार कर चुके थे. इसी बीच खबर आयी कि नवादा एसडीओ ने बीजेपी के विधायक को पास जारी कर दिया है. इज्जत बचाने में लगी सरकार ने एसडीओ अनु कुमार को सस्पेंड कर दिया. लेकिन अनु कुमार के सस्पेंड होने के बाद सरकार को अपनी गलती का अहसास हुआ. दरअसल बिहार के एक दर्जन से ज्यादा जिलों में जिला प्रशासन ने रसूखदार लोगों को कोटा जाकर अपने बच्चों को लाने का पास जारी किया था. पास जारी करने वालों में कई डीएम भी शामिल थे. सोशल मीडिया पर ऐसे कई पास वायरल होने लगे थे जिन्हें सरकार के खास माने जाने वाले जिलाधिकारियों ने जारी किया था.
फंसने के बाद सरकार का यू टर्न
नवादा के एसडीएम के निलंबन के मामले में बिहार प्रशासनिक सेवा संघ ने भी मोर्चा खोल दिया था. प्रशासनिक सेवा संघ ने पास जारी करने वाले जिलाधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की थी. वैसे भी लॉकडाउन के दौरान पास जारी करने का अधिकार सिर्फ डीएम को था. लिहाजा अगर पास जारी हुआ तो इसके लिए नियमतः डीएम को ही जिम्मेवार माना जाता. जानकारों की मानें तो अपने जिलाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का साहस जुटाना नीतीश कुमार के लिए असंभव काम है.
काफी सोच-विचार करने के बाद सरकार ने इस मामले में अपने ही फैसले से यू टर्न लेते हुए एसडीएम कोर्ट निलंबन मुक्त कर दिया है. फिलहाल उन्हें मुख्यालय में योगदान करने को कहा गया है लेकिन उनके खिलाफ विभागीय जांच और कार्रवाई चलती रहेगी.