PATNA : बिहार में जैसे-जैसे आम चुनाव को लेकर मतदान का समय नजदीक आ रहा है, वैसे -वैसे नेताओं के बोल भी बदल रहे हैं। जहां महागठबंधन के नेता यह कह रहे हैं कि एनडीए के नेता मुद्दे की बात नहीं करते बल्कि हिंदू-मुस्लिम और मंदिर -मस्जिद को लेकर लोगों को भटकाने की कोशिश में लगे हैं। जबकि एनडीए के नेता लगातार लालू -राबड़ी के शासनकाल को लेकर सवाल उठाते रहते हैं। एनडीए के नेता इन 15 सालों के शासनकाल की तुलना जंगलराज से करते हैं और कई तरह के डाटा भी लेकर सामने आते हैं। ऐसे में अब जदयू के मुख्य प्रवक्ता ने एक बार फिर लालू -राबड़ी शासनकाल पर सवाल उठाए हैं और राजद पर संगीन आरोप भी लगाए है।
जदयू प्रवक्ता ने राजद सुप्रीमों लालू यादव और उनके छोटे बेटेऔर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से सवाल किया है कि वह इन दिनों रोजगार और मुद्दे की बात कर रहे हैं तो पहले उन्हें यह बताना चाहिए कि बिहार में जो 118 नरसंहार हुए, पहले उसका जवाब तेजस्वी यादव दें। उनको अपने मां- बाप के शासनकाल का हिसाब देना चाहिए। जवाब और हिसाब के बीच राजनीति की दो पीढियां सामने आई हैं तो इसका गुनाहगार कौन था ? इसमें दलित, शोषित और सामान्य वर्ग के लोगों का कत्ले आम मच गया था। कौन है इसका जिम्मेदार, इसका जवाब कौन देगा कि इसके आरोपियों को संरक्षण देने का काम किसने किया था।
इससे पहले लोकसभा चुनाव में नवादा संसदीय क्षेत्र के लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुजुर्गों से अपील की है कि वे नई पीढ़ी को जंगलराज के बारे में बताएं। नई पीढ़ी उस दौर को भूल चुकी है। इसलिए आज के 25-30 साल के नौजवानों को बताएं कि कैसे उस समय शाम होते ही लोग घरों में कैद हो जाते थे। महिलाएं घरों से बाहर नहीं निकलती थी। आज सभी बेरोकटोक घूम रहे हैं।
उधर, 15 वर्ष तक जिन पति-पत्नी को आप लोगों ने राज करने का मौका दिया तो उन्होंने कुछ नहीं किया। गलती से कुछ दिनों तक सरकार में रहने का मौका दिया तो दावा कर रहे हैं कि हमने बड़ा काम किया है। वे क्या काम करेंगे? जब काम करने मौका मिला तो कुछ नहीं किए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि याद कीजिए कि पहले हिंदू-मुसलमान में कितना झगड़ा होता था। हमारे कार्यकाल के 18 वर्षों में कहीं भी झगड़ा-झंझट नहीं हुआ। हमने कब्रिस्तानों की घेराबंदी कराई। आठ हजार कब्रिस्तानों की घेराबंदी हो चुकी है।