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11 साल बाद शिवयोग में महाशिवरात्रि, जलाभिषेक के लिए मिलेगा बस इतना समय; जानें मुहूर्त और पूजा विधि

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 08 Mar 2024 07:01:48 AM IST

11 साल बाद शिवयोग में महाशिवरात्रि, जलाभिषेक के लिए मिलेगा बस इतना समय; जानें मुहूर्त और पूजा विधि

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PATNA : इस वर्ष महाशिवरात्रि 11 साल बाद शिवयोग में 8 मार्च शुक्रवार को मनाई जाएगी। भक्तों के लिए इस दिन परमसिद्ध योग भी बन रहा है। ज्योतिर्विद ने बताया कि इस दिन व्रत रखने से महाशिवरात्रि और शुक्र प्रदोष व्रत का लाभ एक साथ प्राप्त होगा। व्रत रहकर श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ को जल, दूध, बेलपत्र, भांग,धतूरा व पुष्प इत्यादि अर्पण कर पूजा-अर्चना करेंगे। इस दिन मंदिरों व घरों में भजन-कीर्तन-रात्रिजागरण का भी कार्यक्रम होगा।


वहीं, भगवान शिव की पूजा में रुद्राक्ष, भस्म और त्रिपुंड धारण का विशेष महत्व है। ये तीनों वस्तुएं सुलभ हैं। शिवलिंग पर बिल्वपत्र, आक, कनेर‌, द्रोण, कुश‌ धतूरा एवं शमी के फूल, अपामार्ग (चिचिड़ा), शमी के पत्ते और नीलकमल अर्पित करने का विशेष महत्व है। भगवान शिव को कुछ ऐसी वस्तुएं अर्पित की जाती हैं, जो अन्य देवताओं को नहीं चढ़ाई जाती हैं। बताया कि महाशिवरात्रि पर शिव जी के निमित्त उपवास करते हुए मन, वचन और कर्म से उनके लिए किया गया पूजन कल्याण करने वाला होता है। महिलाएं महाशिवरात्रि का व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखेंगी।


पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 8 मार्च 2024 को रात 09.57 से शुरू होकर 9 मार्च 2024 को शाम 06.17 तक रहेगी। शिव का जलाभिषेक गंगाजल, साफ जल, दूध, पंचामृत से किया जाता है।  शिव एक लौटा जल से प्रसन्न हो जाते हैं। मंदिर में जलाभिषेक के लिए भी घर से लौटे में जल भरकर ले जाएं। महाशिवरात्रि की पूजा में शिव को दूध चढ़ाया जाए तो उससे उत्तम स्वास्थ लाभ मिलता है। भोलेनाथ को शहद चढ़ाने से हमारी वाणी में मिठास आती है।  शिवजी को चंदन चढ़ाने से समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। शिवलिंग पर घी अर्पित करने से हमारी शक्ति बढ़ती है। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग को दही अर्पित करने से स्वभाव में गंभीरता आती है। बेलपत्र शिव का ही रूप माना गया है, बेलपत्र की तीन पत्तियां भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक हैं। 


इसके साथ ही महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का जलाभिषेक करते वक्त मुख उत्तर दिशा की ओर रखें. ध्यार रहे पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल न चढ़ाएं क्योंकि ये दिशा  भगवान शिव का प्रवेश द्वार मानी जाती है। महाशिवरात्र के दिन शिवलिंग पर पतली जल की धारा बनाकर अर्पित करें, साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।कभी भी एक साथ पूरा जल न चढ़ाएं. न ही खड़े होकर जल चढ़ाएं और साथ ही बैठकर जल चढ़ाना चाहिए। जल के लिए बर्तन- महाशिवरात्रि की पूजा के समय जलाभिषेक के लिए तांबे के लोटे का ही इस्तेमाल करें। दूध चढ़ाने के लिए स्टील या पीतल का लोटा ले।