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Vikram misri: विदेश सचिव विक्रम मिसरी को सोशल मीडिया पर निशाना, समर्थन में उतरे IAS और IPS अफसर

Vikram misri: भारत-पाकिस्तान सीजफायर के ऐलान के बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया। ट्रोलर्स ने उनकी बेटी का मोबाइल नंबर तक वायरल कर दिया। IAS, IPS संगठनों और कई नेताओं ने एकजुट होकर उनका समर्थन किया है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 13 May 2025 08:24:21 AM IST

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Vikram misri - फ़ोटो Google

Vikram misri: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में घोषित सीजफायर के बाद देश के वरिष्ठ राजनयिक और विदेश सचिव विक्रम मिसरी को ऑनलाइन ट्रोलर्स के क्रूर हमलों का सामना करना पड़ा। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब ट्रोलर्स ने उनकी बेटी का निजी मोबाइल नंबर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इस घटना के खिलाफ देशभर में प्रशासनिक अधिकारियों, राजनयिकों और नेताओं ने एक सुर में आवाज उठाई है।


सोशल मीडिया पर जहर उगलते ट्रोलर्स

सीजफायर की घोषणा के बाद विक्रम मिसरी को पाकिस्तान समर्थक बताकर गालियां दी जाने लगीं। ट्रोलर्स ने सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ भ्रामक और अपमानजनक सामग्री पोस्ट की। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि मिसरी को अपना X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट तक लॉक करना पड़ा।


IAS-IPS संगठनों का खुला समर्थन

IAS और IPS एसोसिएशनों ने मिसरी के खिलाफ हो रहे हमलों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह किसी भी ईमानदार सिविल सेवक के लिए अपमानजनक और अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि विक्रम मिसरी ने हमेशा राष्ट्रहित में कार्य किया है और उनकी छवि बेदाग रही है।


IAS एसोसिएशन ने अपने आधिकारिक बयान में कहा,

"हम सार्वजनिक सेवा के सम्मान और मिसरी परिवार के साथ मजबूती से खड़े हैं। ऐसे निजी हमले निंदनीय हैं और यह दर्शाते हैं कि कुछ लोग सिविल सेवा की मर्यादा को नहीं समझते।"


राजनेता भी आए समर्थन में

राजनीतिक दलों की ओर से भी मिसरी के पक्ष में प्रतिक्रियाएं आई हैं। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि "किसी भी अधिकारी को निशाना बनाना गलत है, खासकर जब वह देश के लिए निस्वार्थ काम कर रहे हों।"AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मिसरी को "मेहनती और देशभक्त राजनयिक" बताया और कहा कि "सिविल सेवकों को किसी राजनीतिक फैसले के लिए दोष देना अनुचित है। वहीँ "सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि "सरकार को ऐसे ट्रोलर्स पर कार्रवाई करनी चाहिए जो ईमानदार अधिकारियों का मनोबल तोड़ने का प्रयास करते हैं।"


विक्रम मिसरी के खिलाफ चल रहे इस दुष्प्रचार अभियान ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सोशल मीडिया पर सिविल सेवकों की गरिमा और निजता की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। साथ ही यह भी साफ हो गया है कि सच्चाई के साथ खड़े रहने वाले अधिकारियों के लिए देश में बड़ा समर्थन मौजूद है।