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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 09 May 2025 03:17:23 PM IST
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर अमेरिका का बयान - फ़ोटो Google
JD Vance: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच अमेरिका ने अब स्पष्ट कर दिया है कि वह इस संघर्ष में सैन्य हस्तक्षेप नहीं करेगा। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा, “भारत-पाकिस्तान का संघर्ष हमारा मामला नहीं है और अमेरिका इसे नियंत्रित नहीं कर सकता।” यह बयान ऑपरेशन सिंदूर के बाद आया, जिसमें भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किए, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने 8 मई को जम्मू, पठानकोट और उधमपुर में ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिन्हें भारत ने नाकाम कर दिया।
वेंस ने कहा है कि अमेरिका दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों से तनाव कम करने की अपील करेगा, लेकिन “हम न तो भारत को हथियार डालने कह सकते हैं, न ही पाकिस्तान को।” वेंस ने यह चिंता भी जताई कि दो परमाणु शक्तियों का टकराव खतरनाक हो सकता है, खासकर अगर यह क्षेत्रीय या परमाणु युद्ध में बदल जाए तो। हालांकि, उन्होंने कहा, “हमें नहीं लगता कि ऐसा होगा।” अमेरिका कूटनीतिक चैनलों के जरिए तनाव कम करने की कोशिश कर रहा है, जैसा कि विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ से बातचीत में किया।
उधर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा, “मैं दोनों देशों से अच्छे रिश्ते चाहता हूं। अगर मैं मदद कर सकता हूं, तो मौजूद हूं।” यह बयान 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई और पाकिस्तान के आर्थिक संकट के बीच आया है, जहां इस्लामाबाद IMF से $1.3 बिलियन लोन की गुहार लगा रहा है।
आपको याद होगा कि वेंस ने अप्रैल 2025 में भारत दौरे के दौरान पहलगाम हमले की निंदा की थी और भारत के आतंकवाद-विरोधी प्रयासों का समर्थन किया था, लेकिन साथ ही क्षेत्रीय स्थिरता पर भी जोर दिया था। विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका का यह तटस्थ रुख भारत को अपनी रणनीति पर ध्यान केंद्रित करने का मौका देता है, लेकिन पाकिस्तान को भी कूटनीतिक अलगाव का सामना करना पड़ सकता है।
इधर कुछ लोग इसे अमेरिका की “दोहरी नीति” बता रहे हैं, उनका कहना है कि “वेंस का बयान दिखावा है, अमेरिका चुपके से पाक को लोन दिलवाएगा।” अब असल में होता क्या है यह तो आने वाले दिनों में ही स्पष्ट हो सकेगा। एक बात तो तय है कि इस बार पाकिस्तान को बचाने कोई नहीं आ रहा। अगर आएगा भी तो उसे इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा क्योंकि यह मनमोहन सिंह वाला भारत नहीं है जो 26/11 हमले के बाद "ओबामा बचाओ-ओबामा बचाओ" चिल्लाने लगा था। यह मोदी का भारत है, जो तबाही मचाने की पूरी तैयारी रखता है। जिसका उदाहरण हमें पिछले 2 दिनों में देखने को मिल चुका है।