1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Tue, 09 Dec 2025 07:27:47 PM IST
प्रतिकात्मक - फ़ोटो Google
Hostel Controversy: महाराष्ट्र के पुणे में आदिवासी छात्राओं ने सरकारी छात्रावास प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। छात्राओं का कहना है कि छुट्टियों के बाद हॉस्टल लौटते ही उनसे जबरन प्रेगनेंसी टेस्ट कराया जाता है, और टेस्ट न कराने पर उन्हें हॉस्टल में प्रवेश तक नहीं दिया जाता। इस खुलासे के बाद मामला तेजी से चर्चा में है और छात्राएं इसे बेहद अपमानजनक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाला बता रही हैं।
छात्राओं के अनुसार, छुट्टियां खत्म होने पर हॉस्टल लौटते समय उन्हें प्रेगनेंसी टेस्ट किट दी जाती है। यह किट लेकर उन्हें सरकारी अस्पताल जाकर जांच करानी होती है और डॉक्टर से नेगेटिव रिपोर्ट प्राप्त करनी पड़ती है। यह रिपोर्ट जमा करने के बाद ही हॉस्टल में रहने की अनुमति दी जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रक्रिया लगभग हर बार दोहराई जाती है, जिससे कई छात्राएं मानसिक तनाव में रहती हैं।
कुछ छात्राओं ने बताया कि वे कई बार यह अनावश्यक टेस्ट करवा चुकी हैं। शादीशुदा न होने के बावजूद उन पर संदेह किया जाना उन्हें शर्मिंदा करता है। उनकी मानें तो यह प्रथा न सिर्फ असहज करती है बल्कि मानसिक शोषण जैसा महसूस होता है।
इसी तरह की शिकायतें पुणे के एक आश्रम स्कूल से भी सामने आई हैं। ये आश्रम स्कूल आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित होते हैं और दूरदराज के बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चलाए जाते हैं। आरोप है कि कई हॉस्टलों में लड़कियों के लिए प्रेगनेंसी टेस्ट अनिवार्य बना दिया गया है। कुछ अभिभावकों ने बताया कि टेस्ट किट का खर्च भी उन्हें ही वहन करना पड़ता है, जिसमें एक किट पर 150 से 200 रुपये खर्च होते हैं—गरीब परिवारों के लिए यह एक अतिरिक्त बोझ बन गया है।
इस बीच, महाराष्ट्र आदिवासी विकास विभाग ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ऐसी कोई नीति या नियम विभाग की ओर से जारी नहीं किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हॉस्टलों में इस तरह के टेस्ट नहीं होने चाहिए। इससे पहले सितंबर 2025 में भी ऐसा मामला सामने आया था, जिसके बाद राज्य महिला आयोग ने हस्तक्षेप कर इस प्रथा पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे।