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Guillain-Barre Syndrome: पुणे में गुइलेन बैरे सिंड्रोम से 7वीं मौत, 167 कंफर्म केस, वेंटिलेटर पर 21 मरीज

GBS Case Update: पुणे में GBS से एक और व्यक्ति की मौत हो गई है। इसके साथ ही 3 और नये मामले सामने आये हैं। जीबीएस से संदिग्ध मरीजों की संख्या 192 पहुंच गई है।

1st Bihar Published by: KHUSHBOO GUPTA Updated Tue, 11 Feb 2025 09:25:30 AM IST

Guillain-Barre Syndrome

पुणे में गुइलेन बैरे सिंड्रोम से 7वीं मौत - फ़ोटो google

GBS Case Update: महाराष्ट्र में जीबीएस का कहर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। जीबीएस के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं।  पुणे में GBS से पीड़ित 37 साल के व्यक्ति की मौत हो गई है। जिससे मरने वालों की कुल संख्या सात हो गई है। वहीं जीबीएस के संदिग्ध मामलों की संख्या 192 तक पहुंच गई है। जबकि 21 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। शहर में GBS संक्रमण के आठ नए संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिससे कुल संदिग्ध मामलों की संख्या बढ़कर 192 हो गई है। जिसमें 167 में इसकी पुष्टि हो चुकी है वहीं 21 मरीज अभी भी वेंटिलेटर पर है।


स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि मृतक पुणे में गाड़ी चलाने का काम करता था। पैरों में कमजोरी की शिकायत के बाद उसे इलाज के लिए शहर के एक अस्पताल में लाया गया था। हालांकि, उसके रिश्तेदारों ने उसे पुणे के अस्पताल में भर्ती नहीं कराया और 1 फरवरी को उसे कर्नाटक के निपानी ले गए। निपानी के बाद, परिवार मरीज को सांगली के एक अस्पताल में ले गये, जहां उसे GBS के इलाज के लिए IVIG इंजेक्शन दिए गए। लेकिन स्थिति में सुधार नहीं होने पर 5 फरवरी को मरीज को पुणे नगर निगम द्वारा संचालित कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई।



गुइलेन बैरे सिंड्रोम यानी जीबीएस एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की इम्यूनिटी गलती से अपने ही पेरिफेरेल नसों पर हमला कर देती है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्न हो जाना और पैरालाइसिस हो सकता है। आमतौर पर शुरुआती इलाज से ही इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है और 2-3 हफ्ते के अंदर रिकवरी भी देखने को मिलती है। इस बीमारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्व स्तर पर इससे प्रभावित लोगों में से करीब 7.5% लोगों की मौत हो जाती है। गुइलेन बैरे सिंड्रोम एक रेयर बीमारी है,  हर साल एक लाख लोगों में एक या दो लोगों में ये बीमारी देखने को मिलती है। आपको बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति रहे फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट की मौत भी इसी बीमारी के कारण हुई थी।