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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 24 Sep 2025 01:08:06 PM IST
Swami Chaitanyananda Saraswati - फ़ोटो FILE PHOTO
दिल्ली से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने न केवल शिक्षा जगत बल्कि समाज में आध्यात्मिक व्यक्तियों के प्रति भरोसे को भी झकझोर दिया है। अक्सर समाज में बाबा और सन्यासी व्यक्तियों को पूजनीय माना जाता है और लोग उन पर विश्वास करते हैं। लेकिन हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां धार्मिक चेहरे के पीछे छिपे लोग अधार्मिक और गैरकानूनी हरकतें करते पाए गए हैं। इसी कड़ी में दिल्ली के श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडियन मैनेजमेंट में हुई घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया है।
संस्था की छात्राओं ने चैतन्यानंद सरस्वती, जिन्हें पार्थ सारथी के नाम से भी जाना जाता है, पर गंभीर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। यह मामला पीए मुरली की शिकायत के बाद सामने आया, जिसके आधार पर दिल्ली पुलिस ने वसंत कुंज नॉर्थ थाने में प्राथमिकी दर्ज की। संस्थान शारदापीठ शृंगेरी से संबद्ध है और यह आरोप विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की छात्राओं के खिलाफ किए गए दुराचार से संबंधित हैं। पीड़ित छात्राएं पीजीडीएम (पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट) कोर्स कर रही थीं और ईडब्ल्यूएस स्कॉलरशिप के तहत शिक्षा ग्रहण कर रही थीं।
पुलिस जांच में कुल 32 छात्राओं के बयान दर्ज किए गए। इनमें से 17 छात्राओं ने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया कि आरोपी ने उनके साथ अश्लील भाषा का प्रयोग किया, उन्हें अवांछित शारीरिक संपर्क में रखा और अश्लील वॉट्सऐप मैसेज भेजे। छात्राओं ने यह भी बताया कि संस्थान की कुछ महिला फैकल्टी और प्रशासनिक कर्मचारी आरोपी की मांगों को मानने के लिए उन पर दबाव डालती थीं। यह आरोप यह दर्शाता है कि संस्था के कुछ हिस्सों में गंभीर गड़बड़ी और संरक्षण की कमी थी।
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर BNS की धारा 75(2), 79, 351(2) के तहत जांच शुरू की। जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा की गई और आरोपी के पता व घटनास्थल पर छापेमारी की गई। हालांकि, आरोपी अब तक फरार है। इस दौरान पुलिस ने संस्थान के बेसमेंट में खड़ी एक वोल्वो कार जब्त की, जिस पर फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट (39 UN 1) लगी थी और जिसे आरोपी इस्तेमाल करता था। इसके संबंध में 25 अगस्त 2025 को नया मामला दर्ज किया गया।
पुलिस ने संस्थान से सीसीटीवी फुटेज जब्त कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा और 16 पीड़िताओं के बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए। जांच में यह पता चला कि आरोपी की आखिरी लोकेशन आगरा के पास मिली थी और उसकी तलाश अभी जारी है।
घटना के प्रकाश में आने के बाद, श्री शारदा संस्थान और शृंगेरी मठ प्रशासन ने आरोपी को सभी पदों से हटा दिया और उससे सभी संबंध समाप्त कर दिए। श्री शारदा पीठम ने आरोपी की गतिविधियों को ‘अवैध, अनुचित और संस्थान के हितों के विपरीत’ बताया। संस्थान की ओर से स्पष्ट किया गया कि वह किसी भी प्रकार के दुराचार और अनुचित व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगा और इस घटना की गंभीरता को देखते हुए आवश्यक कानूनी कार्रवाई में पूरा सहयोग करेगा।
इस घटना ने समाज और विशेष रूप से शिक्षा क्षेत्र में सन्यासी और आध्यात्मिक व्यक्तियों पर भरोसे के दृष्टिकोण को भी चुनौती दी है। यह एक चेतावनी के रूप में सामने आया है कि केवल धार्मिक या आध्यात्मिक चेहरा किसी व्यक्ति की नैतिकता या आचरण की गारंटी नहीं देता। छात्राओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संस्थानों को न केवल सतर्क रहना होगा, बल्कि ऐसे मामलों में त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई करनी होगी।
इस मामले ने यह भी उजागर किया कि केवल शिकायत दर्ज करने भर से काम नहीं चलता, बल्कि संस्थानों और प्रशासनिक ढांचे में सुधार, निगरानी और जवाबदेही बेहद जरूरी है। पीड़ित छात्राओं के साहस और उनकी आवाज को कानूनी और सामाजिक समर्थन मिलना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी ऐसे दुराचार से सुरक्षित रह सके।
दिल्ली पुलिस की सक्रियता और सीसीटीवी व फॉरेंसिक जांच इस मामले में निर्णायक साबित हो सकती है। आरोपी की गिरफ्तारी और न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने तक यह मामला समाज और शिक्षा जगत में गंभीर चर्चा का विषय बना रहेगा। यह घटना छात्रों, अभिभावकों और संस्थानों के लिए एक चेतावनी भी है कि सुरक्षा, निगरानी और जवाबदेही में कोई भी ढिलाई नहीं होनी चाहिए।