ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Election 2025: ओवैसी के प्रपोजल का आरजेडी ने दिया जवाब, लालू प्रसाद के करीबी ने कह दी यह बड़ी बात Bihar Election 2025: ओवैसी के प्रपोजल का आरजेडी ने दिया जवाब, लालू प्रसाद के करीबी ने कह दी यह बड़ी बात Bihar Crime News: बिहार में लापता शिक्षक का शव मिलने से सनसनी, घर से बुलाकर हत्या करने की आशंका Bihar Crime News: बिहार में लापता शिक्षक का शव मिलने से सनसनी, घर से बुलाकर हत्या करने की आशंका Bihar News: पान-तांती को अनुसूचित जाति में शामिल कराने की कवायद तेज, नीतीश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की पुनर्विचार याचिका Bihar News: पान-तांती को अनुसूचित जाति में शामिल कराने की कवायद तेज, नीतीश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की पुनर्विचार याचिका Bihar News: बिहार की कोर्ट ने थानेदार पर लगाया 10 हजार का जुर्माना, SSP से मांगा जवाब; मामला जानकर दंग रह जाएंगे Bihar News: बिहार की कोर्ट ने थानेदार पर लगाया 10 हजार का जुर्माना, SSP से मांगा जवाब; मामला जानकर दंग रह जाएंगे Bihar News: मुहर्रम को लेकर बिहार में पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट, जुलूस को लेकर गाइडलाइन जारी Bihar News: मुहर्रम को लेकर बिहार में पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट, जुलूस को लेकर गाइडलाइन जारी

Collegium System : कॉलेजियम बनाम एनजेएसी , न्यायिक नियुक्ति प्रणाली पर बढ़ी बहस

Collegium System : जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर कथित तौर पर नकदी मिलने के बाद भारत में न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही पर बहस छिड़ गई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस मुद्दे पर (NJAC) का जिक्र करते हुए मौजूदा कॉलेजियम ...

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 27 Mar 2025 05:55:11 PM IST

कॉलेजियम प्रणाली, न्यायिक नियुक्ति, सुप्रीम कोर्ट, केंद्र सरकार, न्यायपालिका सुधार, पारदर्शिता, जवाबदेही, जजों की नियुक्ति, न्यायिक स्वतंत्रता, विधि आयोग, संविधान, कानून व्यवस्था, न्यायिक समीक्षा, सरक

प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google

Collegium System: हाल ही में जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर नकदी मिलने की खबर जैसे ही मीडिया में सुर्खिया बनी वैसे ही  न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर नई बहस छिड़ गई है। इस मुद्दे पर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन (NJAC) का जिक्र करते हुए वर्तमान न्यायिक नियुक्ति प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यदि न्यायाधीशों की नियुक्तियां एनजेएसी के तहत होतीं, तो परिस्थितियां अलग हो सकती थीं।

क्या है एनजेएसी? 

2014 में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन (NJAC) का उद्देश्य न्यायिक नियुक्ति प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता(Transparency) और जवाबदेही लाना था। इसके तहत जजों की नियुक्ति एक छह सदस्यीय समिति द्वारा की जानी थी, जिसमे  भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI), सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश, केंद्रीय कानून मंत्री , प्रधानमंत्री, CJI और विपक्ष के नेता द्वारा नामित दो प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल किये जाने थे | हालांकि, 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को असंवैधानिक (Unconstitutional) ठहराते हुए इसे निरस्त कर दिया, जिससे मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली कायम रही |

कॉलेजियम प्रणाली क्या है?

वर्तमान में भारत में जजों की नियुक्ति और तबादले कॉलेजियम प्रणाली के तहत किए जाते हैं।इसमें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं।वहीँ ,हाईकोर्ट कॉलेजियम में संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।लेकिन कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना अक्सर इसके अपारदर्शी होने और भाई-भतीजावाद (Nepotism) को बढ़ावा देने के लिए की जाती रही है।

क्या खत्म होगा "अंकल कल्चर"?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता बढ़ाने और भाई-भतीजावाद (Uncle Culture) खत्म करने की आवश्यकता पर बल दिया है। कोर्ट की मंशा है कि हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति के दौरान करीबी रिश्तेदारों को प्राथमिकता देने की परंपरा समाप्त हो।

बर्तमान न्यायिक नियुक्ति प्रणाली पर बहस क्यों?

दिल्ली स्थित कथित तौर से यशवंत वर्मा के घर से नकदी होने की घटना ने न्यायपालिका की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।जिसके बाद ये देशभर में  चर्चा का विषय बना हुआ है .

क्या न्यायिक नियुक्तियों में सरकार का हस्तक्षेप बढ़ेगा?

कॉलेजियम प्रणाली के समर्थकों का मानना है कि यह न्यायपालिका को राजनीतिक दखल से बचाता है, जबकि एनजेएसी के पक्षधर इसे अधिक पारदर्शी मानते हैं और कार्यपालिका की भी भूमिका चाहते हैं।भारत में न्यायिक नियुक्ति प्रणाली को लेकर एनजेएसी बनाम कॉलेजियम की बहस फिर से गर्म हो गई है। सुप्रीम कोर्ट न्यायिक पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रहा है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाई-भतीजावाद खत्म होगा? क्या सरकार की भूमिका बढ़ेगी? क्या एनजेएसी की वापसी संभव है? ये सवाल अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुके हैं।