मुजफ्फरपुर में चौंकाने वाला मामला: ससुर की हत्या में बहू का बड़ा खुलासा, एसएसपी से प्रेमी और खुद की गिरफ्तारी की मांग वाल्मीकिनगर में बड़ा हादसा, अनियंत्रित ऑटो ने ट्रॉली में मारी जोरदार टक्कर, 4 की दर्दनाक मौत सरकारी दफ्तर में दिव्य प्रकाश को देखकर कर्मियों में मचा हड़कंप, डर के कारण पढ़ रहे गायत्री मंत्र, ऑफिस छोड़ दूसरे जगह कर रहे काम Rohtas News: जंगल में लकड़ी काटने से रोका तो कर दी पिटाई, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल Siwan news; बालिका गृह से 13 लड़कियां फरार, पुलिस महकमे में मचा हड़कंप गोल इंस्टीट्यूट के सफल छात्रों ने साझा किए अपने अनुभव, कार्यक्रम में उत्साह का माहौल गोल इंस्टीट्यूट के सफल छात्रों ने साझा किए अपने अनुभव, कार्यक्रम में उत्साह का माहौल Allahabad judge :जज के घर मिली नोटों की गड्डी, राज्यसभा में गूंजा मामला Bihar Land Survey: बिहार के इस जिले में जमीन की कीमत का सर्वे शुरू, MVR में बढ़ोतरी की संभावना Currupt IAS ; 5% कमीशन न मिलने पर रोकी फाइल, IAS की खुली पोल, हो गए सस्पेंड!
21-Mar-2025 06:54 PM
Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक पुरुष कर्मचारी को राहत दी है, जिसने एक महिला कर्मचारी के लंबे बालों को देखकर ऑफिस के एक ट्रेनिंग सत्र के दौरान 'ये रेश्मी जुल्फें' गाना गाया था। महिला के बालों से संबंधित टिप्पणी और गाने को यौन उत्पीड़न के तहत नहीं माना गया।
कोर्ट ने कहा कि इस टिप्पणी का उद्धेश्य महिला को असहज महसूस कराना नहीं था, बल्कि उसका उद्धेश्य माहौल को हल्का रखना था। कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई यौन उत्पीड़न का आरोप नहीं माना और कहा कि यह टिप्पणी यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं आती।
मामला 11 जून 2022 का है जब ऑफिस के ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान पुरुष कर्मचारी ने महिला के बालों को बार-बार एडजस्ट करते देख टिप्पणी की थी कि क्या वह अपने बालों को मैनेज करने के लिए जेसीबी का इस्तेमाल करती है। इसके बाद उसने महिला को आरामदायक महसूस कराने के लिए गाना गाया। कोर्ट ने कहा कि अगर आरोप सही भी माने जाएं तो भी इस बात को यौन उत्पीड़न के रूप में नहीं देखा जा सकता। याचिकाकर्ता की ओर से वकील सना रईस खान ने इस मामले में उसकी तरफ से कोर्ट में पक्ष रखा।
पुरुष कर्मचारी ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जस्टिस संदीप मार्ने की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह मानना मुश्किल है कि याचिकाकर्ता विंदो कचावे का यह आचरण यौन उत्पीड़न के तहत आता है। दरअसल, यह मामला एक प्राइवेट बैंक का है जहां काम करने वाले कर्मचारी विंदो कचावे ने एक मीटिंग के दौरान साथ काम करने वाली महिला कर्मी के बालों को देखकर टिप्पणी की थी, जिसके बाद पॉश कानून के तहत उस पर कार्रवाई हुई। जिसके बाद विंदो कचावे ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
जस्टिस संदीप मार्ने की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह याचिकाकर्ता द्वारा शिकायतकर्ता के बालों की लंबाई के संबंध में टिप्पणी करने और उसके बालों से संबंधित एक गीत गाने से संबंधित है। याचिकाकर्ता द्वारा शिकायतकर्ता के प्रति कथित तौर पर की गई टिप्पणी को देखते हुए यह विश्वास करना मुश्किल है कि यह टिप्पणी शिकायतकर्ता को किसी भी तरह का यौन उत्पीड़न करने के इरादे से की गई थी। टिप्पणी किए जाने के समय उसने खुद कभी भी टिप्पणी को यौन उत्पीड़न नहीं माना।
याचिकाकर्ता के वकील सना रईस खान ने भी कोर्ट में अपना पक्ष रखा। कहा कि दफ्तर के एक ट्रेनिंग सेशन के दौरान पुरुष कर्मचारी ने यह नोटिस किया कि महिला अपने बालों को बार-बार एडजस्ट कर रही है और लंबे बालों की वजह से असहज दिख रही थी। इस पर उसने हल्के अंदाज में महिला से कहा कि अपने बालों को मैनेज करने के लिए तुम जेसीबी का इस्तेमाल करती होगी। इसके बाद उसे कंफर्टेबल करने के लिए वह ये रेश्मी जुल्फें गाना गाने लगा। पुरुष कर्मी यह कहना चाहता था कि अगर महिला अपने बालों से असहज है तो वह उसे बांध ले, क्योंकि इससे न सिर्फ याचिकाकर्ता, बल्कि वहां मौजूद अन्य लोगों का भी ध्यान भटका रही थी।