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19-Feb-2025 07:58 AM
Bihar Assembly Election 2025 : हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली में चुनावी हैट्रिक के बाद RSS अब बिहार जीतने के प्लान पर एक्टिव हो गई है। ऐसे में बिहार में कमल खिलाने के लिए आरएसएस का नया मिशन शुरू हो चुका है। भाजपा के मात संगठन ने इसे त्रिशूल नाम दिया है। त्रिशूल इसलिए क्योंकि RSS की पूरी तैयारी तीन मुद्दों के इर्द-गीर्द रहने वाली है। अब आपके भी मन में यह सवाल होगा कि आखिर वह 3 बड़े मुद्दे क्या हैं और संघ की तैयारी ? क्या वाकई बिहार विधानसभा चुनाव का मनचाहा परिणाम दिला सकती है पढ़िए फर्स्ट बिहार EXCLUSIVE रिपोर्ट में
संघ के मिशन त्रिशूल न सिर्फ बिहार बल्कि बंगाल में भी शुरू होने वाला है। लेकिन वर्तमान में अधिक ध्यान बिहार पर होगा और इसकी वजह आप भी जानते हैं। बंगाल में बीजेपी बीते 10 सालों में मजबूत होकर 3 से 78 तक पहुंच गई है। लेकिन,अभी भी वहां संघ को भी अपना आधार और मजबूत करना है। ऐसे में संघ ग्रास रूट लेवल पर बंगाल में मजबूत होगा तो उसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अब बिहार फतह की मुहिम तेज कर दी है। इसकी वजह यह है कि बिहार विधानसभा चुनाव के शंखनाद में वैसे तो 8 महीने बचे हैं। लेकिन RSS ने अभी से मोर्चा संभाल लिया है। इस चुनाव को लेकर RSS का फोकस खासकर तीन मुद्दों पर सबसे ज्यादा है। इसमें पहला - सर्वे के जरिए नाराज वोटर्स और मुद्दे की पहचान की। दूसरा - कौन सा मुद्दा ज्यादा प्रभावी है यह देखा जाएगा। तीसरा - बीजेपी को किस मुद्दे से फायदा और किससे नुकसान होगा ये देखेगा। यही है RSS का मिशन त्रिशूल।
जानकारी हो कि संघ के स्वयंसेवकों को एक टास्क दिया गया है। इसके लिए उन्हें यह कहा गया है कि वह अपने इलाके में शाखा का विस्तार करें तो इसमें अधिक से अधिक लोगों को जोड़ें। इसके साथ ही संपर्क साध कर अपने व्यवहार से अनजान लोगों के बीच भी दोस्ती बनाएं। इससे अधिक से अधिक लोगों का फीडबैक लें। यह काम मार्च महीने तक कर लेना और इसका रिपोर्ट मार्च महीने में संघ की सबसे बड़ी प्रांतीय बैठक में देनी है।
वहीं, सर्वे से नाराज वोटर्स और मुद्दे की पहचान कि जाएगी। इसको लेकर बिहार चुनाव से पहले संघ अपना इंडिपेंडेंट सर्वे करा रहा है। इसमें मुख्य तौर 3 चीजों को जानने की कोशिश है। जिसमें किस नेता के खिलाफ नाराजगी है? कौन सा मुद्दा बड़ा इम्पैक्ट कर रहा है? बीजेपी के लिए कौन सा इश्यू फायदेमंद और कौन सा मुद्दा घातक साबित हो रहा है?
हालांकि, ये सर्वे इतना सीक्रेट तरीके से हो रहा है कि इसकी जानकारी संघ के लोगों को ही है। संघ के स्वयंसेवकों के लिए संपर्क का सबसे बेहतरीन माध्यम शाखा है। चुनावी साल में राज्य भर में शाखाओं की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। बिहार को दो प्रांतों में बांटा गया है। उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार। उत्तर बिहार में ये मुजफ्फरपुर और दक्षिण बिहार में पटना से संचालित होता है। दोनों प्रांतों को मिलाकर अभी लगभग 1000 जगहों पर शाखाएं लगाई जाती है।
आपको बताते चलें कि, दिल्ली में संघ के हर चिंग ने अपने त्रिदेव उतारे थे। सरल भाषा में इसे ऐसे समडों कि बूथ लेवल पर RSS के 3 पदाधिकारी एक्टिव थे। इनके ऊपर अध्यक्ष, सह अध्यक्ष, प्रांत अध्यक्ष जैसे पदाधिकारी थे। हर त्रिदेव अपने नीचे कम से कम 10 आम लोगों को जोड़ रहा था। ये सभी एक साथ RSS के लिए बैठक कर रहे थे।RSS ने स्वयंसेवकों की टोली का ऐसा कॉम्बिनेशन बनाया गया था, जिसमें पुरुष, महिला और युवा शामिल थे। एक परिवार में अगर एक टोली गई तो वो उस परिवार के हर चीज पर चर्चा करेगी।