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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 13 Feb 2025 08:29:38 AM IST
Bihar Politics - फ़ोटो SOCIAL MEDIA
Bihar Politics : दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपनी हालिया जीत से उत्साहित, भारतीय जनता पार्टी ने बिहार में 243 विधानसभा सीटों में से 225 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, जहां इस साल के आखिर में चुनाव होने हैं। इस साल नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी के साथ गठबंधन करके सत्ता के लिए नए सिरे से प्रयास करेंगे। उनका मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के तेजस्वी यादव से है, जो राज्य में सत्ता में लौटने के लिए दो दशकों की सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने की उम्मीद कर रहे हैं। ऐसे में अब एक सर्वे ने तेजस्वी यादव की टेंशन बढ़ा दी है तो वहीं एनडीए में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है।
दरअसल, एक बड़े चैनल के सर्वे के अनुमान के मुताबिक बिहार में मतदान का गणित बेहद स्पष्ट है। अगर NDA एकजुट रहता है, तो उसे हराना मुश्किल होगा। बिहार में मतदान का पैटर्न पूरी तरह से अंकगणित पर आधारित होता है। दिल्ली जैसे राज्यों की तरह यहां 'स्प्लिट वोटिंग' नहीं होती। अगर भाजपा, नीतीश कुमार की जदयू और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) साथ बनी रहती हैं, तो महागठबंधन के लिए राह बेहद मुश्किल होगी।
इस विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में NDA कोवोटों का फायदा होता दिख रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में इसे 47% वोट शेयर मिला था, जो अब बढ़कर 52% हो सकता है। दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन को भी मामूली बढ़त मिलती दिख रही है, लेकिन यह 39% से बढ़कर सिर्फ 42% तक ही पहुंच पा रहा है।
वहीं, दिल्ली चुनाव के नतीज़ों ने आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में पार्टियों की स्थिति को लेकर कयास तेज़ कर दिए है। जानकारों की मानें तो दोनों ही गठबंधनों यानी एनडीए और महागठबंधन की पार्टियों में सीट शेयरिंग को लेकर नए समीकरण बनेंगे। दिल्ली फतह के बाद एनडीए में बीजेपी की बारगेनिंग पावर बढ़ेगी तो महागठबंधन में कांग्रेस और भाकपा (माले) मजबूती से बॉरगेन करेंगे। हालांकि सूत्रों की मानें तो इस विधानसभा चुनाव में जेडीयू 100, बीजेपी 100 पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इसके अलावा बाकी बचे सीटों को एनडीए के अंदर शामिल दलों में बांटा जा सकता है।
इधर, आरजेडी के लिए सबसे बड़ा प्लस पॉइंट यह है कि राज्य में एंटी इंकंबेंसी जबरदस्त है पर मुश्किल यह है कि क्या आरजेडी नेता तेजस्वी यादव उसे भुना सकेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐतिहासिक पांचवें कार्यकाल के लिए मैदान में उतरने के लिए रणभेरी बजा चुके हैं। अब देखना है कि तेजस्वी यादव दो दशकों की सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने के लिए क्या करते हैं? क्योंकि बीजेपी अपने सहयोगी जेडीयू के साथ गठबंधन में है और महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में कठिन चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद एनडीए का हौसला बुलंद है।
नीतीश कुमार के बारे में बार-बार उनके स्वास्थ्य को लेकर अटकलें लगाई जाती रहती हैं पर जिस तरह से उन्होंने पिछले 2 महीनों से यात्राएं शुरू की हैं वो आश्चर्यजनक है। 23 दिसंबर 2023 को उन्होंने प्रगति यात्रा की शुरुआत की थी, जिसके तहत वे पूरे राज्य का दौरा कर रहे हैं. इसके अलावा, वे विशेष समूहों को साधने के लिए ‘नारी शक्ति रथ यात्रा’ और ‘कर्पूरी रथ यात्रा’ जैसे अलग-अलग अभियान भी चला रहे हैं। जेडीयू ‘अंबेडकर रथ यात्रा’ भी निकाल रही है, जो सभी जिलों को कवर कर दलितों से संवाद स्थापित करने का प्रयास कर रही है। इसी तरह, मुसलमानों को लुभाने के लिए ‘अल्पसंख्यक रथ’ भी चलाया जा रहा है।
पिछले साल के केंद्रीय बजट में केंद्र सरकार ने बिहार के लिए करीब 70,000 करोड़ रुपये के विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली और बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं के लिए आवंटित किए थे। इस बार के बजट में बिहार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ‘मखाना बोर्ड’ और बाढ़ नियंत्रण के लिए ‘कोसी नहर परियोजना’ और ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट आदि की घोषणा को वो अपनी उपलब्धि बता सकते हैं।