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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 19 Nov 2025 10:53:35 AM IST
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राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगी अमित कत्याल (Amit Katyal) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने अमित कत्याल की 300 करोड़ के फर्जीबाड़े मामले में अरेस्ट किया है। ईडी ने ये कार्रवाई PMLA ACT के तहत किया है।
बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद जब राजनीतिक हलचल अभी पूरी तरह थमी भी नहीं थी, ठीक उसी समय राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की परेशानी एक बार फिर बढ़ गई है। बुधवार को केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने लालू परिवार के बेहद करीबी माने जाने वाले अमित कात्याल को गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी 300 करोड़ रुपए से अधिक के रियल एस्टेट फर्जीवाड़े से जुड़े एक बड़े मामले में हुई है।
जांच एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, अमित कात्याल लंबे समय से लालू प्रसाद यादव और उनके पुत्र तेजस्वी यादव के बेहद नजदीकी माने जाते हैं। बताया जाता है कि दिल्ली में जिस कोठी में तेजस्वी यादव अक्सर ठहरते हैं, उसका संबंध भी अमित कात्याल से जुड़ा हुआ है। सूत्रों का दावा है कि इस कोठी की व्यवस्थाओं और कई गतिविधियों में कात्याल की सीधी भूमिका रहती थी। अमित कात्याल का नाम विवादों से नया नहीं है। वह पहले भी एक बड़े आर्थिक अपराध के मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। कात्याल M/s Angle Infrastructure Pvt. Ltd. नाम की रियल एस्टेट कंपनी के प्रमोटर और डायरेक्टर हैं, जिस पर पहले भी धोखाधड़ी और घोटाले के गंभीर आरोप लग चुके हैं। इससे जुड़े मामलों में कात्याल की संदिग्ध भूमिका काफी समय से जांच के घेरे में थी।
ताज़ा कार्रवाई दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दर्ज एक FIR पर आधारित है। इस केस को बाद में ईडी ने मनी लॉंड्रिंग की जांच के दायरे में लेते हुए टेकओवर किया। ईडी का आरोप है कि रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में की गई हेराफेरी के जरिए कात्याल और उसके सहयोगियों ने भारी भरकम रकम जुटाई और इसे अलग-अलग खातों के जरिये इधर-उधर किया।
इस मामले में आरोप है कि कात्याल ने गुरुग्राम के सेक्टर-70 में Krrish Florence Estate नामक परियोजना में धोखाधड़ी की। यह प्रोजेक्ट सरकारी कर्मचारियों के लिए बनाए जाने का दावा किया गया था, लेकिन इसकी आड़ में कथित रूप से बड़े स्तर पर फर्जी बुकिंग्स की गईं।
जांच में सामने आया कि: परियोजना के लिए हरियाणा DTCP से लाइसेंस मिलने से पहले ही खरीदारों से करोड़ों रुपये वसूल लिए गए। कई सरकारी कर्मचारियों और आम निवेशकों ने फ्लैट पाने की उम्मीद में रकम जमा की, लेकिन उन्हें निर्माण की स्थिति के बारे में गलत जानकारी दी गई। एक अन्य डेवलपर से लाइसेंस प्राप्त करने के नाम पर भी धोखाधड़ी की गई। लाखों–करोड़ों रुपये एडवांस में लेने के बाद भी प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ा और निवेशकों को फ्लैट नहीं मिला।
केस की जांच में सामने आया कि रकम को अलग-अलग कंपनियों और खातों के जरिये घूमाकर मनी लॉन्ड्रिंग की कोशिश की गई। यही कारण है कि ईडी ने इसे प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत गंभीर अपराध मानते हुए कार्रवाई तेज की।
इस गिरफ्तारी ने बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ा दी है। बिहार चुनाव के तुरंत बाद ही लालू परिवार पहले से ही कई राजनीतिक और पारिवारिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। पार्टी की सीटें कम होने के बाद से ही राजद की अंतरकलह और संगठनात्मक मुद्दे चर्चा में हैं। अब अमित कात्याल की गिरफ्तारी ने एक और मोर्चा खोल दिया है।
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि लालू–तेजस्वी के करीबी लोगों के खिलाफ बार-बार हो रही कार्रवाई यह दिखाती है कि राजद हाई-कमान के आसपास विवादित कारोबारियों की भूमिका रही है। वहीं राजद नेताओं का कहना है कि यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है और जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
ईडी ने फिलहाल कात्याल से कई घंटों की पूछताछ के बाद हिरासत में लिया है। एजेंसी अब यह जांच करेगी कि: 300+ करोड़ रुपये आखिर कहां-कहां ट्रांसफर हुए? किन कंपनियों, व्यक्तियों और संस्थाओं को इस रकम का फायदा मिला? प्रोजेक्ट में फर्जी बुकिंग के पीछे कौन-कौन शामिल था? क्या इन पैसों का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों या अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों के लिए किया गया? सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में ईडी अन्य संबंधित लोगों को भी तलब कर सकती है और रेड की संभावना भी जताई जा रही है।