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Bihar Vidhansabha Election 2025: अति पिछड़ी जातियों में होगा विभाजन..! जेडीयू नेताओं की सार्वजनिक मांग ने CM नीतीश को परेशानी में डाला

Bihar Vidhansabha Election 2025: बिहार में अति पिछड़ा वर्ग में पहले 94-95 कास्ट थे, अब बढ़कर 114 जातियां हो गई हैं. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू के अंदर से ही अति पिछड़ा वर्ग में डिवीजन की मांग उठने लगी है.

1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Tue, 18 Feb 2025 11:38:25 AM IST

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- फ़ोटो SELF

Bihar Vidhansabha Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी पार्टी जेडीयू के अंदर से आवाज उठने लगी है. पार्टी नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर मांग कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को परेशानी में डाल दिया है. अब अति पिछड़ी जातियों में विभाजन की मांग उठी है. अति पिछड़ी जाति समूह में बाद में जितनी जातियां जोड़ी गई हैं, उन्हें अलग करने की डिमांड है. पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बड़े नेताओं के समक्ष यह मुद्दा उठा.

अति पिछड़ी जातियों में हो बंटवारा   

जद (यू) प्रदेश कार्यालय, पटना में 17 फरवरी को आयोजित भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में नई चर्चा शुरू हो गई है. सवाल विपक्षी दलों ने नहीं बल्कि जेडीयू की तरफ से उठाई गई है. जेडीयू नेता व बिहार अति पिछड़ा वर्ग डेडिकेटेड आयोग के अध्यक्ष रहे नवीन कुमार आर्या ने नया राग अलापा है. इन्होंने अति पिछड़ी जातियों में बंटवारे की मांग रख दी है. बड़े नेताओं के समक्ष इन्होंने यह मांग रखी है. पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, मंत्री विजेन्द्र यादव, श्रवण कुमार, श्याम रजक समेत अन्य बड़े नेता मौजूद थे. इस दौरान बिहार अति पिछड़ा डेडिकेटेड आयोग के पूर्व अध्यक्ष नवीन आर्या ने यह राग अलापा है. 

पहले इस वर्ग में 94-95 कास्ट थे, अब 114 हो गए हैं...

जेडीयू नेता नवीन आर्या ने बिहार में नई चर्चा को जन्म दे दिया है. उन्होंने कहा कि सितंबर 2022 में उन्हें बिहार अति पिछड़ा डेडिकेटेड आयोग का अध्यक्ष बनाया गया. पूरे बिहार में हमारे आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही नगर निकाय के चुनाव हुए. बहुत लोग हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए, लेकिन, उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। जेडीयू नेता ने आगे कहा कि पूर्व सीएम स्व. कर्पूरी ठाकुर ने जिस समय आरक्षण लागू किया उस समय अति पिछड़ा वर्ग में 94-95 कास्ट थे. अब 114 हो गए हैं. इन्हें बाद में जोड़ा गया. मैं उनका स्वागत करता हूं, लेकिन बाद में जुड़ी जातियां हक पर चोट कर रही हैं. हमारा कहना है कि अति पिछड़ा वर्ग की जो कैटेगरी है, उसे बीसी-1 में रखें. बाद में जो जातियां जोड़ी गई हैं,उन्हें बीसी-1 (ए) में रखा जाए. क्यों कि बाद में जिन जातियों को अति पिछड़ा वर्ग में जोड़ा गया है, वे पुराने अति पिछड़ा का हक मार रही हैं. उनके कोटा का अलग से निर्धारण होना चाहिए. हमने अपनी बात यहां मौजूद वरिष्ठ नेताओं के समक्ष रख दी है. 

अति पिछड़ा का हक अति पिछड़ा ही मार रहा 

नवीन कुमार आर्या की इस मांग से कार्यक्रम में मौजूद पार्टी के वरिष्ठ नेता अचंभित रह गए. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था, वे इस मुद्दे पर क्या बोलें. हॉल में मौजूद अन्य नेताओं को भी समझ में नहीं आ रहा था, इन्होंने यह अलग राग अलापना क्यों शुरू कर दिया है.