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Bihar Elections 2025: मोकामा विधानसभा कारण काफी रोचक होने जा रहा है। इसकी वजह यह है कि इस सीट को लेकर एनडीए से जो नेता अपने नामांकन की तारीख तय कर रखें हैं वह खुद अभी तक एनडीए के अंदर किसी भी दल की सदस्य्ता ग्रहण नहीं किए हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 10 Oct 2025 09:50:46 AM IST

Bihar Elections 2025

बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE

Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है और पटना में नामांकन प्रक्रिया आज से शुरू हो गई है। जिले की सभी विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी अपने नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, अभी तक एनडीए और महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर कोई स्पष्ट फैसला नहीं हुआ है, और इस वजह से यह तय नहीं हो पाया है कि किस पार्टी का प्रत्याशी किस सीट से चुनाव लड़ेगा। इस बीच मोकामा विधानसभा सीट से एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मोकामा के पूर्व विधायक और बाहुबली नेता अनंत सिंह इस बार भी चुनावी चर्चाओं में केंद्र में हैं।


मोकामा विधानसभा कारण काफी रोचक होने जा रहा है। इसकी वजह यह है कि इस सीट को लेकर एनडीए से जो नेता अपने नामांकन की तारीख तय कर रखें हैं वह खुद अभी तक एनडीए के अंदर किसी भी दल की सदस्य्ता ग्रहण नहीं किए हैं। इतना ही नहीं आपलोग यह भी जानते हैं कि फिलहाल एनडीए में सीट बंटवारा भी नहीं हुआ है। ऐसे में यह विधानसभा सीट किसके खाते में जाएगी वह भी आधिकारिक तौर पर सामने नहीं आया है। 


दरअसल, पिछली बार जब उपचुनाव हुआ था तो यही सीट भाजपा के पास थी। हालांकि दशकों से इस सीट पर जेडीयू के कैंडिडेट चुनाव जीतते रहे हैं। खुद यह नेता जी भी इस पार्टी से जुड़कर चुनाव जीते हैं। लेकिन अभी वह पार्टी के मेंबर नहीं है और उनकी पत्नी नीलम देवी राजद की बागी हैं। फिलहाल वह भी जेडीयू की मेंबर नहीं है। इसके बाद भी नेता जी जेडीयू के सिंबल को अपने पोस्टर में लगाकर घूम रहे हैं,इतना ही नहीं अपने पोस्टर में एनडीए के नेता का भी फोटो लगा रखे हैं। ऐसे में सवाल उठाना लाजमी है की वह जेडीयू में शामिल कब होंगे। 


जानकारी हो कि, यह नेता जी भले ही जेडीयू में शामिल नहीं हुए हैं लेकिन पिछले दिनों जब एनडीए का सम्मेलन हुआ था तो मंच से इनके नाम का संकेत दे दिया गया था। जेडीयू के कद्दावर नेता खुद यह कहते हुए नजर आए थे कि बड़का क्रिमनल सब को नीतीश बाबू शांत कर दिए और जो चोर-चिलर है वह अनंत  बाबू के डर से भाग गया है। इसके बाद यह तय हो गया कि इनका इस सीट से चुनाव लड़ना तय है। लेकिन सवाल यह है कि जब सबकुछ तय है तो जेडीयू इन्हें अभी तक पार्टी में शामिल क्यों नहीं कर रही है। इसके पीछे जेडीयू की कोई रणनीति है क्या ?


अनंत सिंह इस क्षेत्र में अपनी पकड़ और लोकप्रियता के कारण हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। पहले भी वे कई बार इस सीट से विजयी रहे हैं और उनकी राजनीतिक शैली और स्थानीय शक्ति के कारण उन्हें ‘बाहुबली नेता’ के रूप में जाना जाता है। इस बार खबरें आ रही हैं कि अनंत सिंह एनडीए से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन हाल ही में उन्होंने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट जारी कर दावा किया है कि वह जेडीयू के उम्मीदवार हैं। हालांकि, उनकी जेडीयू में औपचारिक रूप से शामिल होने की पुष्टि नहीं हुई है। इसके बावजूद अनंत सिंह खुद को जेडीयू के नेता के रूप में पेश कर रहे हैं और मोकामा विधानसभा सीट के लिए पार्टी का संभावित प्रत्याशी होने का संकेत दे रहे हैं।


वहीं, अनंत सिंह की इस स्थिति ने मोकामा क्षेत्र में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। स्थानीय मतदाता और राजनीतिक विश्लेषक इस बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि यदि अनंत सिंह जेडीयू के नाम पर चुनाव लड़े, तो एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति बन सकती है। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि उनकी राजनीतिक छवि और स्थानीय पकड़ उन्हें अन्य उम्मीदवारों के मुकाबले एक मजबूत दावेदार बनाती है। अनंत सिंह के इस कदम से यह साफ हो रहा है कि वे अपनी राजनीतिक रणनीति और क्षेत्रीय प्रभुत्व को कायम रखना चाहते हैं।


राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मोकामा विधानसभा सीट इस बार बिहार चुनाव में काफी अहम मानी जा रही है। अनंत सिंह का नाम इस क्षेत्र में मतदाताओं के बीच काफी पहचान रखता है। उनकी पार्टी से जुड़ने या किसी अन्य राजनीतिक मोर्चे पर जाने की खबरें क्षेत्र की राजनीति में नई बहस का विषय बन गई हैं। वहीं, विपक्षी पार्टियां भी इस सीट पर अपनी रणनीति बनाने में जुट गई हैं, क्योंकि मोकामा की यह सीट चुनावी रुप से काफी अहम रही है।


कुल मिलाकर, मोकामा विधानसभा सीट और अनंत सिंह की स्थिति इस बार बिहार चुनाव में राजनीतिक माहौल को काफी प्रभावित कर रही है। अनंत सिंह की चुनौतीपूर्ण और विवादित रणनीति से क्षेत्रीय राजनीति में नए समीकरण बनने की संभावना है। मोकामा के मतदाता इस बार यह तय करेंगे कि उनका भरोसा किस प्रत्याशी पर रहेगा, और अनंत सिंह की जेडीयू के नाम पर दावेदारी इसे और रोचक बना रही है।