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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 06 Oct 2025 07:45:20 AM IST
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख को लेकर जारी पेच अब भी बरकरार है। सभी राजनीतिक दलों और मतदाताओं की निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि आखिर आयोग कब चुनाव की तिथियों की घोषणा करेगा। इसी बीच मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार अपने दो दिवसीय दौरे पर पटना पहुंचे और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई अहम बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि चुनाव कार्यक्रम तय करने पर आयोग जल्द ही निर्णय लेगा, लेकिन मतदाता सूची और पारदर्शिता से जुड़े नियमों का पालन सर्वोच्च प्राथमिकता पर है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि नया मतदाता पहचान पत्र (ईपिक) सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलेगा जिनके नाम, उम्र, पता या किसी अन्य विवरण में संशोधन किया गया है। इसके अलावा नए मतदाताओं को भी ईपिक उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के 15 दिनों के भीतर नया ईपिक संबंधित मतदाता तक पहुंचा दिया जाएगा।
चुनाव की तारीखों को लेकर सस्पेंस इसलिए भी बना हुआ है क्योंकि राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना चाहते हैं, वहीं आयोग मतदाता सूची, वोटर आईडी वितरण और अन्य प्रक्रियाओं को पूरी तरह पारदर्शी बनाने में जुटा हुआ है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि विभिन्न दलों से सुझाव लिए गए हैं और इनके आधार पर फेजवार चुनाव की तारीखों पर विचार किया जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि आयोग जल्द ही चुनावी कार्यक्रम की घोषणा कर देगा।
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सीईसी ने कहा कि वोट चोरी के आरोप बेबुनियाद हैं, क्योंकि कानूनी रूप से चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण अनिवार्य है। बिहार में हाल ही में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान लगभग 68 लाख अपात्र मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं। इनमें मृतक, डुप्लीकेट नाम, नागरिकता की पुष्टि न होने वाले और स्थायी रूप से प्रवास कर चुके लोग शामिल थे। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी ढंग से किया गया और किसी भी योग्य मतदाता का नाम कटने पर वह आपत्ति दर्ज कर सकता है।
हाउस लिस्टिंग विवाद पर उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक है कि कई लोगों के पास घर का नंबर नहीं होता या वे किराए के मकानों में रहते हैं। इस कारण मतदाता सूची में हाउस नंबर दर्ज करने को लेकर भ्रम की स्थिति रहती है। ऐसे मामलों में राजनीतिक दल अपने बूथ लेवल एजेंट (BLA) के जरिए जांच करा सकते हैं।
आधार कार्ड से जुड़े विवाद पर भी सीईसी ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने SIR प्रक्रिया के दौरान आधार कार्ड को मान्यता दी थी, लेकिन आधार एक्ट के अनुसार यह नागरिकता, जन्म या निवास का प्रमाण नहीं है। ऐसे में मतदाता पात्रता साबित करने के लिए अन्य दस्तावेज भी आवश्यक होंगे।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों से अपील की कि वे हर बूथ पर पोलिंग एजेंट जरूर नियुक्त करें। मतदान शुरू होने से पहले ईवीएम और वीवीपैट की जांच के लिए मॉक पोलिंग कराई जाती है। इस प्रक्रिया को देखना और उसका प्रमाण स्वरूप पीठासीन पदाधिकारी से फॉर्म-17 लेना जरूरी है। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और बाद में किसी तरह का विवाद उत्पन्न नहीं होगा।
चुनाव में काले धन के इस्तेमाल को रोकने के लिए आयोग ने हर उम्मीदवार की खर्च सीमा तय कर दी है। इसके लिए प्रत्येक जिले में राजस्व सेवा से जुड़े अधिकारियों को व्यय पदाधिकारी के रूप में तैनात किया जाएगा। वे प्रत्याशियों के खर्च की कड़ी निगरानी करेंगे। साथ ही प्रत्येक प्रत्याशी को अपना आपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक करना और उसका प्रचार करना अनिवार्य होगा।
मुजफ्फरपुर के सकरा प्रखंड के मोहनपुर गांव की मतदाता सूची में बड़ी संख्या में मुस्लिम नाम शामिल होने पर उठे विवाद पर सीईसी ने कहा कि इस मामले की जांच बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपी गई है और रिपोर्ट जल्द मांगी गई है।
सीईसी ने कहा कि बिहार के लगभग 7.42 करोड़ मतदाताओं ने SIR प्रक्रिया का स्वागत किया है। यह लोकतंत्र में लोगों के भरोसे को दर्शाता है। राजनीतिक दलों की भी जिम्मेदारी है कि वे त्रुटियों को दूर करने के लिए हर मतदान केंद्र पर बीएलए और मतगणना केंद्रों पर काउंटिंग एजेंट तैनात करें।
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख को लेकर फिलहाल अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ कराए जाएंगे। मतदाता सूची की शुद्धता, ईपिक वितरण, व्यय नियंत्रण और पारदर्शिता बनाए रखने को लेकर आयोग लगातार काम कर रहा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि चुनाव आयोग किस दिन बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का औपचारिक ऐलान करता है।