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Bihar News: न इज्जत बची न सीट...मुकेश सहनी की ‘डुबती नैया’ ! अपने भाई सह राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश अध्यक्ष की सीट तक सेफ नहीं कर पाए ‘सन ऑफ मल्लाह’, तीन MLC पुत्र-पुत्री के लिए लगाया ज्यादा जोर

Bihar Election 2025: महागठबंधन में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) की स्थिति बेहद कमजोर हो गई है। 60 सीटों और डिप्टी सीएम पद की बात करने वाले मुकेश सहनी अपने भाई और प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी सीट सुरक्षित नहीं करा पाए।

1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Tue, 21 Oct 2025 12:29:08 PM IST

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Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागगठबंधन में विकासशील इंसान पार्टी की हालत सबसे खराब है. सीट बंटवारे से पहले विधानसभा की 60 सीटें और डिप्टी सीएम की कुर्सी लॉक होने की बात करने वाले मुकेश सहनी की ऐसी हालत हो जाएगी, ऐसी कल्पना उन्होंने खुद भी नहीं की होगी. स्वयं चुनाव मैदान में उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पाए, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह भाई और प्रदेश अध्यक्ष को मैदान में उतारा, लेकिन उनकी सीट भी सुरक्षित नहीं कर पाए. 

मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी का भविष्य क्या होगा ? इस पर राजनीतिक चर्चा जारी है. 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन से आउट होने के बाद एनडीए ने सन ऑफ मल्लाह को अपना लिया था. भाजपा ने अपने खाते से 11 सीटें दी थी, स्वयं चुनाव लड़े, लेकिन हार गए, हालांकि इनके चार कैंडिडेट चुनाव जीतने में कामयाब रहे. समय के साथ मुकेश सहनी के रिश्ते भाजपा से खराब हो गए, लिहाजा उन्होंने एक बार फिर से राजद की तरफ रूख किया. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इन्होंने तेजस्वी यादव का हाथ पकड़ा . लोकसभा चुनाव में राजद का साथ लेने के बाद भी इन्हें सफलता नहीं मिली.  2025 विधानसभा चुनाव से पहले इन्होंने बड़ी-बड़ी बातें की. दावा किया कि 60 सीटों से कम मंजूर नहीं. डिप्टी सीएम तो हर हाल में बनूंगा. लेकिन सीट बंटवारे में ही मुकेश सहनी के साथ खेल कर दिया गया. 

सीट बंटवारे में मुकेश सहनी को अंत-अंत तक लटका कर रखा गया. सन ऑफ मल्लाह ने पटना से लेकर दिल्ली तक दौड़ लगाई. राजद की कई सीटिंग सीटों पर मुकेश सहनी की नजर थी. राजद किसी भी कीमत पर वो सीट देना नहीं चाहती थी. स्थिति गंभीर होते देख मुकेश सहनी ने खुद चुनाव लड़ने से मना कर दिया.वे फिर से भद्द पिटवाना नहीं चाहते थे. हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सगे भाई संतोष सहनी को गौरा बौराम विस सीट से मैदान में उतारा . वहीं प्रदेश अध्यक्ष बालगोविंद बिंद को चैनपुर से चुनावी मैदान में उतार दिया. हालांकि राजद ने मुकेश सहनी के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया. वीआईपी के लिए राजद न तो गौरा बौराम सीट छोड़ी और न चैनपुर. गौरा बौराम से राजद प्रत्याशी अफजल अली खान चुनावी मैदान में हैं. जबकि यहां से मुकेश सहनी के भाई व वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी वीआईपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.  चैनपुर से वीआईपी के प्रदेश अध्यक्ष बालगोविंद बिंद ने नामांकन दाखिल किया है. राजद ने इस सीट से नीतीश कैबिनेट में पूर्व मंत्री व भाजपा के कद्दावर नेता रहे ब्रजकिशोर बिंद को उम्मीदवार बनाया है.

वीआईपी के लिए प्रतिष्ठा की ये दोनों सीटें (गौरा बौराम और चैनपुर)  राजद ने नहीं छोड़ी. इसे ऐसा भी कहा जा सकता है कि मुकेश सहनी अपने भाई व राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी सीट सुरक्षित नहीं कर पाए. राजद ने इन्हें वो सीटें आसानी से दे दी जहां उनका अपना प्रत्याशी है. सुगौली विधानसभा सीट इसका उदाहरण है. राजद के सीटिंग विधायक शशि भूषण सिंह अब वीआईपी के प्रत्याशी हैं. राजद ने यह सीट मुकेश सहनी को दे दी. वहीं पंद्रह सीटों में सुगौली के अलावे चार अन्य सीटों पर भी राजद नेता प्रत्याशी बने हैं. जबकि 15 में चार-पांच सीटों पर भाजपा से जुड़े नेता वीआईपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. लिस्ट में चार ऐसे नेता हैं जो टिकट लेने में सफल हो गए,जिन्हें वीआईपी से प्रेम नहीं बल्कि सेटिंग की बदौलत सिंबल पा लिए. मुकेश सहनी के की पार्टी के पंद्रह कैंडिडेट वाली लिस्ट में तीन तो विधान पार्षद के पुत्र-पुत्री ही हैं. अब इन्होंने टिकट कैसे मिला, आप सब आसानी से समझ सकते हैं.