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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sat, 08 Nov 2025 07:12:59 PM IST
- फ़ोटो Reporter
Patna: 'रेडियो इमेजिंग टेक्नोलॉजी' स्वास्थ्य-सेवाओं का वह क्षेत्र है, जिसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति का नेत्र कहा जा सकता है। अनेक प्रकार के रोगों और शारीरिक समस्याओं की पड़ताल में इसका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान है।
यह बातें शनिवार को, 'विश्व रेडियोलौजी दिवस' के अवसर पर, बेउर स्थित संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ एजुकेशन एंड रिसर्च में आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक प्रमुख डा. अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि रेडियोलॉजी में पहले की तुलना में बहुत विकास हुआ है। 'एक्स-रे' से आगे बढ़ी इसकी यात्रा 'एम आर आई' तक पहुँच चुकी है। आज इनके बिना रोगों का उपचार असंभव हो गया है।
डॉ. सुलभ ने कहा कि अपने समय के महान वैज्ञानिक विलियम सी रोंटजन ने सन 1895 में 8 नवंबर को 'एक्स-रे' की खोज की थी। इसीलिए इस तिथि को 'विश्व रेडियोलॉजी दिवस' के रूप में मनाया जाता है। 'एक्स-रे' के आविष्कार ने चिकित्सा विज्ञान ही नहीं जीवन के अनेक क्षेत्रों में क्रांति पैदा की, जिसका लाभ आधुनिक संसार को आज भी मिल रहा है।
समारोह की मुख्य अतिथि और वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. ऐश्वर्या सिंह ने कहा कि एक प्रशिक्षित रेडियो टेक्नोलॉजिस्ट की बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है। यह ख़ुशी की बात है कि इस संस्थान में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती है और शिक्षा का स्तर भी ऊँचा है। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक से रेडियो इमेज लेना और अधिक सरल हो गया है। एम आर आई में बहुत ही कम रेडिएशन होता है। आधुनिक तकनीक से हम बहुत सरलता से रोगों की पड़ताल कर सकते हैं।
वरिष्ठ रेडियो टेक्नोलॉजिस्ट डॉ. सरोज कुमार, बिहार पारा मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत भूषण, प्रो. मधुमाला तथा डॉ. रूपाली भोवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत संस्थान के रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार सिंह ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन संस्थान के छात्र कल्याण अध्यक्ष अधिवक्ता अहसास मणिकान्त ने किया। वरिष्ठ छात्राएँ मुस्कान कुमारी तथा अमन ने मंच का संचालन किया।
इस अवसर पर संस्थान के बैचलर ऑफ रेडियो इमेजिंग टेक्नोलॉजी के पूर्ववर्ती छात्र को शुभम कुमार सिंह, ओमप्रकाश सिंह तथा कक्षा में सर्वाधिक उपस्थिति के लिए अनामिका कुमारी को सम्मानित किया गया। संस्थान के छात्र-छात्राओं द्वारा रेडियोलॉजी से संबंधित वैज्ञानिक-प्रदर्शनी भी लगायी गयी तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।
संस्थान के प्रशासी अधिकारी सूबेदार संजय कुमार, डॉ. नवनीत कुमार, प्रो. संजीत कुमार, प्रो. चंद्रा आभा, डॉ. आदित्य ओझा, प्रो. देवराज, प्रो. शालिनी कुमारी समेत बड़ी संख्या में संस्थान के शिक्षक, कर्मी और छात्र उपस्थित थे।

