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Success Story: कभी छक्का कहकर मजाक उड़ाते थे लोग, अब बिहार पुलिस में सेवा देगी ट्रांसजेंडर दिव्या ओझा

Success Story: बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा 2024 में जहां हजारों उम्मीदवारों ने अपनी मेहनत से सफलता हासिल की, वहीं गोपालगंज की रहने वाली दिव्या ओझा की कहानी सबसे अलग, साहसी और समाज को आईना दिखाने वाली रही. जानें...

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 10 May 2025 03:31:50 PM IST

Success Story

सफलता की कहानी - फ़ोटो GOOGLE

Success Story: बिहार पुलिस सिपाही भर्ती 2024 में जहाँ लाखों युवाओं ने भाग लिया, वहीं एक नाम ऐसा भी है जिसने न सिर्फ परीक्षा पास की, बल्कि समाज की धारणाओं को भी तोड़ा है। गोपालगंज की रहने वाली दिव्या ओझा, एक ट्रांसजेंडर उम्मीदवार, ने कठिन सामाजिक संघर्षों के बीच यह मुकाम हासिल कर समाज के लिए एक नई उम्मीद और प्रेरणा की मिसाल कायम की है। बीते दिन बिहार पुलिस सिपाही भर्ती का रिजल्ट आया है, जिसमें दिव्या ने अपनी मेहनत से अपना नाम भी दर्ज कर लिया है। 


दिव्या का रिजल्ट आने आने के बाद उन्होंने बताया कि वह पिछले ढाई साल से पटना में रहकर एक निजी कोचिंग संस्थान में पढ़ाई कर रही थीं। वह कहती हैं रोज ताने सुनती थी, लोग कहते थे देखो छक्का जा रहा है, लेकिन मैं रुकी नहीं। मैं हार मानने वालों में से नहीं हूं। आज मुझे लग रहा है कि मैं भी इस समाज का हिस्सा हूं। 


वहीं, जब परिणाम घोषित होने के रिजल्ट आने के बाद वह सबसे पहले अपने गुरुजन से मिलने पहुंचीं और भावुक होकर कहा कि मेरी मेहनत रंग लाई है। अब मैं समाज को दिखा सकी हूं कि ट्रांसजेंडर भी मेहनत से आगे बढ़ सकते हैं। बता दें कि इस बार की भर्ती में कुल 8 ट्रांसजेंडर अभ्यर्थियों ने सफलता पाई है, जो अपने आप में ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है। यह इस बात का संकेत है कि धीरे-धीरे सही, समाज अब हाशिये पर खड़े लोगों को मुख्यधारा में स्वीकार करना शुरू कर चुका है।


बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा 2024 का डेटा

कुल रजिस्ट्रेशन: 17,87,720 

रिटन एग्जाम में शामिल: 11,95,101

PET के लिए शॉर्टलिस्ट: 1,07,079

PET में शामिल: 86,539

मेल: 53,960

फीमेल: 32,569

ट्रांसजेंडर: 10

कुल चयनित अभ्यर्थी: 21,391

बिहार पुलिस में: 19,958

विशेष सशस्त्र पुलिस बल में: 1,433


वहीं, घर से बाहर निकलें, मेहनत करें, पढ़ाई करें और समाज को दिखाएं कि आप भी कुछ कर सकते हैं। अपनी पहचान को कमजोरी नहीं, ताकत बनाएं। दिव्या की सफलता केवल एक सरकारी नौकरी पाने की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक क्रांति की शुरुआत है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर जज्बा और मेहनत हो, तो कोई भी दीवार ऊँची नहीं होती। उनकी इस उपलब्धि से समाज को यह सीख लेनी चाहिए कि प्रोत्साहन और अवसर देना कितना जरूरी है, ताकि हर व्यक्ति अपनी क्षमता से देश की सेवा कर सके – चाहे उसकी लैंगिक पहचान कुछ भी हो।