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Quality Power के शेयरों में शुरुआती कारोबार में ही गिरावट आई और अंत में 9% से ज्यादा की गिरावट के साथ बंद हो गए। यह गिरावट न केवल कंपनी के लिए, बल्कि पूरे बाजार के लिए एक चेतावनी का संकेत बनकर उभरी, क्योंकि प्रमुख सूचकांक जैसे निफ्टी 50 और बीएसई सेंसेक्स भी एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ बंद हुए। कंपनी के शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 430 रुपये के भाव पर खुले, जो इसके इश्यू प्राइस 425 रुपये से 1.2 प्रतिशत अधिक था। शुरुआती उछाल के बाद शेयरों ने तेजी से बिकवाली का सामना किया, और पूरे कारोबारी दिन के दौरान दबाव में ही रहे। कारोबारी सत्र के अंत में कंपनी के शेयर 387.90 रुपये पर बंद हुए, जो 8.73 प्रतिशत की गिरावट के बराबर है। इस दौरान एनएसई पर कुल 1.1 करोड़ शेयरों का कारोबार हुआ।
बीएसई (BSE) पर भी कंपनी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। यहां शेयर 8.93 प्रतिशत की गिरावट के साथ 387.05 रुपये पर बंद हुए, जहां 4.78 लाख शेयरों की खरीद-फरोख्त हुई। इस कमजोरी ने निवेशकों को यह संकेत दिया कि बाजार की शुरुआती प्रतिक्रिया इतनी उत्साहजनक नहीं थी, जितनी उम्मीद की जा रही थी। लिस्टिंग के पहले दिन के कारोबार के बाद Quality Power का मार्केट कैपिटलाइजेशन 2,965.33 करोड़ रुपये रहा, जो निवेशकों के लिए एक मिश्रित संकेत है। जबकि कंपनी का मार्केट कैप निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन शेयरों में आई इस गिरावट ने उसकी वास्तविक स्थिति को स्पष्ट कर दिया।
Quality Power ने आईपीओ के जरिए 858.7 करोड़ रुपये जुटाए थे, जिसमें 2.02 करोड़ शेयर जारी किए गए थे। इन शेयरों की कीमत 425 रुपये प्रति शेयर तय की गई थी। हालांकि, आईपीओ के दौरान निवेशकों की प्रतिक्रिया उम्मीद से कहीं कम रही। इसे महज 1.29 गुना ही सब्सक्राइब किया गया, जो किसी भी आईपीओ के लिए एक ठंडी प्रतिक्रिया मानी जा सकती है। यह आईपीओ 14 फरवरी से 18 फरवरी तक खुला था और इसे उम्मीद के मुताबिक उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसमें 225 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी किए गए थे, जबकि 1.49 करोड़ शेयरों की बिक्री ऑफर-फॉर-सेल (OFS) के माध्यम से हुई, जिससे 633.7 करोड़ रुपये जुटाए गए। इस ऑफर के लिए शेयरों की कीमत 401-425 रुपये प्रति शेयर के बीच तय की गई थी।
Quality Power ने फ्रेश इश्यू से जुटाई गई राशि का उपयोग मेहरू इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (Mehru Electrical and Mechanical Engineers) के अधिग्रहण, नए प्लांट और मशीनरी की खरीद, और अकार्बनिक विकास (Inorganic Growth) में करने की योजना बनाई है। वहीं, ऑफर-फॉर-सेल (OFS) से मिली राशि प्रमोटर चित्रा पांड्यान (Chitra Pandyan) को प्राप्त हुई। हालांकि, अब यह देखना होगा कि कंपनी अपनी योजनाओं को कितनी जल्दी और प्रभावी तरीके से लागू करती है, ताकि बाजार में उसकी छवि सुधर सके और शेयरों में स्थिरता आ सके।