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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 07 Oct 2025 07:55:30 AM IST
E-Commerce Platforms - फ़ोटो Google
E-Commerce Platforms: देश में ई-कॉमर्स कंपनियां तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं और उनका बिज़नेस भी लगातार बढ़ रहा है। लेकिन इनके काम करने के तरीके पर अब सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में कई मामले सामने आए हैं जिनमें ग्राहक अगर कैश ऑन डिलिवरी (COD) का ऑप्शन चुनते हैं, तो उनसे extra चार्ज लिया जा रहा है। अब सरकार ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है और ऐसी कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...
ई-कॉमर्स कंपनियों पर अब सरकार सख्त हो गई है। उपभोक्ता मामलों का विभाग उन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की जांच कर रहा है जो ग्राहकों से कैश ऑन डिलिवरी (COD) चुनने पर अतिरिक्त पैसे वसूलते हैं। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसे “डार्क पैटर्न” कहा है — यानी ऐसी चालाक तरकीबें जिनसे ग्राहकों को बिना पूरी जानकारी के ज़्यादा भुगतान करवाया जाता है। जोशी ने कहा कि सरकार ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा करेगी और ऑनलाइन खरीदारी को ज्यादा पारदर्शी (transparent) बनाने के लिए जरूरी कदम उठाएगी।
कैश ऑन डिलिवरी पर 'हैंडलिंग चार्ज' का विवाद
यह मुद्दा तब चर्चा में आया जब कई लोगों ने सोशल मीडिया पर स्क्रीनशॉट शेयर किए, जिनमें कुछ ऐप्स (जैसे कि जोमैटो, स्विगी और जेप्टो) ने पेमेंट हैंडलिंग चार्ज या रेन फीस जैसे नामों पर extra चार्ज लिया था। इससे लोगों में नाराजगी बढ़ गई। इन शिकायतों के बाद सरकार ने इस पर एक्शन लेने की बात कही है। जोशी ने ट्वीट किया कि इन मामलों की गहराई से जांच होगी और अगर कोई कंपनी गलत पाए गई, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नए कानून की तैयारी
सरकार पहले ही ई-कॉमर्स कंपनियों को चेतावनी दे चुकी है कि वे ग्राहकों के साथ धोखा न करें। अब सरकार नए कानून लाने की भी तैयारी कर रही है ताकि ऐसे छिपे हुए शुल्क और भ्रामक तरीकों पर रोक लगाई जा सके।
सरकार का मकसद
सरकार चाहती है कि ऑनलाइन खरीदारी करते वक्त ग्राहकों को पूरी जानकारी दी जाए और उनसे किसी भी तरह का गुप्त या छुपा हुआ चार्ज न लिया जाए। इस सख्ती से उम्मीद है कि आने वाले समय में ऑनलाइन शॉपिंग ज्यादा साफ-सुथरी और ग्राहक के हित में हो जाएगी।