ब्रेकिंग न्यूज़

BIHAR CRIME: प्रेमी के साथ मिलकर मां ने करवाया था अपने बेटे का अपहरण, 24 घंटे के अंदर पुलिस ने किया खुलासा PATNA NEWS: टेम्पू चालक ने महिला सिपाही को मारा थप्पड़, ज्यादा किराया मांगने को लेकर हुआ था विवाद PATNA CRIME: रिटायर्ड DSP के घर में लाखों की चोरी, बंद घर को बनाया निशाना Bihar News: किसान पिता ने बेटे का सपना किया पूरा, हेलीकॉप्टर से ले गये बारात, हेलीपैड पर उमड़ पड़ी भारी भीड़ जो समाज के व्यक्ति को नेता बनाता है, वही समाज आगे बढ़ता है: मुकेश सहनी चारा खाने वाले क्या समझे मखाना का स्वाद, तेजस्वी सहित लालू परिवार पर BJP का बड़ा हमला Bihar News : नहाने योग्य भी नहीं रही गंगा, कुंभ के बाद अब बिहार में हुई सर्वे में चौकाने वाला खुलासा वृंदावन की होली में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक की मांग, हिंदू संगठन धर्मरक्षा संघ ने सीएम योगी को लिखा पत्र Bihar Vidhansabha Election: बिहार में VIP सुरक्षा की नई रणनीति, बदलेगा पुलिस का यूनिफॉर्म! बिना अनुमति के मस्जिद में नमाज के दौरान किया लाउडस्पीकर का इस्तेमाल, मौलवी पर हो गया केस दर्ज

Bihar government news :बिहार में शिक्षा और आय की बदहाली : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उजागर हुई नाकामी

Bihar government News:नीतीश कुमार अपनी सरकार की तारीफ करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। हर सार्वजनिक कार्यक्रम में उनका वही रटा-रटाया दावा रहता हैं — "हम बहुत काम करते रहते हैं।" लेकिन हकीकत इसके उलट है।

बिहार,Bihar, नीतीश कुमार,Nitish Kumar, बिहार की अर्थव्यवस्था,Bihar economy, बिहार की आय,Bihar income, झारखंड,Jharkhand, दिल्ली,Delhi, सिक्किम,Sikkim, तेलंगाना,Telangana, महाराष्ट्र,Maharashtra, केरल,K

02-Mar-2025 01:18 PM

Bihar government: बिहार, जो आबादी के हिसाब से देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है, आर्थिक रूप से सबसे पिछड़ा है। यहाँ के लोगों की औसत मासिक आय मात्र 5,028 रुपए है, जो पड़ोसी राज्य झारखंड से भी कम है। वहीं, दिल्ली, सिक्किम, तेलंगाना, महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों की प्रति व्यक्ति आय बिहार से कई गुना अधिक है।नीतीश सरकार भले ही अपनी उपलब्धियों का ढोल पीटती रहे, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह बताती है कि बिहार अब भी देश के सबसे पिछड़े और गरीब राज्यों में शुमार है।


नीतीश सरकार की शिक्षा नीति फेल

बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, राज्य में हर चौथा बच्चा 8वीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ देता है। खासकर 9वीं से 12वीं के बीच 26% छात्र पढ़ाई बीच में छोड़ने को मजबूर हैं। वहीं, प्राथमिक कक्षाओं (1 से 5वीं) में 9.06% और 6 से 8वीं कक्षा में 1.25% छात्र ड्रॉपआउट हो रहे हैं।


सरकार का फोकस विकास पर या सब्सिडी पर?

नीतीश सरकार का पूरा ध्यान इन्फ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा सुधारने के बजाय बिजली सब्सिडी पर है। बिहार के बजट 2024-25 में कुल 2.56 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए, जिसमें से 2.26 लाख करोड़ राजस्व खर्च के लिए था। पूंजीगत व्यय (जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित होता है) सिर्फ 13% यानी 29,416 करोड़ रुपए रखा गया, जबकि बिजली सब्सिडी पर इससे भी अधिक खर्च हो रहा है।नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की सरकारी सब्सिडी का बड़ा हिस्सा बिजली पर खर्च हो रहा है, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति कमजोर होती जा रही है


बिहार के सबसे अमीर और गरीब और अमीर जिले 

बिहार में पटना सबसे अमीर जिला है, जहां प्रति व्यक्ति आय ₹1,21,396 है, जबकि शिवहर सबसे गरीब जिला है, जहां यह सिर्फ ₹19,561 है। बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, राज्य की औसत आय कई अन्य राज्यों से बहुत कम है, जिससे आर्थिक असमानता साफ दिखती है

 

कितना है दुसरे राज्यों की तुलना में बिहार की प्रति व्यक्ति आय

बिहार की प्रति व्यक्ति आय की तुलना अन्य राज्यों से करें तो यह आर्थिक रूप से सबसे पिछड़े राज्यों में आता है। बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, बिहार में औसत प्रति व्यक्ति वार्षिक आय मात्र ₹50,028 है, जो भारत में सबसे कम है।

बिहार vs अन्य राज्यों की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय (2023-24)

दिल्ली – ₹4,44,768 (बिहार से 8 गुना अधिक)

सिक्किम – ₹5,14,381 (बिहार से 10 गुना अधिक)

तेलंगाना – ₹3,27,221 (बिहार से 6 गुना अधिक)

महाराष्ट्र – ₹2,60,000 (बिहार से 5 गुना अधिक)

केरल – ₹2,50,000 (बिहार से 5 गुना अधिक)

हिमाचल प्रदेश – ₹2,00,000 (बिहार से 4 गुना अधिक)

आंध्र प्रदेश – ₹2,00,000 (बिहार से 4 गुना अधिक)

झारखंड – ₹75,000 (बिहार से अधिक)


बिहार में उच्च शिक्षा के लिए नामांकन दर (GER) 

रिपोर्ट  के हवाले से , वर्ष 2020-21 में  नामांकन दर 14.5% थी, जो 2021-22 में बढ़कर 19.3% हो गई। हालांकि, यह अभी भी राष्ट्रीय औसत 28.4% से काफी कम है। तमिलनाडु (51.4%) और दिल्ली (48.1%) जैसे राज्यों की तुलना में बिहार उच्च शिक्षा में काफी पिछड़ा हुआ  है।


सरकार के प्रयासों से स्कूल शिक्षा में हुआ सुधार , लेकिन चुनौतियां अब भी बरकरार

बिहार में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर नामांकन दर अच्छी है। कक्षा 1 से 8 तक स्कूली शिक्षा में नामांकन दर 96.2% है। साथ ही, ड्रॉपआउट दर भी घटी है—

प्राथमिक स्तर पर: 1.9%, माध्यमिक स्तर पर: 14.1%.


बिहार की उच्च शिक्षा में प्रमुख समस्याएं


 गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत है , बिहार में प्रति लाख आबादी पर कॉलेजों की संख्या अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है| लिहाजा,  गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी के कारण छात्रों को अन्य राज्यों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता  है। वहीं वित्तीय कारणों   के वजह से  आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा हासिल करना कठिन होता है।

स्वास्थ्य क्षेत्र भी संकट में

सरकारी अस्पतालों की हालत भी खराब है। बिहार में 12,721 सरकारी अस्पतालों में स्थायी डॉक्टरों के 12,895 पद स्वीकृत हैं, लेकिन केवल 7,144 डॉक्टर ही कार्यरत हैं। इसी तरह, ग्रेड A नर्सों के 17,460 पदों में से केवल 9,650 नर्सें कार्यरत हैं।नीतीश कुमार की प्राथमिकता जनता या खुद की छवि है ये समझना  तो मुश्किल है  वैसे, नीतीश  तो अपनी सरकार की तारीफ करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। हर सार्वजनिक कार्यक्रम में उनका वही रटा-रटाया दावा होता है— "हम बहुत काम करते रहते हैं।" लेकिन हकीकत  तो इसके उलट है।बिहार, जो आबादी के हिसाब से देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है, आर्थिक रूप से सबसे पिछड़ा है। यहाँ के लोगों की औसत मासिक आय मात्र 5,028 रुपए है, जो पड़ोसी झारखंड से भी कम है। वहीं, दिल्ली, सिक्किम, तेलंगाना, महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों की प्रति व्यक्ति आय बिहार से कई गुना अधिक है।

नीतीश सरकार भले ही अपनी उपलब्धियों का ढोल पीटती रहे, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह बताती है कि बिहार अब भी देश के सबसे गरीब राज्यों में शुमार है। बिहार  में असमान आर्थिक विकास, कमजोर शिक्षा व्यवस्था, और बदहाल स्वास्थ्य सुविधाएं इस बात का सबूत हैं कि नीतीश कुमार की सरकार जनता की मूलभूत जरूरतों पर ध्यान देने में विफल रही है। जब देश के अन्य राज्य अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत कर रहे हैं, बिहार अभी भी सबसे गरीब और पिछड़ा राज्य बना हुआ है।