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बिहार राज्य में बालू, ईंट, पत्थर जैसे लघु खनिजों का दोहन करने वाले और समय पर कर का भुगतान नहीं करने वाले कारोबारियों के खिलाफ सरकार ने सख्त कार्रवाई करने का फैसला किया है। खान एवं भूतत्व विभाग के निर्देशानुसार, बार-बार नोटिस के बावजूद बकाया कर का भुगतान नहीं करने वाले और जिनके खिलाफ नीलामी की प्रक्रिया चल रही है, उन कारोबारियों की संपत्ति जब्त की जाएगी। इसके लिए एक कमिटी का भी गठन किया गया है, जिसमें केके पाठक भी शामिल हैं।
राज्य में सैकड़ों खनिज कारोबारी समय पर सरकार को कर का भुगतान नहीं करते हैं, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। अब सरकार ऐसे बकाएदारों से राजस्व वसूली के लिए सख्त कदम उठाने जा रही है। हाल ही में राज्य के मुख्य सचिव अमृत लाल मीना की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें खनिज संपदा की खोज, खनिज ब्लॉकों की नीलामी और बकाएदारों से वसूली पर चर्चा की गई। इस बैठक के दौरान जिलों के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए कि वे कर का भुगतान नहीं करने वाले बड़े बकाएदारों की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाएं।
सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि बार-बार नोटिस के बावजूद टैक्स नहीं चुकाने वाले बकायेदारों की संपत्ति व जमीन का मूल्यांकन कर जब्त किया जाए तथा बकाया राशि वसूली जाए। इस आदेश के बाद खान एवं भूतत्व विभाग ने जिलों से समन्वय की प्रक्रिया तेज कर दी है। अब बड़े बकायेदारों की पहचान कर उनकी सूची तैयार की जा रही है, ताकि जल्द से जल्द कार्रवाई की जा सके।
इस बीच वित्त विभाग भी हरकत में आ गया है। वित्त विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित की गई है, जो सर्टिफिकेट केस में फंसे 4263 करोड़ रुपये की वसूली के उपाय सुझाएगी। कमेटी में राजस्व परिषद के अध्यक्ष सह सदस्य केके पाठक, स्टांप एवं निबंधन विभाग, वाणिज्य कर विभाग, परिवहन विभाग तथा एसएलबीसी समन्वयक शामिल होंगे। सरकार ने इस मामले में राजस्व परिषद को नोडल एजेंसी बनाया है। परिषद बैंकों, विभागों, प्रमंडलीय आयुक्तों व अन्य पदाधिकारियों के साथ मिलकर सर्टिफिकेट केस का निष्पादन प्राथमिकता के आधार पर पूरा करेगी।
राजस्व परिषद के अध्यक्ष केके पाठक ने सुझाव दिया है कि सर्टिफिकेट केस में फंसे मामलों के त्वरित समाधान के लिए 'वन टाइम सेटलमेंट स्कीम' (ओटीएस) लाया जाना चाहिए। वाणिज्य कर विभाग ने पहले ही ओटीएस योजना लागू कर दी है, जिससे सरकार को बकाया राजस्व वसूली में मदद मिली है। अब इसे अन्य विभागों में भी लागू करने पर विचार किया जा रहा है। सरकार की नई रणनीति के तहत राजस्व वसूली के लिए सख्ती बरती जाएगी। बड़े बकायेदारों की संपत्ति जब्त कर टैक्स की वसूली की जाएगी। सर्टिफिकेट केस में फंसे करोड़ों की वसूली के लिए नई रणनीति बनेगी। ओटीएस योजना लागू कर बकायेदारों को आखिरी मौका दिया जाएगा।