ब्रेकिंग न्यूज़

पटना में 24 पाकिस्तानी महिलाओं की लिस्ट जारी, तीन ने ली भारतीय नागरिकता 40 साल दरगाह की सेवा के बाद श्यामलाल की घर वापसी, पहलगाम आतंकी हमले से हुआ हृदय परिवर्तन Bihar News: सदर अस्पताल में मिला 25 वर्षीय युवक का शव, प्रेमिका के परिवार वालों पर हत्या का आरोप आतंकवादी हमले के खिलाफ पटना में महागठबंधन का कैंडल मार्च, तेजस्वी यादव-मुकेश सहनी सहित कई नेता रहे मौजूद Road Accident: भारतीय सेना के जवान की सड़क हादसे में मौत, पिता के निधन के बाद छुट्टी पर आए थे घर गोपालगंज में 4 दिन से लापता युवती की लाश बगीचे से बरामद, हत्या के विरोध में परिजनों ने किया सड़क जाम हंगामा CSKvsSRH: 10वें स्थान को लेकर CSK और SRH में रोचक जंग के बीच चेन्नई को मिले भविष्य के 2 सुपरस्टार BIHAR NEWS: विनोद सिंह गुंजियाल बने बिहार के नये मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 2007 बैच के हैं IAS अधिकारी महागठबंधन में महाघमासान होना तय! RJD से दबने को तैयार नहीं कांग्रेस, को-ओर्डिनेशन कमेटी में दिखा दिया अपना जोर Pahalgam Terror Attack: रूस की अपने नागरिकों को सलाह, “पाकिस्तान की यात्रा न करें”, भारत-पाक के बीच तनाव से पूरी दुनिया अलर्ट

Holi 2025 : बिहार का ऐसा गांव जहां लोग नहीं मानते होली, जानिए क्या है मान्यता

Holi 2025: बिहार का ऐसा गांव जहां दशकों से चले आ रहे मान्यता के अनुसार आज भी ग्रामीण होली नहीं खेलते है और उनके घरों में कोई पकवान भी नहीं बनाया जाता है. जानिए क्या है मान्यता

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 08 Mar 2025 12:13:02 PM IST

BIHAR NEWS

मुंगेर के एक गांव में नहीं मनाई जाती होली - फ़ोटो GOOGLE

Holi 2025: हमारा  देश इस समय होली के रगों में रंगा हुआ है। होली का त्योहार आने में कुछ ही दिन शेष है,  होली बिहार का भी सबसे अहम पर्व है। इसे मनाने देश के कोने-कोने में बसे बिहारी अपने घर आते हैं, लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं बिहार के एक ऐसे गांव की कहानी जहां 250 साल से होली नहीं मनाई जा रही है। बिहार के मुंगेर जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर असरगंज प्रखण्ड के इस गांव में होली अभिशाप मानी जाती है। गांव में करीब 2000 लोग रहते हैं, लेकिन कोई भी होली नहीं मनाता है।


यहां के लोगों की मान्यता है कि पूरे फागुन में इस गांव के किसी घर में अगर पुआ या छानने वाला कोई पकवान बनता है तो उस परिवार पर कोई विपदा आ सकती है । इस गांव को लोग सती गांव भी कहते है । ग्रामीण महेश सिंह बताते हैं कि लगभग 250 साल पहले इसी गांव में सती नाम की एक महिला के पति का होलिका दहन के दिन निधन हो गया था। निधन के बाद सती अपने पति के साथ जल कर सती होने की जिद करने लगी. लेकिन ग्रामीणों ने उसे इस बात की इजाजत नहीं दिए और परिजनों ने उसे एक कमरे में बंद कर उसके पति के शव को श्मशान घाट ले जाने लगे, लेकिन शव बार-बार अर्थी से नीचे गिर जाता था।


गांव वालों ने जब पत्नी को घर का दरवाजा खोल कर निकाला तो पत्नी दौड़कर पति के अर्थी के पास पहुंचकर कहती है कि मैं भी अपने पति के साथ जल कर सती होना चाहती हूं। यह बात सुनकर गांव वालों ने गांव में ही चिता तैयार कर दी। तभी अचानक पत्नी के हाथों की उंगली से आग निकलती है ।उसी आग में पति-पत्नी साथ-साथ जल गए. उसके बाद कुछ गांव वालों ने गांव में सती का एक मंदिर बनवाया और उसे सती माता मानकर पूजा करने लगे। तब से इस गांव में होली नहीं मनाई जाती है। 


वहीं स्थानीय निवासी राजीव सिंह ने बताया कि इस गांव के लोग फागुन बीत जाने के बाद 14 अप्रैल को होलिका दहन मनाते हैं। हमारे पूर्वजों के समय से ही ऐसी रीत चली आ रही है और अगर कोई इस पूरे माह में छानकर बनाया जाने वाला पकवान बनाने की कोशिश करता है तो उसके घर में अचानक आग लग जाती है। इस तरह की घटनाएं कई बार हो चुकी हैं। जो परंपरा चली आ रही है उसे सब मानते हैं। अन्य दिनों की तरह ही लोग होली के दिन भी साधारण रहते है।