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देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र की कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए भारतीय रेलवे ने बड़ा कदम उठाया है। बिहार के किशनगंज जिला के ठाकुरगंज और चतरहाट के बीच 24.40 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन के निर्माण के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे शुरू हो गया है। इस परियोजना से न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में यह मार्ग देश के बाकी हिस्सों को पूर्वोत्तर भारत से जोड़ने में भी अहम भूमिका निभाएगा।
इस परियोजना के तहत पुणे की कंपनी मोनार्क सर्वेयर्स एंड इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स लिमिटेड हवाई सर्वेक्षण का काम कर रही है। एनएफ रेलवे के महाप्रबंधक ने किशनगंज के पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर ड्रोन सर्वे में सहायता का अनुरोध किया है। इस सर्वेक्षण में भूमि की आवश्यकता, मिट्टी की गुणवत्ता, बोर होल ड्रिलिंग, भूगर्भीय परीक्षण, प्रस्तावित पुलों की जांच, स्टेशन यार्ड डिजाइन और यातायात सर्वेक्षण रिपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया जाएगा।
इस नई रेल लाइन के निर्माण के बाद एनजेपी (न्यू जलपाईगुड़ी) से दिल्ली तक की यात्रा के लिए एक वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हो जाएगा। वर्तमान में यह यात्रा कटिहार के रास्ते होती है। आपदा के समय पूर्वोत्तर भारत को देश के अन्य भागों से जोड़ने के लिए नई रेल लाइन एक सशक्त माध्यम बनेगी।
ठाकुरगंज से एनजेपी की वर्तमान दूरी 63 किमी है, जो नई रेल लाइन के निर्माण के बाद घटकर मात्र 45 किमी रह जाएगी। इससे यात्रियों का समय और लागत दोनों बचेगी। अलुआबाड़ी एनजेपी रेल खंड पर स्थित छोटा सा स्टेशन चतरहाट इस परियोजना का एक प्रमुख केंद्र होगा।
रेलवे बोर्ड द्वारा स्वीकृत इस परियोजना का उद्देश्य न केवल क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देना है, बल्कि देश की पूर्वोत्तर सीमा पर स्थित चिकन नेक क्षेत्र की सुरक्षा भी सुनिश्चित करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नई रेल लाइन के निर्माण से क्षेत्र में व्यापार, पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को नई गति मिलेगी। यह परियोजना न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगी, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास में भी मील का पत्थर साबित होगी।