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बिहार में क्यों अटका वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे का काम? सामने आया बड़ा कारण!

भूमि अधिग्रहण में आ रही बाधाओं के कारण वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के निर्माण में देरी हो रही है। NHAI ने सरकार से भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। मुआवजा वितरण के लिए विशेष शिविर लगाए जा रहे हैं, लेकिन प्रक्रिया अधूरी है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 20 Feb 2025 09:26:56 AM IST

expressway

expressway - फ़ोटो AI

बिहार में भूमि अधिग्रहण में आ रही बाधाओं के कारण बहुप्रतीक्षित वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। राज्य के औरंगाबाद, गया, कैमूर और रोहतास जिलों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अधूरी है, जिसके कारण इस राजमार्ग परियोजना को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।


भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने राज्य सरकार से शीघ्र भूमि अधिग्रहण करने का अनुरोध किया था। इसके बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और जिला प्रशासन ने विशेष शिविरों के माध्यम से प्रभावित किसानों को मुआवजा वितरित करने की योजना बनाई। हालांकि, कई किसानों के बीच आपसी विवाद, भूमि के प्रकार को लेकर आपत्ति और मुआवजा दर पर असहमति के कारण प्रक्रिया में देरी हो रही है। इसके अलावा कुछ किसानों ने मध्यस्थता के मामले दायर कर दिए हैं, जिसके कारण वे मुआवजा लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।


कहां अटका है एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट?

  • औरंगाबाद: फरवरी के पहले सप्ताह तक 31.19 करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में वितरित किए गए, लेकिन कई किसानों ने आवेदन ही नहीं किया।
  • गया: 28 मौजा का कब्जा एनएचएआई को सौंप दिया गया है, लेकिन भूमि विवाद के कारण मुआवजा भुगतान की गति काफी धीमी है।
  • कैमूर: 73 मौजा में से 65 मौजा का अवार्ड तैयार हो चुका है, लेकिन सिर्फ 57 मौजा में ही मुआवजा नोटिस जारी किया गया है।
  • रोहतास: कई रैयतों को मुआवजा दिया गया, लेकिन अधिकांश रैयतों की ओर से आवेदन नहीं आने के कारण विशेष कैंप लगाने का आदेश दिया गया।


राज्य सरकार और एनएचएआई ने संयुक्त रूप से रैयतों को जागरूक करने और शीघ्र मुआवजा वितरण के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारी ने कहा कि हम चाहते हैं कि सभी प्रभावित रैयत जल्द से जल्द मुआवजा ले लें और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो जाए। जिन रैयतों के पास जरूरी कागजात नहीं हैं, उनसे जल्द से जल्द जमा करने की अपील की गई है।


वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे बिहार के लिए गेम चेंजर प्रोजेक्ट साबित हो सकता है। इसके निर्माण से न केवल उत्तर भारत से पूर्वी भारत तक कनेक्टिविटी बेहतर होगी, बल्कि व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। अब देखना यह है कि सरकार भूमि अधिग्रहण की समस्याओं को कितनी जल्दी सुलझा पाती है और यह मेगा प्रोजेक्ट कब पटरी पर आता है