Koilwar bridge accident : कोइलवर सिक्सलेन पुल पर स्कूल बस और कंटेनर की टक्कर, ड्राइवर की हालत गंभीर Bihar Election 2025: चकाई में सुमित सिंह की सभा में उमड़ा जनसैलाब, नीतीश-मोदी की डबल इंजन सरकार पर जताया विश्वास Bihar Election 2025: चकाई में सुमित सिंह की सभा में उमड़ा जनसैलाब, नीतीश-मोदी की डबल इंजन सरकार पर जताया विश्वास Bihar Election 2025: ‘लालू के जंगलराज जैसी ही नीतीश सरकार की हालत’, बिहार की बिगड़ी कानून व्यवस्था पर बोले प्रशांत किशोर Bihar Election 2025: ‘लालू के जंगलराज जैसी ही नीतीश सरकार की हालत’, बिहार की बिगड़ी कानून व्यवस्था पर बोले प्रशांत किशोर Bihar Election : "मुकेश सहनी का बिहार में बड़ा बयान, कहा - 20 साल बाद बदलाव का वक्त, अब ऐसी सरकार चुनें जो बिहार के बारे में सोचे" Bihar Election 2025: बिहार में बीजेपी की चुनाव प्रचार गाड़ी पर हमला, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल दरभंगा में अगलगी की भीषण घटना: 4 सिलेंडर ब्लास्ट से 6 घर जलकर राख, 12 लाख से अधिक का नुकसान Bihar Election 2025: यूपी के रास्ते बिहार ले जाए जा रहे 24.40 लाख रुपये जब्त, विधानसभा चुनाव में खपाने की थी योजना! Bihar Election 2025: यूपी के रास्ते बिहार ले जाए जा रहे 24.40 लाख रुपये जब्त, विधानसभा चुनाव में खपाने की थी योजना!
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 13 Jan 2025 04:29:31 PM IST
मकर संक्रांति पर खरीदारी - फ़ोटो GOOGLE
gaya makar sankranti tilkut: मकर संक्रांति को लेकर गया का तिलकुट व्यवसाय इन दिनों अपने पूरे परवान पर है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति पूरे देश में मनायी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन तिल खाने और दान करने का विधान है। इसे लेकर तिलकुट की मुख्य मंडी गया के रमना रोड और टिकारी रोड की दुकानें सजी हुयी है। जहां लोग तिलकुट की खरीददारी कर रहे है।
वैसे तो गयाजी प्राचीनतम धार्मिक नगरी है। यह शहर मोक्षाधाम के रूप में प्रख्यात है। लेकिन गया की पहचान तिलकुट के अनूठे स्वाद के लिए भी जानी जाती है। यहां के नरम और खास्ता तिलकुट की मांग देश-विदेश तक है। ठंड के मौसम में तिलकुट की मांग काफी बढ़ जाती है। तिलकुट की तासिर गर्म होती है। यह आर्येवेदिक दवा का भी काम करता है। तिलकुट खाने से कब्जीयत जैसी बीमारी नहीं होती है साथ ही यह पाचन क्रिया को भी बढ़ाता है। तिलकुट निर्माण के लिए गया की जलवायु भी काफी अच्छी मानी जाती है। यहां का मौसम और पानी इसके निर्माण में काफी उपयोगी सिद्ध होता है।
गया में तिलकुट की शुरूआत डेढ़ सौ साल पहले गोपी साव नामक हलवाई ने रमना रोड से की थी। उसके बाद उनके वशंज आज तक इस पारंपकि तिलकुट व्यवसाय को करते आ रहे है। हालांकि अब रमना और टिकारी रोड में कई दुकानें खुल चुकी है। जहां काफी मात्रा में तिलकुट बनायी जाती है। वैसे तो पूरे देश में कई जगहों पर तिलकुट का व्यवसाय होता है। लेकिन गया में निर्मित तिलकुट और उसके स्वाद का मुकाबला कहीं नहीं है। यहां के तिलकुट के स्वाद का जोड़ कहीं नहीं है। यही वजह है कि गया में निर्मित तिलकुट झारखंड, उतरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र सहित पाकिस्तान, बांगलादेश जैसे देशों में भेजी जाती है। गया आने-जाने वाले लोग यहां के तिलकुट का स्वाद जरूर लेते है और अपने दूर दराज के रिश्तेदारों के लिए भी झोले में भरकर तिलकुट को ले जाते है।
तिलकुट व्यवसाय से जुड़े लोग बताते है कि तिल और चीनी से तिलकुट का निर्माण किया जाता है। इसके लिए एक निश्चित मात्रा में तिल और चीनी के मिश्रण को कोयले की आग पर निश्चित समय सीमा तक मिलाया जाता है और एक निश्चित समय तक इसे कूटा जाता है। जिसके बाद लजीज और जायकेदार खास्ता तिलकुट खाने के लिए तैयार हो जाता है। और मिश्रण और कूटने की प्रक्रिया में थोड़ी भी गड़बड़ी होती है तो स्वाद बिगड़ने का डर रहता है। गया में चीनी के अलावा गुड़ और खोवा का भी तिलकुट बनाया जाता है। जो विभिन्न दरों पर बाजार में बेचा जा रहा है। हालांकि महंगाई ने भी तिलकुट व्यवसाय पर अपना प्रभाव डाला है।
चीनी और कोयले के कीमतों में वृद्धि हुई है साथ ही मजदूरी भी ज्यादा देनी होती है। जिस कारण स्थानीय दुकानदार मेहनत के मुताबिक फायदा न होने की बात बताते है। उनका कहना है कि सरकार भी तिलकुट व्यवसाय पर ध्यान नही दे रही है। अगर सरकार तिलकुट व्यवसाय को लघु कुटीर उद्योग का दर्जा देती है तो इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी सहायता मिल सकेगी और यह व्यवसाय में और बढ़ावा होगा। वहीं महंगाई से ग्राहक भी प्रभावित है। लोगों का कहना है कि धार्मिक आस्था के आगे महंगाई कोई मायने नहीं रखती है। थोड़ा कम ही सही लेकिन मकर संक्रांति पर तिलकुट तो खाना ही है।
गया से नितम राज की रिपोर्ट