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Bihar Politics: 'अपहरणकर्ता' ने सत्ताधारी दल के 'अध्यक्ष' की कराई फजीहत..! भद्द पिटने के बाद अब संभल कर कराएंगे ज्वाइनिंग

1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Thu, 26 Dec 2024 03:45:02 PM IST

Bihar Politics: 'अपहरणकर्ता' ने सत्ताधारी दल के 'अध्यक्ष' की कराई फजीहत..! भद्द पिटने के बाद अब संभल कर कराएंगे ज्वाइनिंग

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Bihar Politics: एक अपहरणकर्ता ने सत्ताधारी दल के प्रदेश अध्यक्ष की फजीहत करा दी. दरअसल, सत्ताधारी जमात के प्रदेश अध्यक्ष ने एक ऐसे विवादित नेता को पार्टी में शामिल कराया, जिस पर कुछ समय पहले अपहरण का केस दर्ज किया गया था. सिर्फ केस दर्ज ही नहीं हुआ था, बल्कि पुलिस ने केस को सही करार दिया. निचली अदालत से जमानत की अर्जी खारिज हो गई, हालांकि हाईकोर्ट से थोड़ी राहत मिली और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई. सुशासन राज में अपहरणकांड. आरोपी जिसे दल में शामिल कराया जा रहा था, यह बात प्रदेश अध्यक्ष से छुपा ली गई. मामले का जब खुलासा हुआ तो सब हक्के-बक्के रह गए. 

नए-नवेले नेता ने अध्यक्ष की पिटवा दी भद्द 

दरअसल, दो दिन पूर्व सत्ताधारी पार्टी में एक ऐसे नए-नवेले नेता की ज्वाइनिंग कराई गई, जिस पर विवाद गहरा गया है. बिहार में सुशासन की सरकार है. सत्ताधारी दल के बड़े-बड़े नेता यहां तक की प्रदेश अध्यक्ष क्राइम मुक्त बिहार की बात करते हैं. वहीं, पार्टी में ऐसे लोगों की इंट्री करा रहे, जिन पर अपहरण के संगीन आरोप हो, पुलिस ने केस को सही करार दिया हो. इन सबके बावजूद प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी कार्यालय में पूरे तामजाम के साथ दल में शामिल कराया. 

बड़े-बड़े बैनर-पोस्टर लगाए थे 

जानकार बताते हैं कि, अपहरणकर्ता को पार्टी में शामिल कराने को लेकर राजधानी पटना में बड़े-बड़े बैनर लगाए गए थे. पार्टी कार्यालय के मुख्य द्वार भी बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाए गए थे. ऐसा लग रहा था कि कोई बड़ा चेहरा दल में शामिल होने वाला हो. बैनर-पोस्टर में बजाप्ता लिखा गया था..प्रदेश अध्यक्ष के हाथों खुद को सबसे अलग बताने वाली सत्ताधारी पार्टी में शामिल होंगे. 

ज्वाइनिंग से पहले अध्यक्ष तक पहुंच गई थी यह बात 

पटना में बड़े-बड़े बैनर पोस्टर लगाने के बाद नेताजी का इतिहास पता लगाया जाने लगा. जानकारी लगी कि यह शख्स 2023 में अपने गृह जिले में हुए पत्रकार अपहरणकांड का आरोपी है. पुलिस ने जांच रिपोर्ट में केस को सही करार दिया है. निचली अदालत ने अग्रिम जमानत की याचिका भी खारिज कर दी है. हालांकि पटना हाईकोर्ट से राहत मिली हुई है. सूत्र बताते हैं कि, अपहरणकर्ता को दल में शामिल कराने से पहले पूरी जानकारी प्रदेश अध्यक्ष तक पहुंचाई गई। इसके बाद उनके भी कान खड़े हुए. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें...क्यों कि उस शख्स को दल में ज्वाइन कराने को लेकर उन्होंने ही सहमति दी थी. न सिर्फ सहमति दी थी बल्कि, अपनी हाथों से अपहरणकर्ता को पार्टी में ज्वाइन कराना था. ऐसे में अध्यक्ष की मुश्किलें बढ़ गई. 

बताया जाता है कि सत्ताधारी दल के प्रदेश अध्यक्ष अपहरणकर्ता (नेता) को पार्टी में शामिल कराने के कार्यक्रम में जाने से कन्नी कटाना चाहे, किसी उपाध्यक्ष को ज्वानिंग कार्यक्रम में शामिल होने के लिए खोजा जाने लगा. इसी बीच अपहरणकर्ता , जिसे दल में शामिल कराया जाना था, उस क्षेत्र के सांसद पहुंच गए. बेचारे अध्यक्ष जी तो बुरे फंसे. आखिर में कोई बहाना काम न आया. सांसद महोदय के आग्रह पर सत्ताधारी दल के प्रदेश अध्यक्ष कार्यक्रम में गए और अपहरणकर्ता को पार्टी में शामिल कराया. दल में शामिल होने के बाद खबर मीडिया में आई. इसके बाद चर्चा शुरू हो गई कि जो दल अपने को सबसे अलग बताती हो, चाल-चरित्र और चेहरा अलग बताने वाली पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ही अपहरणकर्ता को दल में शामिल कराते हों, ऐसे में इस पार्टी को तथाकथित जंगलराज वालों पर सवाल उठाने का हक नहीं.