Bihar Crime News: पति ने पत्नी को मौत के घाट उतारा, घरेलू कलह में वारदात को दिया अंजाम Bihar News: बिहार के इस जिले को मिली दो नई सड़कों की सौगात, सरकार ने दी 44 करोड़ की मंजूरी अजब प्रेम की गजब कहानी: सास-दामाद के बाद अब समधी और समधन की लव स्टोरी, घर छोड़ दोनों हुए फरार Innovative farming: 8 लाख की नौकरी छोड़ गांव लौटा युवक...अब खेती से कमा रहा है दोगुनी कमाई! जानिए कैसे? Bihar News: जमुई में नो एंट्री टाइम में बदलाव से जनता को बड़ी राहत, एसपी के निर्देश पर प्रभावी हुआ नया नियम Arvind Kejriwal Daughter Wedding: पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल की बेटी हर्षिता शादी के बंधन में बंधीं, संभव जैन के साथ लिए सात फेरे Goal Institute: गोल इंस्टीट्यूट में विशेष सेमिनार का आयोजन, नीट 2025 के लिए छात्रों को मिला महत्वपूर्ण मार्गदर्शन Bihar Politics: सीएम फेस को लेकर महागठबंधन में मचे घमासान पर BJP की पैनी नजर, क्या बोले केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय? Bihar News: मगध यूनिवर्सिटी के पूर्व VC के खिलाफ ED ने दाखिल की चार्जशीट, जानिए.. क्या है मामला? Bihar News :बिहार को मिली ऐतिहासिक सौगात, गंगा नदी पर बना पहला छह लेन पुल अब पूरी तरह तैयार, जल्द होगा उद्घाटन!
26-Feb-2025 08:27 AM
बिहार के पारंपरिक और विशिष्ट उत्पादों को अब अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने की राह आसान हो गई है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU), सबौर में मंगलवार को आयोजित 9वीं उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में यह घोषणा की गई कि राज्य के सात प्रमुख उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग दिलाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने कहा कि यह कदम बिहार की समृद्ध कृषि और खाद्य विरासत को संरक्षित करने और इसे वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। GI टैग न केवल इन उत्पादों की विशिष्टता को कानूनी सुरक्षा देगा, बल्कि बिहार के किसानों और व्यापारियों को उनके परंपरागत उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने में भी मदद करेगा।
GI सुविधा केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ. एके सिंह ने बताया कि पटना दुधिया मालदा आम, मालभोग चावल और बिहार सिंघाड़ा के लिए GI रजिस्ट्रेशन आवेदन सफलतापूर्वक तैयार कर चेन्नई स्थित GI रजिस्ट्री कार्यालय को भेज दिया गया है। उन्होंने आगे बताया कि इन तीन उत्पादों के अलावा चार अन्य उत्पादों के GI टैग के लिए दस्तावेज भी लगभग तैयार हो चुके हैं।
जिन चार उत्पादों के जीआई टैग पाने के लिए दस्तावेज तैयार हैं, उनमें पहला है पिपरा का खाजा, जो अपनी अनूठी बनावट और लाजवाब स्वाद के लिए मशहूर है। दूसरा है तिलौरी, जो तिल और गुड़ से बनता है। इसके अलावा अधोरी भी है, जो भोजपुर क्षेत्र की खास पहचान है, ये अपनी खास खुशबू और स्वाद के लिए जाना जाता है, जो चावल के आटे और मसालों से बनता है। चौथा बिहार का ठेकुआ, छठ पूजा का प्रसाद, बिहार की संस्कृति का अभिन्न अंग, जिसकी खुशबू और स्वाद सबको आकर्षित करता है, जो गेहूं के आटे, गुड़ और मेवों से बना एक मीठा और कुरकुरा व्यंजन है। इन चारों उत्पादों के दस्तावेज भी तैयार हैं और जल्द ही इन्हें जीआई टैग मिलने की उम्मीद है। बिहार के लिए ये बड़ी उपलब्धि होगी और इससे इन उत्पादों को वैश्विक पहचान मिलेगी।
बैठक के दौरान कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने GI आवेदन की विस्तार से समीक्षा की और पंजीकरण प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अगर आवश्यकता पड़ी तो संबंधित मंत्रालय से भी संपर्क किया जाएगा, ताकि प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की देरी न हो।बैठक के समापन पर डिप्टी डायरेक्टर ऑफ रिसर्च ने सभी अधिकारियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। इस मौके पर पीआरओ डॉ. राजेश कुमार सहित कई महत्वपूर्ण पदाधिकारी मौजूद थे।
GI टैग से इन उत्पादों को कानूनी मान्यता मिलेगी, जिससे नकली उत्पादों पर रोक लगेगी और बाजार में इनकी मांग बढ़ेगी। इसके अलावा, बिहार के किसानों और व्यापारियों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी