1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 26 Feb 2025 08:27:10 AM IST
GI tag - फ़ोटो GI tag
बिहार के पारंपरिक और विशिष्ट उत्पादों को अब अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने की राह आसान हो गई है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU), सबौर में मंगलवार को आयोजित 9वीं उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में यह घोषणा की गई कि राज्य के सात प्रमुख उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग दिलाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने कहा कि यह कदम बिहार की समृद्ध कृषि और खाद्य विरासत को संरक्षित करने और इसे वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। GI टैग न केवल इन उत्पादों की विशिष्टता को कानूनी सुरक्षा देगा, बल्कि बिहार के किसानों और व्यापारियों को उनके परंपरागत उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने में भी मदद करेगा।
GI सुविधा केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ. एके सिंह ने बताया कि पटना दुधिया मालदा आम, मालभोग चावल और बिहार सिंघाड़ा के लिए GI रजिस्ट्रेशन आवेदन सफलतापूर्वक तैयार कर चेन्नई स्थित GI रजिस्ट्री कार्यालय को भेज दिया गया है। उन्होंने आगे बताया कि इन तीन उत्पादों के अलावा चार अन्य उत्पादों के GI टैग के लिए दस्तावेज भी लगभग तैयार हो चुके हैं।
जिन चार उत्पादों के जीआई टैग पाने के लिए दस्तावेज तैयार हैं, उनमें पहला है पिपरा का खाजा, जो अपनी अनूठी बनावट और लाजवाब स्वाद के लिए मशहूर है। दूसरा है तिलौरी, जो तिल और गुड़ से बनता है। इसके अलावा अधोरी भी है, जो भोजपुर क्षेत्र की खास पहचान है, ये अपनी खास खुशबू और स्वाद के लिए जाना जाता है, जो चावल के आटे और मसालों से बनता है। चौथा बिहार का ठेकुआ, छठ पूजा का प्रसाद, बिहार की संस्कृति का अभिन्न अंग, जिसकी खुशबू और स्वाद सबको आकर्षित करता है, जो गेहूं के आटे, गुड़ और मेवों से बना एक मीठा और कुरकुरा व्यंजन है। इन चारों उत्पादों के दस्तावेज भी तैयार हैं और जल्द ही इन्हें जीआई टैग मिलने की उम्मीद है। बिहार के लिए ये बड़ी उपलब्धि होगी और इससे इन उत्पादों को वैश्विक पहचान मिलेगी।
बैठक के दौरान कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने GI आवेदन की विस्तार से समीक्षा की और पंजीकरण प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अगर आवश्यकता पड़ी तो संबंधित मंत्रालय से भी संपर्क किया जाएगा, ताकि प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की देरी न हो।बैठक के समापन पर डिप्टी डायरेक्टर ऑफ रिसर्च ने सभी अधिकारियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। इस मौके पर पीआरओ डॉ. राजेश कुमार सहित कई महत्वपूर्ण पदाधिकारी मौजूद थे।
GI टैग से इन उत्पादों को कानूनी मान्यता मिलेगी, जिससे नकली उत्पादों पर रोक लगेगी और बाजार में इनकी मांग बढ़ेगी। इसके अलावा, बिहार के किसानों और व्यापारियों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी