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Ramayan: प्रभु राम से कैसे मिले हनुमान जी, जानें इनके मुलाकात की कहानी

रामायण में भगवान श्री राम और उनके परम भक्त हनुमान जी की पहली मुलाकात एक महत्वपूर्ण और अद्भुत घटना है। यह मुलाकात उस समय हुई जब भगवान राम अपनी पत्नी सीता की खोज में वन में भटक रहे थे।

Ramayan

05-Jan-2025 09:00 AM

Ramayan: रामायण में भगवान श्री राम और उनके परम भक्त हनुमान जी के बीच की मुलाकात एक महत्वपूर्ण और भावुक क्षण है। यह घटना उन समयों में घटित हुई जब भगवान राम अपनी पत्नी सीता की खोज में निकले थे। भगवान राम को पुरुषोत्तम कहा गया है, और उनके जीवन के सभी प्रसंगों में गहरी धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा छुपी हुई है। हनुमान जी, जो भगवान राम के सबसे बड़े भक्त थे, उनका मिलन एक दिव्य घटना थी, जो आज भी लाखों लोगों के लिए श्रद्धा और भक्ति का स्रोत है।


हनुमान जी और राम जी की मुलाकात का समय और स्थान

यह घटना उस समय हुई जब भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण जंगल में माता सीता के हरण के बाद उनका पता लगाने के लिए भटक रहे थे। एक दिन वे ऋष्यमूक पर्वत के पास पहुंचे। इस पर्वत पर पहुंचते ही वानरराज सुग्रीव ने उन्हें पहचानने के लिए बजरंगबली हनुमान से कहा कि वह इन दोनों के बारे में जानकारी प्राप्त करें, ताकि यह पता चल सके कि ये लोग कौन हैं। हनुमान जी ने सुग्रीव की बात मानी और साधु का रूप धारण किया। उन्होंने राम जी से पूछा कि वे इस पर्वत पर क्यों आए हैं। इस पर भगवान राम ने जवाब दिया, "हम अपनी पत्नी सीता की खोज में निकले हैं, जिन्हें रावण ने अपहरण कर लिया है। हम उनका पता लगाने के लिए यहां आए हैं।"


प्रभु राम के उत्तर ने हनुमान जी को भावुक किया

राम जी के इस उत्तर को सुनकर हनुमान जी भावुक हो गए और उन्होंने क्षमा मांगते हुए कहा, "प्रभु, मुझे माफ करें, मैंने जो पूछा वह केवल मेरा कार्य था।" इसके बाद भगवान राम ने हनुमान जी को गले से लगा लिया। इस घटना के साथ ही रामायण में पहली बार भगवान राम और हनुमान जी की मुलाकात का प्रसंग सामने आया।


महत्वपूर्ण संदेश

हनुमान जी की भगवान राम से पहली मुलाकात में कई गहरे संदेश छिपे हुए हैं। इस मुलाकात के दौरान हनुमान जी ने अपनी निष्ठा और भक्ति का प्रमाण दिया, और राम जी ने अपने भक्त को गले से लगाकर यह दिखाया कि सच्चे भक्त की महिमा कभी भी कम नहीं होती। यह प्रसंग हमें यह भी सिखाता है कि भक्ति में न कोई ऊँच-नीच होती है, न कोई भेदभाव। भगवान के दरबार में हर भक्त समान है, और उनका आशीर्वाद उसी तरह सब पर बरसता है। यह घटना न केवल रामायण का महत्वपूर्ण भाग है, बल्कि यह हमें अपने जीवन में सच्ची भक्ति और निष्ठा की दिशा भी दिखाती है।