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Putrada Ekadashi 2025: व्रत के नियम और इस दिन से जुड़ी खास बातें, ये गलतियां बिल्कुल भी न करें

पुत्रदा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में संतान प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का विधान है।

Putrada Ekadashi 2025

05-Jan-2025 08:00 AM

Putrada Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है। पौष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी 2025 को रखा जाएगा। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है, और इसे विधि-विधान से करने पर संतान प्राप्ति और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।


हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। कुछ कार्य ऐसे हैं, जिनसे बचना अनिवार्य है, वरना व्रत का पूरा फल नहीं मिलता और भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी रुष्ट हो सकते हैं।


पुत्रदा एकादशी व्रत का समय:

एकादशी तिथि प्रारंभ: 9 जनवरी 2025, दोपहर 12:22 बजे

एकादशी तिथि समाप्त: 10 जनवरी 2025, सुबह 10:19 बजे

उदयातिथि के अनुसार व्रत: 10 जनवरी 2025


पुत्रदा एकादशी के दिन इन कार्यों से बचें:

किसी का अपमान न करें: इस दिन साधक को किसी भी व्यक्ति का अनादर करने से बचना चाहिए।

तामसिक भोजन का परहेज करें: व्रत में मांसाहार, प्याज और लहसुन जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन वर्जित है।

दिन में न सोएं: पूजा के बाद दिन में सोने से व्रत का प्रभाव कम हो जाता है।

तुलसी को जल न चढ़ाएं: धार्मिक मान्यता है कि तुलसी माता भी इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं।

बाल और नाखून न काटें: पुत्रदा एकादशी पर यह कार्य अशुभ माना गया है।

पशु-पक्षियों को परेशान न करें: इस दिन किसी भी जीव को कष्ट देना पाप का कारण बनता है।

बुरा न सोचें: मन में किसी के प्रति बुरी भावना रखने से व्रत का सकारात्मक प्रभाव खत्म हो सकता है।


पुत्रदा एकादशी का महत्व:

पुत्रदा एकादशी का व्रत उन दंपतियों के लिए विशेष रूप से फलदायक माना जाता है, जो संतान सुख की इच्छा रखते हैं। इसे पूर्ण विधि-विधान से करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।