ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Politics: एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन से पहले संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस, दरभंगा-मधुबनी में घटक दल के प्रवक्ताओं ने किया पीसी Delhi Exit Poll Result 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के Exit Poll में आए चौंकाने वाले नतीजे, आठ एजेंसियों ने बताया किनकी बन रही सरकार Bihar Crime: अवैध संबंध से गुस्साएं पति ने कर दी पत्नी हत्या, पुलिस ने किया चौंकने वाला खुलासा Rahul Gandhi In Patna: पटना में पोस्टर लगवा कर पूर्णिया निकल गये पप्पू यादव, राहुल गांधी के पिछले दौरे में हुई भारी फजीहत से लिया सबक? Bihar Politics: राहुल गांधी ने स्व. जगलाल चौधरी का सम्मान किया या अपमान ? मंच पर पुत्र भूदेव चौधरी को भी नहीं मिली जगह...मिलने से भी रोका गया Rahul Gandhi In Patna: कांग्रेस का वोट बढ़ाने या घटाने आये थे राहुल गांधी? दो हजार लोग भी नहीं जुटे, जिसकी जयंती उसका नाम भी नहीं बोल पाये Bihar Politics: लालू-तेजस्वी जैसे लोग किसी का नहीं कर सकते भला..सरकार को अपनी बेजा नसीहत न दें नेता प्रतिपक्ष, भाजपा ने RJD पर किया जोरदार पलटवार Bihar News: मां सरस्वती की प्रतिमा विसर्जन के दौरान बूढ़ी गंडक नदी में डूबे 4 युवक, मची अफरा-तफरी Bihar Police: नीतीश सरकार ने 4 ASP को स्टाफ ऑफिसर बनाया, चार DSP बने सीनियर डीएसपी, सूची देखें... Bihar Politics: राहुल गांधी की सभा...खाली कुर्सियों को लाइव भाषण सुना रहे थे, नहीं आई पब्लिक...हॉल के बाहर की सच्ची तस्वीर देखिए

Holashtak 2025: होलाष्टक क्या है, क्यों होते हैं शुभ कार्यों पर प्रतिबंध?

होलाष्टक हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण समय है, जो होली से ठीक 8 दिन पहले शुरू होता है। इस दौरान शुभ कार्यों जैसे विवाह, सगाई, मुंडन और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों को टालने की परंपरा है।

Holashtak 2025

12-Jan-2025 06:00 AM

Holashtak 2025: हिंदू धर्म में होलाष्टक का विशेष महत्व है, जो होली से 8 दिन पहले शुरू होता है। यह समय किसी भी प्रकार के शुभ कार्य जैसे शादी, सगाई, मुंडन या अन्य धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार, होलाष्टक के दौरान सभी आठ ग्रह अशुभ हो जाते हैं, और यदि इस दौरान कोई शुभ कार्य किया जाता है तो उसमें विघ्न आ सकते हैं, साथ ही वह सफल नहीं हो पाते। होलाष्टक की शुरुआत फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि से होती है और इस साल यह 7 मार्च से शुरू हो रहा है, जबकि इसका समापन 13 मार्च को होगा।


होलाष्टक का धार्मिक और पौराणिक महत्व

उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित ग्रह स्थानम के ज्योतिषी अखिलेश पांडेय के अनुसार, होलाष्टक का महत्व हिंदू पंचांग और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है। धार्मिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि होलाष्टक के दौरान भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था, जिससे प्रेम और सौहार्द का प्रतीक देवता का प्रभाव पृथ्वी पर समाप्त हो गया और इस कारण संसार में शोक का माहौल बना। इसी दौरान भक्त प्रह्लाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप द्वारा कठिन यातनाएं दी गई थीं, और यही कारण है कि इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है। इसलिए इन दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते।


होलाष्टक के दौरान ग्रहों की स्थिति


होलाष्टक का एक ज्योतिषीय दृष्टिकोण भी है, जिसके अनुसार इन आठ दिनों में सभी ग्रहों की स्थिति उग्र रहती है। इस समय चंद्र, सूर्य, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु जैसे ग्रह शुभ प्रभाव नहीं देते, जिससे कोई भी शुभ कार्य के लिए अनुकूल समय नहीं होता।


होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लगाने की परंपरा पौराणिक कथाओं, धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र से जुड़ी है। यह समय किसी भी शुभ कार्य के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है, और इस दौरान लोग अपनी पूजा-अर्चना और साधना पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि अन्य धार्मिक कार्यों को टाल देते हैं।