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09-Jul-2025 06:21 PM
By First Bihar
PATNA: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की ओर से वोटर लिस्ट अपडेट करने के खिलाफ महागठबंधन ने आज बिहार बंद का ऐलान किया था. इसमें शामिल होने राहुल गांधी पटना पहुंचे थे. पटना में विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने इस दौरान मार्च किया. इस मार्च की एक वीडियो सबसे ज्यादा चर्चे में है. सांसद पप्पू यादव उस गाड़ी पर चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिस पर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे नेता सवार थे. लेकिन राहुल गांधी के सुरक्षाकर्मी पप्पू यादव को धक्के मार कर वहां से हटा देते हैं.
पप्पू यादव के साथ धक्कामुक्की का ये वीडियो वायरल हो गया रहै. इसके साथ ही ये सवाल उठ रहा है कि पप्पू यादव कितनी बेइज्जती और जिल्लत झेलेंगे. पिछले 16 महीने से वे लगातार जलील हो रहे हैं, लेकिन फिर भी राहुल गांधी जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं. सियासी हलके में चर्चा है कि पप्पू को बेटे को सेट करने की फिक्र है. बेटे के लिए इतनी कुर्बानी देना तो बनता है.
पप्पू यादव को प्रणाम कीजिये
अब समझिये कि हम क्यों कह रहे हैं कि पप्पू यादव को प्रणाम कीजिये. इसकी कहानी करीब 16 महीने पहले शुरू हुई थी. 2024 के अप्रैल महीने में पप्पू यादव ने कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का ऐलान किया था. उन्होंने दिल्ली में कांग्रेसी नेताओं के सामने अपनी पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय कर खुद को राहुल गांधी का सच्चा सिपाही बनाने का संकल्प लिया था. पप्पू यादव ने तो यहां तक कह रखा है कि अब तो उनकी शवयात्रा कांग्रेस के झंडे में निकलेगी. लेकिन उनकी इतनी बेइज्जती हुई है कि उसे बर्दाश्त कर पाना आम इंसान के बूते की बात नहीं है. इसलिए हम कह रहे हैं कि पप्पू यादव को इतना सब बर्दाश्त करने के लिए प्रणाम कीजिये.
आज हुई भयंकर फजीहत
वैसे तो पप्पू यादव को पिछले 16 महीने से कांग्रेस में लगातार बेइज्जती झेलनी पड़ रही है. लेकिन 9 जुलाई को विपक्षी पार्टियों के बिहार बंद के दौरान पप्पू यादव की भयंकर फजीहत हो गई. पप्पू यादव को राहुल गांधी के रथ से धक्के देकर हटाये जाने का वीडियो वायरल है. उस वीडियो में दिख रहा है कि पप्पू यादव से पहले तेजस्वी के करीबी राज्यसभा सांसद संजय यादव गाड़ी पर सवार हो रहे हैं. उनके पीछे पप्पू यादव ने गाड़ी पर सवार होने के लिए हाथ आगे बढ़ाया. लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें धक्का दे दिया. उन्हें धक्का देकर गाड़ी के काफी दूर कर दिया. पप्पू यादव को धक्का देने के बाद उस गाड़ी पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान और कुछ और नेता भी सवार हुए.
ऊपर से मिला था इशारा
ऐसा भी नहीं था कि सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें खुद से धक्का दे दिया था. दरअसल उस गाड़ी पर सवार राहुल गांधी के एक करीबी सुरक्षाकर्मियों के ये बता रहे थे कि किसे गाड़ी पर आने देना है और किसे नहीं. पप्पू यादव के समय भी उपर से ही इशारा मिला था कि उन्हें गाड़ी पर नहीं आने देना है.
कांग्रेस में कदम रखते ही पड़ी थी डांट
कांग्रेस में पप्पू यादव की फजीहत की कहानी पहले ही दिन शुरू हो गयी थी. जब वे अपने बेटे सार्थक रंजन के साथ कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का ऐलान कर रहे थे, तो उसी दिन उन्हें फटकार लगी. पप्पू यादव के समर्थक उस पार्टी में उनके जिंदाबाद का नारा लगा रहे थे. कांग्रेस के तत्कालीन बिहार प्रभारी मोहन प्रकाश ने उन्हें जमकर फटकार लगायी थी. मोहन प्रकाश ने कहा था-कांग्रेस में ये सब नहीं चलता है. उस वक्त पप्पू यादव के हाव भाव देखने लायक थे.
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में एंट्री नहीं मिली
कांग्रेस पार्टी ने नियम बना रखा है कि दूसरी पार्टी का कोई दूसरा नेता भले ही दिल्ली आकर कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान कर दे, लेकिन पार्टी की सदस्यता उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में जाकर ही लेनी होगी. पप्पू यादव ने पिछले साल भले ही दिल्ली में कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान कर दिया था. लेकिन उन्हें बिहार कांग्रेस कमेटी के दफ्तर सदाकत आश्रम में पहुंच कर सदस्यता लेनी थी. दिल्ली से लौटकर उन्होंने बिहार कांग्रेस के कार्यालय में जाने की भरपूर कोशिश की. लेकिन तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने पप्पू यादव की एंट्री पर ही बैन लगा दिया. लिहाजा, पप्पू यादव औपचारिक तौर पर कांग्रेस के सदस्य तक नहीं बन सके.
लोकसभा चुनाव में नोटिस नहीं लिया
कांग्रेस और राहुल गांधी जिंदाबाद के नारे लगा रहे पप्पू यादव पिछले लोकसभा चुनाव में खुद को पूर्णिया से कांग्रेस पार्टी का कैंडिडेट बता रहे थे. लेकिन पार्टी ने उनका नोटिस नहीं लिया. ये सीट आरजेडी के कोटे में गयी. ये अलग बात है कि निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे पप्पू यादव चुनाव जीत गये.
सांसद बनने के बाद भी कांग्रेस ने नोटिस नहीं लिया
निर्दलीय सांसद बनने के बाद पप्पू यादव ने जीत का सर्टिफिकेट मिलते ही कांग्रेस को समर्थन का ऐलान कर दिया. लेकिन कांग्रेस ने कोई नोटिस नहीं लिया. पप्पू यादव ने कई दफे राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मिलने का समय मांगा लेकिन दोनों में से किसी ने उन्हें मिलने का टाइम तक नहीं दिया.
राहुल गांधी से मिलने के लिए बार-बार फजीहत झेली
किसी तरह राहुल गांधी की नजरे इनायत के लिए बेचैन पप्पू यादव ने अपनी कई दफे फजीहत करायी. इसी साल जनवरी में राहुल गांधी कुछ एनजीओ की ओर से पटना में आयोजित संविधान सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करने आये थे. पप्पू यादव को इस कार्यक्रम में राहुल गांधी से मिलने का मौका नजर आया.
संविधान सुरक्षा सम्मेलन के आयोजकों ने मीडिया को बताया था कि पप्पू यादव बार-बार ये कोशिश कर रहे थे कि किसी तरह उन्हें इस कार्यक्रम में एंट्री मिल जाये. उन्होंने आयोजन कराने वाले हर आदमी से संपर्क साधा. लेकिन पप्पू यादव को कार्यक्रम में आने का पास नहीं दिया.
होटल से भी बाहर किये गये
जनवरी में राहुल गांधी के दौरे के दौरान पप्पू यादव ने दूसरी चाल भी चली. उन्होंने उस होटल में कमरा बुक करा लिया, जिसमें राहुल गांधी के लिए कमरा बुक था. पप्पू यादव ने अपना कमरा उसी फ्लोर पर बुक कराया, जिस फ्लोर पर राहुल का कमरा बुक था. लेकिन राहुल गांधी के आने से पहले उनके सुरक्षाकर्मी होटल में पहुंचे और उन्होंने पप्पू यादव से कमरा खाली करवा दिया. राहुल गांधी के बिहार दौरों में पप्पू यादव ने अपने समर्थकों के जरिये उनका स्वागत कराने का भी ऐलान किया था. कई जगहों पर पप्पू यादव के समर्थक फूल माला लेकर खड़े रहे. लेकिन राहुल गांधी उस ओर गये ही नहीं.
हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण में चेहरा दिखा पाये
वैसे पिछले 16 महीने के दौरान पप्पू यादव को एक दफे राहुल गांधी से मिलने का मौका जरूर मिला. झारखंड चुनाव में हेमंत सोरेन की जीत के बाद उनकी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए पप्पू यादव को न्योता मिला था. उस समारोह में राहुल गांधी भी शामिल हुए थे. मंच पर पप्पू यादव राहुल गांधी के बॉडीगार्ड की तरह पीछे-पीछे घूमते दिखे थे. बड़ी मशक्कत के बाद पप्पू यादव राहुल गांधी से सिर्फ हाथ मिला पाये थे. इसके अलावा कोई बात नहीं हुई.
वैसे पप्पू यादव ने इतनी उपलब्धि हासिल की है कि वे प्रियंका गांधी से मिल चुके हैं. वैसे इसकी कहानी भी अलग है. पिछला लोकसभा चुनाव कई चरणों में हुआ था. पप्पू यादव अपना चुनाव खत्म होने के बाद बिना बुलाये गांधी परिवार के खानदानी सीट अमेठी में कांग्रेस का चुनाव प्रचार करने पहुंच गये थे. वहां प्रियंका गांधी कांग्रेस के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रही थीं. प्रियंका के चुनाव प्रचार के दौरान ही पप्पू यादव ने उनसे मुलाकात कर ली. उसकी फोटो खिचवायी और वही फोटो पप्पू यादव के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर लगायी गई है.
बेटे के लिए ये सब बर्दाश्त कर रहे पप्पू यादव
अब सवाल ये उठ रहा है कि पप्पू यादव इतना सब क्यों बर्दाश्त कर रहे हैं. वे निर्दलीय सांसद चुने गये हैं. वे अगले पांच साल तक सांसद बने रहेंगे. इसमें राहुल गांधी या किसी दूसरे नेता की कृपा की कोई जरूरत नहीं है. फिर पप्पू ये सब क्यों कर रहे हैं.
जानकार सूत्रों की मानें तो पप्पू यादव अपने बेटे सार्थक रंजन के लिए अपने स्वाभिमान की कुर्बानी दे रहे हैं. दरअसल वे बिहार विधानसभा चुनाव में अपने बेटे को महागठबंधन का टिकट दिलवाना चाहते हैं. आरजेडी तो उन्हें टिकट देने से रही. लिहाजा अगर राहुल गांधी की कृपा हो जाये तो बेटे के लिए टिकट मिल सकता है.
पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले पप्पू यादव अपने बेटे सार्थक रंजन के साथ ही कांग्रेस में शामिल होने पहुंचे थे. पप्पू ये जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में पूर्णिया के तत्कालीन सांसद के खिलाफ लोगों के गुस्से और आरजेडी के कमजोर कैंडिडेट के कारण वे परिस्थितिवश चुनाव जीत गये. लेकिन विधानसभा चुनाव में ऐसे हालत नहीं है कि अपने बेटे को विधायक बना पायें.
लिहाजा पप्पू अपनी हर बेइज्जती बर्दाश्त कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि राहुल गांधी की नजरें उन पर पड़ेंगी. लेकिन सवाल ये है कि क्या कांग्रेस तेजस्वी यादव की नाराजगी मोलकर पप्पू यादव को भाव देगी. 9 जुलाई के बिहार बंद के दौरान जो कुछ हुआ उसे देख कर ये नहीं लगता कि पप्पू यादव का टारगेट पूरा हो पायेगा.