PATNA: कांग्रेस की मीटिंग से गायब रहे 15 जिलाध्यक्ष, पार्टी ने जारी किया कारण बताओ नोटिस Bihar News: बिहार में नए रेल पुल को मिली मंजूरी, प्रोजेक्ट पर खर्च होंगे इतने हजार करोड़; इन जिलों से होगी सीधी कनेक्टिविटी Bihar News: बिहार में नए रेल पुल को मिली मंजूरी, प्रोजेक्ट पर खर्च होंगे इतने हजार करोड़; इन जिलों से होगी सीधी कनेक्टिविटी ये हो क्या रहा है? पंचर एक्टिवा को घसीटकर ले जा रहे युवक की हार्ट अटैक से मौत; डरा देगा यह वीडियो Bihar Politics: प्रेम कुमार के स्पीकर बनने पर गयाजी में जश्न, बीजेपी कार्यकर्ताओं ने की आतिशबाजी Bihar Politics: प्रेम कुमार के स्पीकर बनने पर गयाजी में जश्न, बीजेपी कार्यकर्ताओं ने की आतिशबाजी सीवान में एक हफ्ते में दूसरी बड़ी लूट: ज्वेलरी शॉप से 20 लाख के गहने लूटे, हथियार लहराते भागे अपराधी Bihar News: बिहार में हुई अब तक की सबसे बड़ी टैलेंट सर्च परीक्षा, उत्कृष्ट प्रतिभागियों को इस दिन सम्मानित करेगी सरकार Bihar News: बिहार में हुई अब तक की सबसे बड़ी टैलेंट सर्च परीक्षा, उत्कृष्ट प्रतिभागियों को इस दिन सम्मानित करेगी सरकार दरभंगा के एक दवा दुकान में 7 लाख की चोरी, पुलिस की गश्ती पर सवाल
17-Apr-2025 07:50 PM
By First Bihar
CM Nitish Kumar: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पटना हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने कथित राष्ट्रगान अपमान मामले में उनके खिलाफ चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी। पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश चंद्रशेखर झा की एकलपीठ ने मुख्यमंत्री की ओर से दायर की गई क्वैशिंग याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। साथ ही, परिवादी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है।
दरअसल, यह मामला उस समय सामने आया जब पिछले महीने बेगूसराय में आयोजित एक विशेष खेल महोत्सव के उद्घाटन के दौरान राष्ट्रगान के समय मुख्यमंत्री का एक वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो को आधार बनाकर स्थानीय निवासी विकास पासवान ने 22 मार्च को बेगूसराय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में परिवाद दायर किया, जिसमें मुख्यमंत्री पर राष्ट्रगान का अपमान करने का आरोप लगाया गया था।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के अवकाश पर होने के कारण प्रभारी न्यायिक दंडाधिकारी ने यह मामला अपने न्यायालय में स्थानांतरित किया और 25 मार्च को मुख्यमंत्री को नोटिस जारी कर 4 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री की ओर से पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई।
मुख्यमंत्री की ओर से महाधिवक्ता पी. के. शाही और अधिवक्ता अमीश कुमार ने कोर्ट में यह तर्क रखा कि यह मामला दुर्भावना से प्रेरित है और आपराधिक कानून का दुरुपयोग किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि बिना प्राथमिक जांच के मुख्यमंत्री को आरोपी बना देना भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन है, जो पूरी तरह से गैरकानूनी है। इन दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी। इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।