ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी के VC के विवादित बोल, मंच से बाबा रामदेव पर की आपत्तिजनक टिप्पणी Bihar News: बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी के VC के विवादित बोल, मंच से बाबा रामदेव पर की आपत्तिजनक टिप्पणी Bihar News: समस्तीपुर के बाद वैशाली में फिर दर्दनाक घटना, 'सर्प मित्र' जेपी यादव की सांप के डसने से मौत; तमाशा देखते रहे लोग Bihar News: ताजिया जुलूस में बेटे को ढूंढने गया शख्स हुआ हादसे का शिकार, दर्दनाक मौत के बाद परिवार में मचा कोहराम Patna Auto Strike: पटना में दो दिन नहीं चलेंगे ऑटो और ई रिक्शा, 10 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल का एलान Patna Auto Strike: पटना में दो दिन नहीं चलेंगे ऑटो और ई रिक्शा, 10 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल का एलान Bihar News: असंतुलित होकर खाई में जा गिरी स्कूल बस, कई मासूम घायल Bihar School Holiday: अगस्त में इतने दिन बंद रहेंगे स्कूल, विद्यार्थियों में अभी से ख़ुशी की लहर Bihar News: DIG की रिपोर्ट पर बिहार पुलिस मुख्यालय का बड़ा एक्शन, गंभीर आरोप लगने के बाद DSP को हटाया Bihar News: DIG की रिपोर्ट पर बिहार पुलिस मुख्यालय का बड़ा एक्शन, गंभीर आरोप लगने के बाद DSP को हटाया

PAI report : बिहार की पंचायतें विकास की दौड़ में नाकाम...पंचायती राज मंत्रालय की PAI रिपोर्ट में खुलासा

PAI report : हालिया PAI रिपोर्ट ने पंचायत स्तर पर राज्य की सच्चाई को उजागर कर दिया है। गुजरात और तेलंगाना की पंचायतें "फ्रंट रनर" बनकर उभरी हैं, जबकि बिहार की ज़्यादातर पंचायतें "आकांक्षी" श्रेणी में हैं।

PAI report, पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स, Bihar panchayat report, Gujarat Telangana top performer, विकास में बिहार पिछड़ा, Panchayati Raj Ministry report, बिहार पंचायतें फिसड्डी, Aspirant category pancha

24-Apr-2025 09:02 AM

By First Bihar

PAI report: बिहार की पंचायतों के लिए एक बड़ा सबक लेकर आई है देश की पहली पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स (PAI)की हालिया रिपोर्ट है जो  पंचायती राज मंत्रालय द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट ने साफ़ कर दिया है कि विकास की दौड़ में बिहार अब भी पीछे छूट रहा है। जहां गुजरात और तेलंगाना जैसे राज्य की पंचायतें ‘फ्रंट रनर’ बनकर मिसाल कायम कर रही हैं, वहीं बिहार की ज़्यादातर पंचायतें ‘आकांक्षी’ श्रेणी में हैं | यानी उन्हें अभी भी विकास की बुनियादी सीढ़ियाँ चढ़नी बाकी हैं।


पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स एक डेटा आधारित रिपोर्ट है जिसका उद्देश्य देश की 2.5 लाख से ज्यादा ग्राम पंचायतों को उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के आधार पर आंकना है। इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, जल प्रबंधन, महिला सशक्तिकरण और सुशासन जैसे नौ सतत विकास लक्ष्यों (LSDGs) को शामिल किया गया है। इन लक्ष्यों के आधार पर पंचायतों को पांच श्रेणियों में बांटा गया है |फ्रंट रनर, परफॉर्मर, आकांक्षी, बिगिनर और अचीवर।


PAI रिपोर्ट में जिन 2,16,285 पंचायतों का डेटा मान्य पाया गया, उनमें से केवल 0.3% पंचायतें ही फ्रंट रनर बन पाईं। वहीं, 61% से अधिक पंचायतें आकांक्षी श्रेणी में आईं, जिसमें बिहार और छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा। खास बात यह है कि देश की एक भी पंचायत 'अचीवर' नहीं बन पाई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पंचायत स्तर पर विकास की प्रक्रिया को और मज़बूती से लागू करने की जरूरत है।


पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स (PAI) क्या है?

पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स (PAI) एक रिपोर्ट है जो भारत की ग्राम पंचायतों की प्रगति और कामकाज का आंकलन करती है। इसे पंचायती राज मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है।

मुख्य बातें:

उद्देश्य: पंचायतों की सामाजिक और आर्थिक विकास में स्थिति जानना।

आधार: स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण जैसे 9 विषयों पर प्रदर्शन जानना।

डेटा: पंचायतों द्वारा भेजे गए आंकड़ों और सरकारी विभागों के अधिकारियों द्वारा जांचे गए डेटा पर आधारित होता है ।

लाभ: इससे पंचायतों को अपनी कमजोरियों को समझने और सुधार करने का मौका मिलता है।

यह रिपोर्ट से पता चलता है कि किस पंचायत ने बेहतर काम किया और किसे अभी आगे बढ़ने की ज़रूरत है।


गुजरात की 346 और तेलंगाना की 270 पंचायतों को फ्रंट रनर का दर्जा मिला है, जो बताता है कि इन राज्यों ने पंचायत स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। इसके विपरीत बिहार की कोई भी पंचायत शीर्ष श्रेणी में जगह नहीं बना सकी, जो राज्य के लिए एक गंभीर संकेत है।


यह रिपोर्ट बिहार के लिए केवल आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि यह एक स्पष्ट चेतावनी है कि अगर पंचायतों को मज़बूत नहीं किया गया, तो विकास सिर्फ़ काग़ज़ों तक सीमित रह जाएगा। राज्य सरकार को अब पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने, डिजिटल तकनीकों को अपनाने, और योजनाओं के ज़मीनी क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही, जनभागीदारी और डेटा-आधारित निर्णय प्रक्रिया को अपनाना अब समय की मांग बन चुकी है।


बिहार के सामने अब यह सवाल है कि वह कब अपनी पंचायतों को केवल आकांक्षा से आगे बढ़ाकर उपलब्धि की ओर ले जाएगा। यह रिपोर्ट अवसर भी है, और चेतावनी भी कि अगर अब नहीं संभले, तो विकास का सपना सिर्फ सपना ही रह जाएगा।