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विशेश्वर ओझा हत्याकांड में आया कोर्ट का फैसला: दो दोषियों को आजीवन कारावास, पांच अन्य को 10-10 साल की सजा; कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया

विशेश्वर ओझा हत्याकांड में आया कोर्ट का फैसला: दो दोषियों को आजीवन कारावास, पांच अन्य को 10-10 साल की सजा; कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया

22-Apr-2024 12:57 PM

By RAKESH KUMAR

ARA: भोजपुर के चर्चित विशेश्वर ओझा हत्याकांड में कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। एडीजे 8 की कोर्ट ने नामजद मुख्य आरोपी हरेश मिश्रा और ब्रजेश मिश्र को मरते दम तक सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों के ऊपर 85-85 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। वहीं अन्य पांच दोषियों को 10 साल एवं 35–35 हजार रुपए की आर्थिक दंड की सजा सुनाई है। 


बीते 9 अप्रैल को कोर्ट ने इस चर्चित हत्याकांड में नामजद अभियुक्त ब्रजेश मिश्रा और हरेश मिश्रा समेत सात आरोपियों उमाकांत मिश्रा, टुन्नी मिश्रा, बसंत मिश्रा, हरेंद्र सिंह, पप्पू सिंह को दोषी करार दिया था जबकि साक्ष्य के अभाव में 6 आरोपियों को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया था। ब्रजेश मिश्रा और हरेश मिश्रा सगे भाई हैं। कोर्ट ने उन्हें इस हत्याकांड को अंजाम देने वाला करार दिया था। दोनों ने अपने साथियों के साथ मिलकार भाजपा के तत्कालीन प्रदेश उपाध्यक्ष विशेश्वर ओझा को गोलियों से भून दिया गया था।


कोर्ट ने हरेश मिश्रा और उसके भाई ब्रजेश मिश्रा को हत्या, हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के मामले का दोषी पाया। वहीं, उमाकांत, टुनी, बसंत, पप्पू औ हरेन्द्र सिंह को 307 आईपीसी एवं 27 आर्म्स एक्ट में दोषी पाया गया था। कोर्ट ने इस कांड में आरोपी बनाये गये कुंदन, संतोष, विनोद, भृगु, मदन, बबलू को संदेह का लाभ देते हुए इन सभी 6 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।


विशेश्वर ओझा की हत्या से प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया था। इस कांड में राजनाथ ओझा के बयान पर शाहपुर थाना कांड संख्या- 48/2016 अंकित किया गया था। जिसमें कुल सात नामजद एवं तीन-चार अन्य अज्ञात का जिक्र किया गया था। पुलिस ने अपनी जांच के बाद कुल 13 अभियुक्त के विरुद्ध न्यायालय में 2 आरोप पत्र समर्पित किये थे। विशेश्वर ओझा हत्याकांड में कुल 10 गवाह की गवाही अभियोजन की ओर से कराई गई।


दरअसल, यह मामला 8 साल पुराना है। 12 फरवरी, 2016 की शाम विशेश्वर ओझा अपनी सफारी गाड़ी से ड्राइवर राकेश कुमार ओझा और चार अन्य समर्थकों के साथ बभनौली निवासी चंदेश्वर उपाध्याय के भतीजे की बारात में सम्मिलित होने परसोंडा टोला स्थित मृत्युंजय मिश्रा के यहां आए थे। वहां से एक दूसरी गाड़ी उनके काफिले में शामिल हो गई। विशेश्वर ओझा के घर लौटने के दौरान सोनबरसा मैदान में मिश्रा बंधुओ ने अपने सहयोगियों के साथ उनकी गाड़ी को रोक लिया और ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इस फायरिंग में विशेश्वर ओझा एवं उनके ड्राइवर राकेश कुमार ओझा को गोली लगी थी। अस्पताल ले पहुँचने पर डॉक्टरों ने विशेश्वर ओझा को मृत घोषित कर दिया था।


इस कांड में मुख्य साजिशकर्ता और अभियुक्त ब्रजेश मिश्रा के मामले के ट्रायल के दौरान गवाही से पहले ही मुख्य गवाह और चश्मदीद कमल किशोर मिश्रा की हत्या 28 सितंबर, 2018 को कर दी गई थी। अपर लोक अभियोजक मानिक कुमार सिंह ने बताया कि ब्रजेश मिश्रा को भाजपा नेता के गवाह कमल किशोर मिश्रा के मर्डर केस में पहले ही उम्र कैद की सजा मिल चुकी है। इस दौरान उन्हें चार्ज सुनाया गया और उसे केश के कनविक्शन वारंट को प्रदर्श किया गया है। जिसको लेकर आज सजा की बिंदु पर सुनवाई हुई है। 


एडीजे आठ की कोर्ट ने नामजद मुख्य आरोपी हरेश मिश्रा और ब्रजेश मिश्र को मरते दम तक सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों भाइयों के ऊपर 85-85 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। वहीं अन्य पांच दोषियों को 10-10 साल कैद के साथ 35–35 हजार रुपए के आर्थिक दंड की सजा सुनाई है।