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16-Oct-2021 02:12 PM
PATNA : बिहार में त्यौहार का मौसम खत्म होने के बाद अब चुनावी सरगर्मी बढ़ने वाली है. बिहार की 2 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव चल रहा है. 30 अक्टूबर को विधानसभा सीट तारापुर और कुशेश्वरस्थान में मतदान होना है. पिछले दिनों एक खबर सामने आई थी कि विधानसभा उपचुनाव में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी प्रचार करेंगे. लालू दोनों सीटों पर चुनावी जनसभा को संबोधित करने वाले थे. लेकिन दिल्ली से पटना आई राबड़ी देवी ने वापस जाते जाते यह कह दिया कि लालू की तबीयत ठीक नहीं और वह बिहार फिलहाल नहीं आ सकते. इसके बाद लालू के चुनावी कार्यक्रम को लेकर एक बार फिर से सस्पेंस खड़ा हो गया है.
लालू यादव के चुनावी दौरे को लेकर जारी सस्पेंस के बीच राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं. सबसे पहला सवाल यह है कि क्या लालू यादव का चुनावी दौरा जानबूझकर स्थगित किया जा रहा है. लालू यादव आखिर किन वजहों से बिहार में चुनाव प्रचार से बचना चाहते हैं. क्या लालू की तबीयत तो वाकई ऐसी नहीं है कि वह बिहार में चुनाव प्रचार कर सकें.
विजयदशमी के मौके पर अपनी बेटी मीसा भारती के घर पर मौजूद लालू यादव की तस्वीर राबड़ी देवी के साथ सामने आई. इस तस्वीर में लालू यादव मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं. लालू यादव जेल से बाहर आए थे. उसके बाद से उनकी सेहत में काफी सुधार भी हुआ है. पिछले कुछ मौकों पर वह पार्टी से लेकर अन्य राजनैतिक के गतिविधियों में शामिल भी हुए हैं. लेकिन ऐसे में लालू का अचानक से बिहार दौरा अगर स्थगित किया गया तो इसके पीछे कौन सी वजह है.
सियासी जानकार मानते हैं कि लालू यादव का दौरा स्थगित करने के पीछे दो वजह हो सकती हैं. पहली वजह हो सकती है कि उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने बिहार में बगावत का झंडा बुलंद कर रखा है. तेज प्रताप यादव लगातार पार्टी और अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव के ऊपर हमलावर हैं. विधानसभा उपचुनाव में तेजस्वी यादव ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को दोनों सीटों पर उतारने का फैसला किया. कांग्रेस के साथ चुनाव में गठबंधन भी नहीं है. ऐसे में अगर तेजस्वी यादव नेतृत्व कर रहे हैं. तो लालू के आने से तेज प्रताप पहले से ज्यादा आक्रामक हो सकते हैं. लालू यादव को बिहार में देखकर तेज प्रताप यादव का मनोबल और ऊपर जा सकता है और अगर वह ज्यादा आक्रमण हुए तो इसका फायदा विरोधियों को मिल सकता है.
तेज प्रताप की नाराजगी और आक्रामक तेवर का फायदा उपचुनाव में विरोधियों को ना मिले. इसलिए लालू चुनाव प्रचार से दूरी बना सकते हैं. राजनीतिक जानकार इस संभावना से इंकार नहीं करते लेकिन दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि लालू का चेहरा आने से एक बार फिर जेडीयू और एनडीए जंगलराज को चुनाव में एजेंडा बना दें.
जेडीयू की दोनों सीटों पर जीत पिछले विधानसभा चुनाव में हुई थी. बीते विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने रोजगार समेत अन्य मुद्दों को चुनावी एजेंडा तो बना दिया. लेकिन नीतीश कुमार जंगलराज बनाम सुशासन का एजेंडा बनाने में सफल साबित हुए थे. अब एक बार फिर अगर लालू यादव चुनाव प्रचार करते दिखेंगे तो ऐसी स्थिति में इसका फायदा विरोधियों को मिल सकता है. संभव है कि इस वजह से भी रणनीतिक तौर पर लालू को चुनाव प्रचार से अलग रखा जाए.
तेजस्वी यादव को इसमें कोई खासा परेशानी भी नहीं है. मामला 2 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का है. इन सीटों पर जीत और हार से सरकार का भविष्य भी तय नहीं होना है. अगर ऐसे में लालू के बगैर पार्टी जीत हासिल करती है. तो क्रेडिट तेजस्वी यादव के माथे जाएगा. अगर लालू के आने पर भी पार्टी को हार मिली तो फजीहत पड़ सकती है.
फिलहाल के तमाम ऐसे कयास और आकलन हैं. जिनकी चर्चा बिहार के राजनीतिक गलियारे में हो रही है. लेकिन बड़ा सवाल अभी यहीं है कि क्या लालू वाकई चुनाव प्रचार के लिए आएंगे और अगर आए तो उसका आंसर क्या होगा.