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19-Sep-2023 09:28 AM
By First Bihar
PATNA : बिहार की होमगार्ड की डीजी शोभा अहोटकर के खिलाफ एक और बड़ा मामला सामने आया है. होमगार्ड में तैनात एक महिला डीआईजी ने त्राहिमाम संदेश भेजा है. त्राहिमाम संदेश में लिखा गया है कि शोभा अहोटकर की प्रताड़ना से उनकी जान खतरे में है. महिला डीआईजी ने कहा है कि सिर्फ वे ही नहीं बल्कि उनका पूरे परिवार खतरे में है. महिला डीआईजी ने 13 पन्ने का पत्र लिखा है, जिसकी बिहार सरकार के तमाम आलाधिकारियों को भेजी गयी है. बता दें कि ये वही शोभा अहोटकर हैं, जिनके अत्याचार के खिलाफ आईजी विकास वैभव ने आवाज उठायी थी, तो सरकार ने विकास वैभव के खिलाफ ही कार्रवाई कर दी थी. विकास वैभव को होमगार्ड से हटाकर लंबे समय तक वेटिंग फॉर पोस्टिंग रखा गया और फिर योजना पर्षद में परामर्शी के सेटिंग पोस्ट पर बिठा दिया गया.
महिला डीआईजी का त्राहिमाम संदेश
शोभा अहोटकर की प्रताड़ना के खिलाफ 13 पन्नों का पत्र होमगार्ड की डीआईजी अनुसूया रणसिंह साहू ने लिखा है. अपनी डीजी शोभा अहोटकर को भेजे गये पत्र में डीआईजी अनुसूया रणसिंह ने लिखा है कि उनके पत्र को 'त्राहिमाम संदेश' के रूप में देखने की कृपा की जाय. उन्हें भयंकर से भयंकर सुनियोजित तरीकों से फंसाने के लिए जाल बिछाया जा रहा है और विभिन्न तरीकों से मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है.
मेरे समेत परिवार की जान खतरे में
डीआईजी ने अपने पत्र में लिखा है-“मैं इस वाहिनी में अपने पदस्थापना की तिथि से ही मुझे आवंटित वाहिनी के सभी कार्यों को अब तक पूरी ईमानदारी, लगन एवं निष्ठापूर्वक निर्वहन करते आ रही हूँ. अब तक वाहिनी के गरिमा को अक्षुण्ण रखने हेतु किसी प्रकार का कोई भी बात मैं इस वाहिनी के बाहर इतनी विस्तृत रूप से कहीं भी नहीं रखी थी. परन्तु अभी मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ना की प्रक्रियाएँ इतनी मात्रा में बढ़ गई है कि मैं अभी रात-रात भर सो नहीं पा रही हूँ एवं विवश होकर मुझे इन सभी बातों को लिखित रूप में सामने लाना पड़ा है. अखिल भारतीय सेवा में भारतीय पुलिस सेवा के वरीय महिला पदाधिकारी, जो विगत 17 वर्षों की पुलिस सेवा कर चुकी हों, अपने लोक जीवन के कठिनतम दौर में कार्य कर रही हूँ, जहाँ मेरी वरीयता सेवाभाव, कर्त्तव्यनिष्ठा, आचरण, प्रतिष्ठा, गरिमा और अनुशासन के साथ सहनशीलता पूरी तरह से खतरे में है. जो मेरे परिवार, बच्चों और मेरे जीवन के लिए भी बहुत ही नुकसानदेह हो गया है. मैं यह भी जानती हूँ कि मेरे इस पत्र के बाद मुझसे इस पत्र के संबंध में फिर स्पष्टीकरण मांगा जाएगा. परन्तु मैं विवश एवं उपायहीन हो गयी हूँ. अपनी जान बचाने हेतु संविधान के तहत दिये गये अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मेरे उपर हो रहा अत्याचार को सामने लाने में विवश हुई हूँ.”
भ्रष्टाचार रोकने की मिला सजा
डीआईजी के पत्र में कहा गया है कि फायर ब्रिगेड की 138 गाड़ियों की खरीद में भ्रष्टाचार रोकने की सजा उन्हें मिली है. इसी साल मार्च में फायर ब्रिगेड की 138 गाड़ियों की खरीद होनी थी. उसमें बडे पैमाने पर अनियमितता हो रही थी, जिससे बिहार सरकार को साढ़े 6 करोड़ रूपये का नुकसान हो रहा था. डीआईजी के पत्र में कहा गया है कि एक ही प्रकार के 138 अग्निशमन वाहनों का खरीददारी हेतु तीन अलग-अलग निविदा निकाली जा रही थी. एक निविदा में 6 गाड़ी, दूसरी में 77 औऱ तीसरी में 55 गाड़ी के लिए बिड किया गया. एक ही तरह की गाड़ियों की तीन निविदा में जो बिड आयी, उनके एल-1 दाम में भारी अंतर था. इससे राज्य सरकार को साढ़े 6 करोड़ का नुकसान का हो रहा था. डीआईजी के पत्र में लिखा गया है कि उस समय शोभा अहोटकर छुट्टी पर थी. इसलिए डीआईजी ने बिहार सरकार के वित्त विभाग के पदाधिकारी से बात कर 77 और 55 फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की खरीद रद्द करने की अनुशंसा कर दी.
डेढ़ घंटे तक गाली देती रही डीजी
डीआईजी अनुसूया रणसिंह साहू के पत्र में लिखा गया है-उस टेंडर को रद्द करने की अनुशंसा के बाद मेरे मोबाइल पर डीजी का एक फोन कॉल आया. डीजी शोभा अहोटकर ने कहा- मेरे बिना उनके परमिशन के वित्त विभाग के अधिकारी से बात क्यों की. मैं जवाब में यह बताई कि क्योंकि मुझे कुछ विसंगतियां नजर आ रही थी, अतः एक innocent opinion के लिए मैंने वित्त विभाग के पदाधिकारी से बात की थी. इस पर डीजी महोदया न जाने क्यों अचानक इतने मात्रा में आक्रोशित हो गयी कि मुझे करीब डेढ़ घंटा तक गाली दी और बर्बाद करने की धमकी दी.
विकास वैभव का हश्र याद दिलाया
डीआईजी अनुसूया रणसिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि इस फोन कॉल में डीजी शोभा अहोटकर ने विकास कुमार वैभव एवं अन्य पदाधिकारी जो उनके साथ पहले काम किये है को क्या परिणाम भुगतना पड़ा उसके बारे में जिक्र किया. डीजी महोदया के द्वारा यह भी बताया गया था कि आपके 33 साल के नौकरी में आपके बिना परमिशन के एक पत्ता तक भी नहीं हिला है. डीजी अहोटकर ने कहा कि इस कृत्य के लिए मैं माफी के लायक नहीं हूँ बल्कि आप यह सुनिश्चित करेंगे कि मेरे उपर कठोर से कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित हो.
लगातार प्रताड़ना से बेहोश हो गयीं डीआईजी
डीआईजी अनुसूया रणसिंह साहू ने लिखा है कि DG महोदया के इस धमकी से मैं इतने मात्रा में मानसिक तनाव में आ गई थी कि मैं उसी समय बेहोश हो गयी. मेरे पति एवं मेरे कुछ स्टाफ (जो उसी समय मेरे साथ थे) मुझे अस्पताल में भर्ती कराये थे. मैं समझ नहीं पा रही थी कि मेरी कहां त्रुटि हो गयी थी जिसके लिए मुझे इतना गालियां सुनना पड़ा. मैं तबसे इतने तनाव ग्रस्त हो गयी थी कि मुझे डर लगने लगा.
बैकडेट में फाइल पर साइन करने को कहा गया
डीआईजी अऩुसूया रणसिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि उसके बाद उन्हें फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की खरीद के लिए बैकडेट में फाइल पर साइन करने को कहा गया. उसमें डीआईजी को परचेज कमेटी का प्रमुख बता दिया गया. जबकि ऐसा पहले कोई आदेश जारी नहीं हुआ था. डीआईजी अनुसूया रणसिंह ने लिखा है कि लगातार मानसिक प्रताड़ना से बुरी तरह तनाव में आ गयीं. डॉक्टर की सलाह पर वे 31 मार्च 2023 को मेडिकल लीव पर चली गयीं. उसी दौरान फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की खरीद का टेंडर रद्द करना पड़ा. डीआईजी ने लिखा है कि मेरी पहल के कारण टेंडर रद्द होने से सरकार के साढ़े 6 करोड़ रूपये बचे. लेकिन मेरे मेडिकल लीव के दौरान ही मुझ पर आधारहीन आरोप लगाकर स्पष्टीकरण मांगा गया और गृह विभाग को पत्र भेजा गया.
पटना जिला होमगार्ड में पैसा वसूली का खेल उजागर किया
डीआईजी अनुसूया रणसिंह साहू ने अपने पत्र में लिखा है कि उन्हें इस बात की भी सजा मिल रही है कि उन्होंने पटना जिले में होमगार्ड की पोस्टिंग में बड़े पैमाने पर वसूली को उजागर किया. पटना के सीनियर कमाडेंट ने जवानों की पोस्टिंग के लिए 20 लाख रूपये की वसूली की. उसके बाद अपने कारनामे को दबाने के लिए वसूली के खिलाफ आवाज उठाने वाले को ही फंसाने की कोशिश की. डीआईजी ने लिखा है कि मैंने इस मामले की जांच कर वसूली के खेल को उजागर किया, इस बात की भी सजा मिल रही है.
डीआईजी को बैठने की जगह तक नहीं दी
डीआईजी ने अपने पत्र में लिखा है कि मेडिकल लीव से वापस आकर जब उन्होंने 30.06.2023 कार्यालय में योगदान दिया. उनके योगदान के प्रतिवेदन को डीजी के कार्यालय ने रिसीव ही नहीं किया. डीआईजी ने लिखा है-“मुझे क्या काम करना था और कहाँ बैठना था, इसका पता नहीं चल पा रहा था. अतः विवश होकर दिनांक 03.07.2023 को मैंने बैठने का स्थान एवं कार्यों के बारे में उल्लेखित करने हेतु पत्र लिखी थी. इस पत्र के बाद डीजी ने 05.07.2023 को मुझे कई कार्यों का आवंटन कर दिया. लेकिन उस पत्र में मेरे बैठने का स्थान के बारे में कुछ भी उल्लेखित नहीं था. मैं अपर निदेशक-सह- सहायक राज्य अग्निशमन पदाधिकारी-3 के खाली पड़े कमरे में बैठने लगी.”
हर रोज शो कॉज भेज रही डीजी
DIG ने लिखा है- मैं गृह विभाग, बिहार सरकार के अधिसूचना के अनुसार उप-महानिरीक्षक, वाहिनी एवं अग्निशमन सेवाएँ, बिहार, पटना के पद पर पदस्थापित हूं लेकिन मुझे इस वाहिनी के सभी महत्वपूर्ण कार्यों से वंचित कर दिया गया है. मुझसे लगभग प्रत्येक दिन डीजी शोभा अहोटकर और आईजी द्वारा स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है. मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने हेतु बेबुनियाद, मनगढ़ंत स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है. यदि मुझसे पूछे गये सारी स्पष्टीकरण और उसके प्रत्येक उत्तर को देखा जाए तो यह स्पष्ट होगा कि सारे आरोप झूठ, दुर्भावनापूर्ण, सतही और मानसिक प्रताड़ना देने के उद्देश्य से मनगढ़ंत तरीके से बिना साक्ष्य के लगाये गये हैं. मैं इस हालात में पहुँच गई हूँ कि मुझे स्पष्टीकरण का जवाब बनाने के अतिरिक्त कोई दूसरा काम नहीं कर पा रही हूं.
सारे काम और स्टाफ वापस ले लिया
डीआईजी अनुसूया रणसिंह साहू ने लिखा है कि मुझे आवंटित सारे काम छीन लिया गया है. हो सकता है कि मैं गलत हूँ लेकिन एक डीआईजी स्तर के पदाधिकारी से सरकार के द्वारा निर्धारित सभी कार्यों से वंचित करने हेतु सरकार का अनुमोदन आवश्यक है. डीआईजी ने डीजी से कहा है कि अगर सरकार ने उनसे सारा काम छीन लेने की अनुमति दी है तो सरकार के पत्र की कॉपी उन्हें दी जाये. ताकि मैं भी यह बात से अवगत हो सकूंगी कि मुझे किस परिस्थिति में मेरे पद के मुताबिक सरकार के द्वारा निर्धारित कार्यों से वंचित किया गया है.
डीआईजी ने लिखा है कि यह बात भी आचंभित करने वाली है कि मेरे साथ मेरे गोपनीय शाखा में जो भी कर्मी प्रतिनियुक्त थे, उन सभी कर्मियों को बिना कोई कारण बताये मेरे गोपनीय शाखा से हटा दिया गया है. मुझे इस कृत्य से यह प्रतीत होता है कि मुझे न जाने किनके दबाव में इस कद तक प्रताड़ित किया जा रहा है कि मैं नौकरी छोड़ने के लिए विवश हो जाऊ.
13 पन्नों के अपने पत्र में महिला डीआईजी अनुसूया रणसिंह ने वैसे तमाम वाकये बताये हैं जिनसे उन्हें हद से ज्यादा प्रताडित किया जा रहा है. डीआईजी ने कहा है कि उनके पूरे परिवार को खतरा है. उनकी जान जा सकती है. उन्होंने डीजी शोभा अहोटकर को लिखे पत्र की कॉपी बिहार सरकार के मुख्य सचिव, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, डीजीपी समेत दूसरे आलाधिकारियों को भेजा है.
विकास वैभव को मिली थी सजा
बता दें कि शोभा अहोटकर वही डीजी हैं, जिन पर आईजी विकास वैभव ने गालियां देने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. आईजी विकास वैभव ने सबूत के साथ पूरी जानकारी बिहार सरकार के आलाधिकारियों को दी थी. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास वैभव को ही गलत करार दिया था. डीजी शोभा अहोटकर का कुछ नहीं बिगड़ा. विकास वैभव को होमगार्ड से हटाकर पुलिस मुख्यालय में वेटिंग फॉर पोस्टिंग में डाल दिया गया था. बाद में उन्हें बिहार योजना पर्षद में परामर्शी के ऐसे पद पर तैनात कर दिया गया, जहां कोई काम ही नहीं है. बता दें कि विकास वैभव आतंकी और उग्रवादियों से निपटने के एक्सपर्ट पदाधिकारी माने जाते रहे हैं. वे लंबे अर्से तक एऩआईए में काम कर चुके हैं.